Wheel Balancing क्यों है जरूरी और इसे करवाते समय किन बात का ध्यान रखना चाहिए?
कई बार कार के पंचर होने पर स्पीड ब्रेकर पर अचानक ब्रेक लगने पर ऑफ-रोड राइड करने पर व्हील बैलेंस खराब हो जाता है। टायर्स के लिए व्हील एलाइनमेंट काफी जरुरी होता है। अगर आपकी कार एक ओर जा रही है या ठीक तरह से ड्राइविंग नहीं हो रही है या फिर स्टीयरिंग में कंपन सा लगता है तो व्हील एलाइनमेंट को ठीक कर सकता है।
नई दिल्ली,ऑटो डेस्क। कार में टायर सबसे अहम भूमिका निभाता है। इसके कारण आपकी कार चलती है। लेकिन क्या आप जानते हैं आप कुछ छोटी -छोटी बातों का ख्याल रखकर कार के टायर को सही रख सकते हैं। जैसे लाइफ में बैलेंस जरूरी होता है वैसे ही व्हील बैलेंसिंग भी जरुरी होता है।
कई बार कार के पंचर होने पर , स्पीड ब्रेकर पर अचानक ब्रेक लगने पर, ऑफ-रोड राइड करने पर व्हील बैलेंस खराब हो जाता है। इसलिए आज इस खबर के माध्यम से हम आपको ये बताने जा रहे हैं कि व्हील बैलेंसिंग होता क्या है और इसे किया कैसे जाता है।
कैसे होती है व्हील बैलेंसिंग
- सबसे पहले कार के चारो टायरों को निकाला जाता है। इसके बाद उसे कंप्यूटराइज्ड व्हील बैलेंस पर रखा जाता है। जहां चारों टायरों की स्थिति को देखा जाता है।
- उसके बाद बैलेंस चेक करने वाली मशीन एक-एक करके सभी टायरों का वजह और बैलेंस चेक करती है और किसी टायर का बैलेंस सही नहीं रहता है तो उसकी पहचान करती है।
- जिस टायर में कमी पाई जाती है उसे ठीक करके फिर गाड़ी में लगा दिया जाता है।
व्हील एलाइनमेंट
टायर्स के लिए व्हील एलाइनमेंट काफी जरुरी होता है। अगर आपकी कार एक ओर जा रही है या ठीक तरह से ड्राइविंग नहीं हो रही है या फिर स्टीयरिंग में कंपन सा लगता है तो व्हील एलाइनमेंट को ठीक कर सकता है।
टायर रोटेशन
टायर रोटेशन कराते रहने के कई फायदे होते हैं। ये आपके सेफ्टी के लिए भी जरुरी होता है। टायर रोटेशन कराते समय ये फायदा होता है कि सभी टायर्स बराबर नहीं घिसते नहीं है। आगे वाले टायर अधिक घिसते हैं और पीछे वाले कम घिसते हैं क्योंकि कार में आगे वजन अधिक होता है। टायर रोटेशन से टायर का बराबर घिसना जरुरी होता है।
कब कराएं टायर रोटेशन
हमेशा टायर रोटेशन 8 से 10 हजार किलोमीटर तक करा लेना चाहिए। टायर के रोटेशन के लिए यह सही समय होता है। टायर रोटेशन के दौरान कार के आगे वाले टायर को पीछे कर दिया जाता है और पीछे वाले टायर को आगे लगा दिया जाता है।
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