Ukraine Russia War: 'जंग रोकने में बड़ी भूमिका निभा सकता है भारत', रूस-यूक्रेन युद्ध पर अमेरिकी राजदूत ने कही ये बात
कोलकाता में शिक्षा पर आयोजित कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए गार्सेटी ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भारत की बढ़ती भूमिका का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने शुक्रवार को कहा कि रूस और यूक्रेन के साथ मजबूत संबंध रखने वाला भारत दोनों देशों के बीच संघर्ष को सुलझाने में एक बड़ी भूमिका निभा सकता है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने शुक्रवार को कहा कि रूस और यूक्रेन के साथ मजबूत संबंध रखने वाला भारत दोनों देशों के बीच संघर्ष को सुलझाने में एक बड़ी भूमिका निभा सकता है। इस मामले पर निर्णय लेना विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र पर निर्भर करता है।
उन्होंने कहा कि हम किसी भी देश का स्वागत करते हैं जो किसी अन्य देश की सीमाओं की संप्रभुता में बाधा डालने वाले और निर्दोष नागरिकों को बहुत पीड़ा पहुंचाने वाले अनुचित आक्रमण के खिलाफ खड़ा होता है।
अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भारत की बढ़ती भूमिका का स्वागत- गार्सेटी
कोलकाता में शिक्षा पर आयोजित कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए गार्सेटी ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भारत की बढ़ती भूमिका का स्वागत किया। अमेरिकी राजदूत ने भारतीय महासागर में समुद्री डाकुओं द्वारा अपहृत मालवाहक जहाजों को छुड़ाने के लिए भारतीय नौसेना की साहसिक कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा कि भारत ग्लोबल साउथ के सशक्तीकरण में भी बहुत अच्छा काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि हम विश्व में किसी भी युद्ध के बेहतर समाधान के लिए भारत द्वारा निभायी जाने वाली किसी भी भूमिका का स्वागत करते हैं।अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सबसे बुनियादी सिद्धांत सीमाओं की संप्रभुता
संवाददाताओं से बात करते हुए गार्सेटी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सबसे बुनियादी सिद्धांत सीमाओं की संप्रभुता है। हमने सीमा के मसले पर भारत का समर्थन किया है। अमेरिकी राजदूत ने कहा कि पिछले साल जब जुलाई में भारत के पूर्वोत्तर पर बात की थी, तो उनकी बात को गलत समझा गया था, जहां मणिपुर में अशांति देखी जा रही है।
गार्सेटी ने कहा कि मैंने सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कही कि मनुष्य के रूप में, जब हम कहीं भी पीड़ा देखते हैं, चाहे वह अमेरिका में हो, भारत में हो या किसी तीसरे देश में, तो हमें पीड़ा होती है।
उन्होंने दोहराया कि यह भारत का मुद्दा है जिसे भारत और भारतीयों को सुलझाना है, न कि अमेरिका को। उन्होंने कहा कि हम पूर्वोत्तर से प्यार करते हैं और अगर भारत सरकार स्वास्थ्य, आर्थिक विकास, युवा सशक्तीकरण के मामले में हमसे मदद मांगती है, तो हम पूर्वोत्तर में किसी भी (इनमें से किसी भी मुद्दे) पर सहायता करने के लिए तैयार हैं।
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