US:: क्या अमेरिका-चीन के बीच खत्म होगी तकरार?, बाइडेन और जिनपिंग के बीच नवंबर में होगी बैठक
US व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव कैरिन जीन-पियरे ने मंगलवार (स्थानीय समय) को घोषणा की कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन नवंबर में सैन फ्रांसिस्को में चीनी समकक्ष शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे। इसे लेकर बाइडन काफी उत्सुक हैं। इस बाबत जब कैरिन से दोबारा पूछा गया कि बैठक के पीछे कारण क्या है तो उन्होंने इसके बारे में उचित प्रकार विपवरण देने से इनकार किया।
एएनआई, वाशिंगटन। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव कैरिन जीन-पियरे ने मंगलवार (स्थानीय समय) को घोषणा की, कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन नवंबर में सैन फ्रांसिस्को में चीनी समकक्ष शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे। इसे लेकर बाइडन काफी उत्सुक हैं।
एजेंसी के मुताबिक, मंगलवार को एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए, कैरिन जीन-पियरे ने कहा कि राष्ट्रपति बाइडेन शी जिनपिंग से मिलने के लिए उत्सुक हैं। यही कारण है कि मैं मिलने नहीं जा रहा हूं। नवंबर में होने वाली यह बैठक सैन फ्रांसिस्को में होगी।
आने वाले दिनों में देखना होगा बैठक किस ओर मोड़ लेती है
इस बाबत जब कैरिन से दोबारा पूछा गया कि बैठक के पीछे कारण क्या है तो उन्होंने इसके बारे में उचित प्रकार विपवरण देने से इनकार किया। इसके बाद अन्य पत्रकारों ने जब जीन-पियरे से दबाव डालकर पूछा तो उन्होंने कहा कि अमेरिका चीन के संबंध में अपनी नीति को लेकर स्पष्ट है। यह महज एक बैठक है, उन्होंंने कहा कि हमारी नीति और हम चीन के साथ कैसे आगे बढ़ते हैं, इसे लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि बैठक किस ओर मोड़ लेती है।
यह भी पढ़ें- Israel Hamas War: हूथी विद्रोहियों ने इजरायल को दी धमकी, कहा- गाजा पर हमला बंद नहीं किया तो...
मैं किसी भी निर्णय में शामिल नहीं हो रहा: प्रेस सचिव कैरिन
उन्होंने वार्ता को लेकर कहा कि मैं इस पर किए गए किसी भी प्रकार के निर्णय में शामिल नहीं होने जा रहा हूं। यह राजनयिकों को लेकर बातचीत होगी। अक्सर देखा गया है कि लगभग तीन सचिव चीन जाते हैं और ये राजनयिक बातचीत करते हैं। हमने सचिव एंटनी ब्लिंकन को देखा, और हमने भी देखा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन चीन में अपने समकक्षों के साथ महत्वपूर्ण राजनयिक बातचीत कर रहे हैं।
बता दें, अमेरिका-चीन संबंधों में 2018 में खटास शुरू हुई जब ट्रम्प प्रशासन ने 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर के चीनी सामानों पर भारी टैरिफ लगा दिया। अधिकारों के हनन, दक्षिण चीन सागर, ताइवान, प्रौद्योगिकी और सीओवीआईडी -19 महामारी सहित कई मुद्दों पर संबंध और भी खराब हो गए।