'सबूत नष्ट करने के लिए सैनिकों की पोशाक में जाधवपुर यूनिवर्सिटी आए थे युवक-युवतियां', सरकारी अधिवक्ता का दावा
West Bengal जादवपुर यूनिवर्सिटी (जेयू) के परिसर में सैनिकों की पोशाक पहनकर कुछ युवक-युवतियों के प्रवेश करने के मामले में सरकारी अधिवक्ता ने अदालत में दावा किया है। उन्होंने कोर्ट में कहा कि वे जेयू रैगिंग कांड के सबूतों को नष्ट करने के लिए आए थे। हालांकि दूसरी तरफ उन युवक-युवतियों का कहना है कि वे एशियाई हिडमैन राइट्स सोसाइटी नामक स्वयंसेवी संगठन के कार्यकर्ता हैं।
पुलिस ने स्वयंसेवी संगठन के प्रमुख को किया गिरफ्तार
बता दें कि पुलिस ने इस मामले में स्वयंसेवी संगठन के प्रमुख काजी सादिक हुसैन को गिरफ्तार किया है। कानून के जानकारों के मुताबिक, सादिक हुसैन पर सुबूतों को छिपाने अथवा नष्ट करने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 201 व मिथ्या व्यक्तित्व के लिए धारा 205 के तहत मुकदमा दायर किया जा सकता है।सबूत को नष्ट करने के इरादे से आए थे- सरकारी अधिवक्ता
सरकारी अधिवक्ता ने कहा कि जेयू के छात्रावास की बालकनी से जिस जगह पर गिरकर स्वपनदीप कुंडु नामक छात्र की मौत हुई थी, युवक-युवतियां उस जगह पर मौजूद किसी सबूत को नष्ट करने के इरादे से आए थे। सादिक हुसैन ने इस मामले की जांच में किसी तरह का सहयोग नहीं किया। उनके घर की तलाशी लेने पर सेना का एक परिचय पत्र व कुछ कागजात बरामद हुए हैं।
सादिक हुसैन के वकील ने रखा पक्ष
हाई कोर्ट ने खारिज की याचिका
कलकत्ता हाई कोर्ट ने जादवपुर यूनिवर्सिटी (जेयू) में उपयुक्त शैक्षणिक परिवेश सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने का अनुरोध करते हुए दायर की गई जनहित याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि अदालत जेयू से जुड़े कई मुद्दों पर पहले ही जनहित याचिकाओं को स्वीकार कर चुकी है। एक ही मुद्दे पर कई याचिकाओं को स्वीकार करना इस अदालत के समक्ष पहले ही उठाये जा चुके उन मुद्दों को कमजोर करेगा, जिनपर विचार किया जा चुका है।हाई कोर्ट ने जताई आपत्ति
खंडपीठ ने कहा- 'हम इस याचिकाकर्ता के आग्रह पर एक अलग याचिका स्वीकार करने का कोई आधार नहीं पाते हैं, जिन्होंने इसके एक जनहित याचिका होने का दावा किया है। हाई कोर्ट ने केवल अखबारों की खबरों के आधार पर कुछ वादियों द्वारा जनहित याचिकाएं दायर किए जाने पर भी आपत्ति जताई।