जादवपुर यूनिवर्सिटी रैगिंग कांड में सनसनीखेज खुलासा, मौत से पहले छात्र का हुआ था यौन उत्पीड़न
स्वपनदीप की जेयू के छात्रावास की बालकनी से संदिग्ध हालात में गिरकर मौत हो गई थी। इस मामले में जेयू के दो छात्रों व एक पूर्व छात्र गिरफ्तार किया गया है। सभी इस समय पुलिस हिरासत में हैं। अनन्या ने सवाल किया कि जेयू परिसर में सीसीटीवी कैमरे क्यों नहीं लगे हैं? यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों का उल्लंघन है। जेयू के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। जादवपुर यूनिवर्सिटी (जेयू) रैगिंग कांड में सनसनीखेज खुलासा हुआ है। जांच में पता चला है कि मौत से पहले स्वपनदीप कुंडु का यौन उत्पीड़न हुआ था। उसके शव को नग्न अवस्था में पाया गया था। शरीर पर जगह-जगह सिगरेट से दागे जाने के निशान भी मिले हैं। इसे देखते हुए पश्चिम बंगाल बाल अधिकार सुरक्षा आयोग (डब्ल्यूबीसीपीसीआर) ने मामले को पाक्सो एक्ट के तहत लाने की मांग की है।
डब्ल्यूबीसीपीसीआर की सलाहकार अनन्या चक्रवर्ती ने बताया कि स्वपनदीप ने मौत से पहले अपने भाई को फोन करके बताया था कि उसे 'समलैंगिक' कहा जा रहा है। यह मामला यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आता है। मृतक की उम्र 18 वर्ष से कम थी इसलिए पाक्सो एक्ट के तहत मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
जेयू परिसर में सीसीटीवी कैमरे क्यों नहीं लगे हैं?
छात्रावास की बालकनी से संदिग्ध हालात में गिरकर हुई थी छात्र की मौत
स्वपनदीप की जेयू के छात्रावास की बालकनी से संदिग्ध हालात में गिरकर मौत हो गई थी। इस मामले में जेयू के दो छात्रों व एक पूर्व छात्र गिरफ्तार किया गया है। सभी इस समय पुलिस हिरासत में हैं। अनन्या ने सवाल किया कि जेयू परिसर में सीसीटीवी कैमरे क्यों नहीं लगे हैं? यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियमों का उल्लंघन है। जेयू के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कलकत्ता हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर
इस मामले को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। हाई कोर्ट के अधिवक्ता सायन बनर्जी द्वारा दायर इस जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि यूजीसी द्वारा लागू रैगिंग-रोधी नियमों को बंगाल के सभी राज्य विश्वविद्यालयों के परिसरों में न्यूनतम स्तर पर भी लागू नहीं किया जा रहा है। याचिका स्वीकार कर ली गई है और मामले पर इसी सप्ताह मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायाधीश हिरणमय भट्टाचार्य की खंडपीठ में सुनवाई होगी।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बंगाल सरकार से मांगी रिपोर्ट
इस बीच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए बंगाल सरकार से इसपर रिपोर्ट मांगी है। आयोग की तरफ से राज्य के मुख्य सचिव हरिकृष्ण द्विवेदी को नोटिस भेजकर चार सप्ताह के अंदर रिपोर्ट जमा करने को कहा गया है। आयोग ने रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख करने को कहा है कि बंगाल सरकार की ओर से रैंगिंग की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। इसी तरह जेयू के रजिस्ट्रार को भी नोटिस भेजकर रिपोर्ट मांगी गई है। दूसरी तरफ जेयू प्रबंधन ने यूजीसी को रिपोर्ट भेजकर सूचित किया है कि उसने इस मामले में अबतक क्या-क्या कदम उठाए हैं।