BSF की शानदार पहल, महिलाओं को मिलेगा फायदा; सीमा से सटे इलाकों में बनाए जिम और स्नानघर
बंगाल के नदिया जिले में भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा के लिए तैनात बीएसएफ की 32वीं बटालियन ने एक उल्लेखनीय पहल करते हुए सीमावर्ती क्षेत्र की महिलाओं के लिए तीन खुले में जिम और टिन के शीट से ढके कई अस्थाई स्नानघर बनाए हैं। बीएसएफ अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। सुविधाएं केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सीमा बलों को स्थानीय आबादी से जुड़ने के निर्देश के बाद स्थापित की गई हैं।
राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता: बंगाल के नदिया जिले में भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा के लिए तैनात बीएसएफ की 32वीं बटालियन ने एक उल्लेखनीय पहल करते हुए सीमावर्ती क्षेत्र की महिलाओं व स्थानीय आबादी के लिए तीन खुले में जिम और टिन के शीट से ढके कई अस्थाई स्नानघर बनाए हैं। एक वरिष्ठ बीएसएफ अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। ये सुविधाएं केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सीमा बलों को स्थानीय आबादी से जुड़ने के निर्देश के बाद स्थापित की गई हैं।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सीमा पर ये दूरदराज के स्थान देश के आखिरी नहीं बल्कि पहले गांव हैं और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) जैसे संगठनों को इन संवेदनशील क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों के जीवन की बेहतरी के लिए सभी उपाय करने चाहिए। अधिकारी ने बताया कि 32वीं बटालियन ने नदिया जिले के गेदे, कादीपुर और तुंगी में अपनी सीमा चौकियों के पास खुले में जिम बनाए हैं।
जिमों में लगाए गए कई उपकरण
गृह मंत्री ने बताया कि इन जिमों में पैरेलल बार, कमर स्ट्रेचर, चेस्ट प्रेस, फन राइडर, लेटरल पुल डाउन, सिट-अप ट्रेनर, टू-साइडेड रोटेटर और ताई ची स्पिनर जैसे उपकरण लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि इन क्षेत्रों की सुरक्षा कर रहे बीएसएफ के जवान सभी आयु वर्ग के लोगों - बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों को दिन के किसी भी समय इन सुविधाओं का उपयोग करने की सुविधा प्रदान कर रहे हैं।
एक अन्य बीएसएफ अधिकारी ने बताया, हमारे जवानों द्वारा पहले जो बैरियर नीचे कर इसे बंद रखा गया था, उसे अब खुला रखा गया है ताकि स्थानीय लोग जब चाहें जिम का आनंद ले सकें। इस क्षेत्र से खरपतवार और झाडिय़ां भी साफ कर दी गई हैं और तीनों स्थानों पर सीमा संबंध सड़क के बड़े बोर्ड भी लगाए गए हैं।
लड़कियों के लिए बनाए गए टिन शेड से ढके स्नानघर
बीएसएफ ने विशेषकर क्षेत्र की महिलाओं और लड़कियों के लिए टिन शेड से ढके कई स्नानघर भी बनाए हैं, क्योंकि बल को पता चला कि महिलाओं को अक्सर सड़क के किनारे स्थित पानी के नलों के पास अपने दैनिक स्नान के दौरान कोई गोपनीयता (पर्दे) नहीं थी। नारी सम्मान स्नानघर को बीएसएफ कर्मियों द्वारा बनाया गया है, जिसे फूलों की आकृति में रंगा गया और स्थानीय महिलाओं द्वारा ही इसका उद्घाटन कराया गया था।
32वीं बीएसएफ बटालियन के कमांडेंट सुजीत कुमार ने कहा कि महिलाएं खुले में नहाती थीं और हमें बहुत बुरा लगता था कि उनके लिए कोई निजता नहीं थी। स्थानीय बीएसएफ इकाई ने स्थानीय लोगों से जानकारी प्राप्त की और उन्होंने इन अभिनव अस्थायी टिन-शीट बाड़ों के निर्माण में मदद करने का फैसला किया।
स्थानीय ग्रामीण कुमार बिस्वास ने कहा, महिलाएं इस पहल से बहुत खुश हैं, जिसे बीएसएफ ने उनकी गरिमा सुनिश्चित करने के लिए शुरू की है। कमांडेंट ने कहा कि बल ने इन सुविधाओं को स्थापित करने के लिए अपने स्वयं के धन का उपयोग किया। उन्होंने कहा कि बीएसएफ स्थानीय लोगों के लिए है। सीमा सुरक्षा के अलावा, यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है कि हम स्थानीय लोगों की हरसंभव मदद करें।
मधुमक्खी के छत्ते लगाने की अनूठी पहल भी की थी
बता दें कि बीएसएफ की इस बटालियन ने पिछले साल नवंबर में अंतरराष्ट्रीय सीमा बाड़ पर मधुमक्खी के छत्ते लगाने की एक अनूठी पहल भी शुरू की थी। इसका उद्देश्य सीमा सुरक्षा के साथ मधुमक्खी पालन के जरिए स्थानीय आबादी को स्वरोजगार से जोडऩा था। इन अनूठे विचारों के साथ, इस बटालियन ने एक अनूठा 'माडल 32Ó बनाने का गौरव हासिल किया है, जिस पर केंद्रीय गृह मंत्रालय भी सीमा क्षेत्रों के लिए अपनी नागरिक-संबंध समीक्षा के दौरान चर्चा कर रहा है। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ये कुछ ऐसी पहल हैं जो स्थानीय लोगों का विश्वास जीतने का काम करती हैं, जो भारत की सीमाओं को सुरक्षित रखने में हमारे सबसे बड़े हितधारक हैं।