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चेक बाउंस होने पर छह माह की कैद, दो लाख 60 हजार जुर्माना

20 सितंबर 2014 को जब परिवादी ने उक्त चेक को भुगतान के लिए बैंक में प्रस्तुत किया तो वह अपर्याप्त निधि की टिप्पणी के साथ बाउंस हो गया । जिसके बाद परिवादी ने अधिवक्ता के माध्यम से विपक्षी को एक नोटिस भिजवाया था। फिर भी विपक्षी ने परिवादी को उसकी धनराशि वापस नहीं की थी। दोनों पक्षों की बहस सुनने तथा साक्ष्यों के आधार पर न्यायालय ने विपक्षी पीरु कश्यप को दोषी पाया गया।

By Anoop kumar singhEdited By: Mohammed AmmarUpdated: Fri, 13 Oct 2023 10:18 PM (IST)
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चेक बाउंस होने पर छह माह की कैद, दो लाख 60 हजार जुर्माना
संवाद सहयोगी, हरिद्वार। चेक बाउंस होने के मामले में द्वितीय अपर सिविल जज/ न्यायिक मजिस्ट्रेट स्नेहा नारंग ने आरोपित को छह माह की कैद व दो लाख 60 हजार रुपए की सजा सुनाई है। न्यायालय ने जुर्माने की धनराशि मे से दो लाख 50 हजार रुपए बतौर प्रतिकर परिवादी को देने तथा दस हजार रुपए राजकीय कोष में जमा करने के आदेश किए।

अधिवक्ता शिवकुमार चौधरी ने बताया कि ऋषि पाल पुत्र घसीट सिंह निवासी विष्णु लोक कॉलोनी थाना रानीपुर जिला हरिद्वार ने विपक्षी पीरु कश्यप पुत्र धूम सिंह निवासी साईं नगर ग्राम गाजीवाला श्यामपुर कांगड़ी के खिलाफ न्यायालय में एक परिवाद दायर किया था।

परिवाद में परिवादी ऋषिपाल ने बताया कि उसके विपक्षी के साथ काफी अच्छे संबंध थे। जिसके चलते विपक्षी पीरु कश्यप ने माह जुलाई 2014 में अपना मकान बनवाने के लिए के लिए एक लाख पचास हजार रुपए मांगे थे। जिसके बाद परिवादी ने 10 जुलाई 2014 को 1.5 लाख रुपए अपने निवास स्थान पर विपक्षी को दे दिए थे।

दो माह बाद पीरु कश्यप ने रुपए लौटाने का वादा किया था। निर्धारित समय पर धनराशि वापस न करने पर परिवादी ने विपक्षी से अपनी धनराशि की मांग की तो विपक्षी ने उसे अपने खाते का एक लाख 50 हजार रुपए की धनराशि का एक चेक दिया था।

20 सितंबर 2014 को जब परिवादी ने उक्त चेक को भुगतान के लिए बैंक में प्रस्तुत किया तो वह अपर्याप्त निधि की टिप्पणी के साथ बाउंस हो गया । जिसके बाद परिवादी ने अधिवक्ता के माध्यम से विपक्षी को एक नोटिस भिजवाया था। फिर भी विपक्षी ने परिवादी को उसकी धनराशि वापस नहीं की थी। दोनों पक्षों की बहस सुनने तथा साक्ष्यों के आधार पर न्यायालय ने विपक्षी पीरु कश्यप को दोषी पाया गया।

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