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Jagran Exclusive: क्या उम्र बढ़ाने में मदद करती है Taurine? कोलंबिया यूनिवर्सिटी की स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा

अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने एक स्टडी किया है जिससे लोगों को हेल्दी और उनके जीवन की अवधि को बढ़ाने में मदद मिलेगी। इस स्टडी का नेतृत्व असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विजय यादव ने की है। जागरण न्यू मीडिया के प्रधान संपादक राजेश उपाध्याय ने इसे लेकर उनसे खास बातचीत की है।

By Jagran NewsEdited By: Achyut KumarUpdated: Fri, 27 Oct 2023 07:06 PM (IST)
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Taurine आपको स्वस्थ और दीर्घायु रहने में मदद कर सकता है: Columbia Study
राजेश उपाध्याय। Jagran Exclusive: पूरी दुनिया के वैज्ञानिक लगातार इस बात पर रिसर्च कर रहे हैं कि कैसे मनुष्य को हेल्दी और उनकी लाइफ को बढ़ाया जाए। इसी कड़ी में अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में मनुष्य के शरीर में होने वाले परिवर्तनों पर एक स्टडी की गई है। इस स्टडी में मनुष्य के शरीर के अंदर की काफी उपयोगी जानकारी सामने आई है। शरीर को हेल्दी और लाइफ पीरियड को बढ़ाने में टौरीन की भूमिका का पता चला है।

डॉ. विजय यादव ने किया स्टडी का नेतृत्व

कोलंबिया यूनिवर्सिटी में रिसर्चर और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विजय यादव ने इस स्टडी का नेतृत्व किया। इस स्टडी में लंबे और स्वस्थ्य जीवन को बढ़ावा देने के लिए टौरीन की क्षमता पर प्रकाश डाला गया। जागरण न्यू मीडिया के प्रधान संपादक राजेश उपाध्याय ने अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी के इरविंग मेडिकल सेंटर परिसर में टौरीन को लेकर डॉ. विजय यादव से खास बातचीत की है। डॉ. विजय उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के रहने वाले हैं।

2012 में शुरू किया रिसर्च

रिसर्च को 2012 में शुरू किया गया। इस शोध में उम्र बढ़ने पर टौरीन के प्रभाव का पता लगाया गया। टौरीन के प्रभावों की जांच करने के लिए इसे मध्यम आयु वर्ग के चूहों और अन्य पशुओं को दिया गया, जो आमतौर पर उम्र बढ़ने की प्रक्रियाओं का अध्ययन करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।

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स्टडी से पता चला कि टौरीन से जानवर ज्यादा जीने लगे। इसके साथ ही उनकी हड्डियां मजबूत हुईं और याददाश्त में सुधार हुआ। मांसपेशियों की ताकत में वृद्धि और मधुमेह के खतरे में कमी जैसे परिणाम भी सामने आए।

बंदरों पर किया गया परीक्षण

जानवरों के बाद टौरीन का परीक्षण बंदरों पर किया गया, क्योंकि बंदरों को इंसानों के काफी करीब माना जाता है। टौरीन से बंदरों के शरीर का वजन, मोटापा और सूजन कम हो गई। इसके साथ ही, ब्लड में ऑक्सीडेटिव तनाव होना भी बहुत कम हो गया।

बंदरों के बाद इंसानों में किया गया परीक्षण

डॉ. विजय ने बताया कि बंदरों के बाद हमने 60 साल की आयु के व्यक्तियों में टौरीन के स्तर और स्वास्थ्य के बीच संबंधों का आकलन करते हुए मनुष्यों पर अपना ध्यान केंद्रित किया। करीब 1200 लोगों पर हमने टौरीन और मेटाबोलाइट स्तर को मापा। हमने पाया कि उच्च टौरीन स्तर वाले लोगों में मोटापा, बीएमआई, टाइप-2 मधुमेह, सूजन और ब्लड प्रेशर भी कम था। कुल मिलाकर कम टौरीन स्तर वाले लोगों की तुलना में उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ था।

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स्टडी के निष्कर्ष से पता चलता है कि टौरीन की कमी उम्र बढ़ने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। टौरीन से हेल्दी और ज्यादा लाइफ मिलती है।

क्या है टौरीन?

टौरीन एक रसायन है। यह शरीर में प्रोटीन बनाने में मदद करता है। इसे एमिनो सल्फोनिक एसिड के रूप में जाना जाता है। यह हृदय, रेटिना, ब्रेन और शरीर के प्लेटलेट्स में पाया जाता है। इसका सबसे अच्छा स्रोत मछली और मांस है।