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ज्यादा माइलेज के लिए होंडा, सुजुकी और यामाहा इस टेक्नोलॉजी का करती हैं इस्तेमाल

होंडा की HET टेक्नोलॉजी, यामाहा की ब्लू कोर टेक्नोलॉजी और सुजुकी की SEP टेक्नोलॉजी के बारे में हमने सुना ही होगा। आज इन सभी के बारे में बात करेंगे और जानेंगे कि आखिर ये टेक्नोलॉजी कैसे काम करती हैं।

By Bani KalraEdited By: Updated: Mon, 24 Jul 2017 05:36 PM (IST)
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ज्यादा माइलेज के लिए होंडा, सुजुकी और यामाहा इस टेक्नोलॉजी का करती हैं इस्तेमाल

नई दिल्ली (जेएनएन) टू-व्हीलर निर्माता कंपनियां अपने स्कूटर और बाइक की परफॉरमेंस और माइलेज को बढ़ाने के लिए नई-नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही हैं। होंडा की HET टेक्नोलॉजी, यामाहा की ब्लू कोर टेक्नोलॉजी और सुजुकी की SEP टेक्नोलॉजी के बारे में हमने सुना ही होगा। आज इन सभी के बारे में बात करेंगे और जानेंगे कि आखिर ये टेक्नोलॉजी कैसे काम करती हैं।

यामाहा की ब्लूकोर टेक्नोलॉजी 
इसमें इंजन के कुछ पार्ट्स को इम्प्रूव किया जाता है। इंजन के इनटेक पोर्ट, कम्बस्चन चैम्बर, एडवांस्ड इलेक्ट्रिक चार्जिंग सिस्टम के साथ मूविंग पार्ट्स और मफ्लर को हल्का किया जाता है। जिसकी मदद से इंजन बेहद कुशल ढंग से काम करता है, इसके अलावा इंजन के ECM (इंजन कण्ट्रोल मॉड्यूल) में भी बदलाव करके पिकअप को कम किया जाता है। नतीजा फ्यूल की खपत कम होती है जिसकी मदद से ज्यादा माइलेज मिलती है लेकिन इंजन की परफॉरमेंस में कोई कमी नहीं आती साथ ही राइडिंग क्वालिटी भी बेहतर बनती है।

होंडा की HET टेक्नोलॉजी
होंडा इको टेक्नोलॉजी जिसे HET से नाम से जाना जाता है यह टेक्नोलॉजी भी इसी नियम पर काम करती है इस टेक्नोलॉजी की मदद से बाइक हो या स्कूटर बेहतर माइलेज देते हैं साथ ही साथ इनकी परफॉरमेंस में भी सुधार आता है।

सुजुकी की SEP टेक्नोलॉजी
सुजुकी की SEP (सुजुकी इको परफॉरमेंस) भी इसी नियम का पालन करती है इसमें इंजन को हल्का किया गया है साथ ही इसकी कूलिंग सिस्टम को बेहतर किया हैऔर कम्प्रेशन रेशो को ज्यादा किया है साथ ही कम्बस्चन को इम्प्रूव किया है ताकि इंजन ज्यादा बेहतर काम करे और फ्यूल की खपत को कम करके माइलेज को बढ़ाये।

ऑटो एक्सपर्ट टूटू धवन के अनुसार होंडा की HET टेक्नोलॉजी, सुजुकी की SEP टेक्नोलॉजी और यामाहा की ब्लू कोर टेक्नोलॉजी ये सभी टेक्नोलॉजी एक समान है, बस टेक्नोलॉजी को अलग-अलग नाम दे दिया गया है इस तरह की टेक्नोलॉजी में इंजन के ECM (इंजन कण्ट्रोल मॉड्यूल) के सॉफ्टवेयर में बदलाव किये जाते हैं जिसकी वजह से गाड़ी का पिकअप थोड़ा कम करके उसकी माइलेज को बढ़ाया जाता है। इस तरह की टेक्नोलॉजी भारत के अलावा विदेशों में भी बेहद पॉपुलर है।