साल दर साल बढ़ रहा मानव-वन्यजीव संघर्ष, समाधान के लिए हाई कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को दिए ये निर्देश
हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि पर्वतीय जिलों में मानव-वन्य जीव संघर्ष बढ़ता जा रहा है। आए दिन मानव जंगली जानवरों के शिकार हो रहे है। हर वर्ष औसतन 60 लोग तेंदुओं के हमले में मारे जाते हैं। यह पलायन का भी कारण बन रहा है।
नैनीताल, जागरण संवाददाता। Nainital High Court: हाई कोर्ट ने पर्वतीय क्षेत्रों में बढ़ते मानव वन्य जीव संघर्ष व तेंदुओं के हमले को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को विशेषज्ञ की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाने के निर्देश दिए है। साथ ही प्रत्येक दो सप्ताह में विशेषज्ञों से वार्ता करने के साथ मानव व वन्य जीवों के संघर्ष को रोकने के लिए अब तक किए गए उपायों और आगे की कार्यवाही पर दो सप्ताह में प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 27 अप्रैल 2023 नियत की है।
हर साल 60 लोग मरते हैं तेंदुए के हमले में
गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में पौड़ी गढ़वाल के समाजसेवी अनु पंत की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें कहा गया है कि प्रदेश के पर्वतीय जिलों में मानव-वन्य जीवों का संघर्ष बढ़ता ही जा रहा है। प्रदेश के कई जिले इससे प्रभावित हो रहे है। आए दिन मानव इन जंगली जानवरों के शिकार हो रहे है। खासकर मानवों पर तेंदुए के हमले बढ़ते जा रहे हैं। लगभग प्रत्येक वर्ष औसतन 60 लोग तेंदुओं के हमले में मारे जाते हैं।
पलायन का भी बन रहा कारण
याचिका में कहा गया है कि पर्वतीय जिलों में 2020 मेें तेंदुए के हमले में 30 लोग मारे गये थे, जबकि 85 लोग घायल हुए थे। इससे पहाड़ों में पलायन भी बढ़ रहा है। पलायन आयोग ने भी माना है कि 2016 में छह प्रतिशत लोग पलायन को मजबूर हुए हैं।
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याचिकाकर्ता ने की है ये मांग
याचिकाकर्ता की ओर से मांग की गई है कि एक कमेटी का गठन किया जाय और कमेटी इसका अध्ययन कर इस मामले का समाधान निकाले। साथ ही आवासीय क्षेत्रों व जंगलों के बीच में तारबाड़ लगाई जाए। कैमरा टेपिंग व तेंदुओं पर रेडियो कॉलर लगाए जाएं। साथ ही सरकार एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी करे, जिससे आपात स्थिति से निपटने में सहयोग मिल सके।