MGNrega Scam: बंगाल में अब मनरेगा में व्यापक फर्जीवाड़ा, 25 लाख फर्जी जॉब कार्ड बनाकर करोड़ों का हेरफेर
बंगाल में मवेशी तस्करी शिक्षक भर्ती पालिका भर्ती तथा राशन आवंटन घोटाले के बाद अब महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) में व्यापक फर्जीवाड़ा सामने आया है। मनरेगा कोष के गबन की जांच के सिलसिले में मंगलवार को ईडी ने राज्य में पहली बार कई स्थानों पर एक साथ छापेमारी की। इस फर्जीवाड़े में वरिष्ठ पूर्व व वर्तमान सरकारी अधिकारियों की संलिप्तता सामने आई है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल में मवेशी तस्करी, शिक्षक भर्ती, पालिका भर्ती तथा राशन आवंटन घोटाले के बाद अब महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) में व्यापक फर्जीवाड़ा सामने आया है। मनरेगा कोष के गबन की जांच के सिलसिले में मंगलवार को ईडी ने राज्य में पहली बार कई स्थानों पर एक साथ छापेमारी की।
सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों ने मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा व हुगली जिले के धनेखाली में दर्ज एफआइआर के आधार पर चार जिलों उत्तर 24 परगना, हुगली, झाड़ग्राम व मुर्शिदाबाद में छह जगहों पर छापेमारी की। जानकारी के मुताबिक ईडी को पता चला है कि लगभग 25 लाख फर्जी जॉब कार्ड बनाकर करोड़ों रुपये का हेरफेर किया गया है।
कई अधिकारियों की संलिप्तता आई सामने
इस फर्जीवाड़े में वरिष्ठ पूर्व व वर्तमान सरकारी अधिकारियों की संलिप्तता सामने आई है। माना जा रहा है कि पिछले तीन-चार वर्षों में यह फर्जीवाड़ा किया गया है। कोलकाता से सटे साल्टलेक के आइए ब्लाक में एक पूर्व खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) के आवास पर छापा मारा गया। मुर्शिदाबाद जिले के बहरमपुर में एक डिप्टी मजिस्ट्रेट संचयन पान से जुड़ी संपत्ति की तलाशी ली गई है। ईडी ने बहरमपुर में निष्कासित पंचायत कर्मचारी रथींद्र कुमार दे से पूछताछ की।
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बताते चलें कि कुछ वर्ष पूर्व भ्रष्टाचार के आरोप में रथींद्र कुमार को निष्कासित किया गया था। उस पर गबन के पैसे विभिन्न बैंक खातों में स्थानांतरित करने का आरोप है। इसमें से उसने 17 लाख रुपये अपनी एक महिला मित्र के बैंक खाते में भेजे थे। 2020 में कुछ अज्ञात कारणों से इस मामले की जांच प्रक्रिया रुक गई थी।
वहीं, तलाशी अभियान के दौरान ईडी के अधिकारी गलती से हुगली जिले के चुंचुड़ा में एक व्यवसायी के आवास पर चले गए थे। हालांकि, गलती का एहसास होने पर वे वहां से लौट गए।
ईडी के छापे प्रतिशोध की राजनीति
तृणमूल की वरिष्ठ नेता व मंत्री शशि पांजा ने ईडी की छापेमारी को प्रतिशोध की राजनीति और राज्य का बकाया दिए जाने की मांग को लेकर पार्टी के जारी धरने से ध्यान हटाने का कदम करार दिया है। हालांकि, भाजपा के राज्य प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने इन आरोपों को निराधार बताया।
उन्होंने कहा कि वास्तविकता यह है कि तृणमूल का हर नेता भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहा है। सुवेंदु ने 373 करोड़ की हेराफेरी की शिकायत कीबंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने मंगलवार को ममता बनर्जी सरकार पर 15वें वित्त आयोग द्वारा प्रदान की गई निधि में से 373 करोड़ रुपये की राशि की हेराफेरी का आरोप लगाया।
उन्होंने दावा किया कि 373 करोड़ रुपये का इस्तेमाल नगर पालिकाओं के बिजली बिलों के भुगतान में किया गया। इसके अलावा अधिकारी ने राज्य में मनरेगा श्रमिकों के बकाया पारिश्रमिक के भुगतान को लेकर राज्य सरकार द्वारा तैयार मानक संचालक प्रक्रिया (एसओपी) संबंधी पत्र को सार्वजनिक करते हुए दावा किया कि इसमें राज्य सरकार ने फर्जी रोजगार कार्ड होने की बात स्वीकार की है।