गाड़ी के टायर को ऐसे रखें मेंटेन, जानिए व्हील एलाइमेंट, बैलेंसिंग और रोटेशन की क्या है भूमिका?
अगर आपकी कार एक ओर जा रही है या ठीक प्रकार ड्राइविंग नहीं हो रही है या फिर स्टीयरिंग में कंपन हैं तो व्हील एलाइनमेंट इन परेशानियों को ठीक कर सकता है। अगर गाड़ी चलाते समय कंपन महसूस कर रहे हैं तो इसको नजरअंदाज न करें। (जागरण फोटो)
By Atul YadavEdited By: Atul YadavUpdated: Mon, 20 Feb 2023 10:58 AM (IST)
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। प्रत्येक वाहन मालिकों को अपने गाड़ी के बारे में जानना जरूरी है। इसलिए हमारी कोशिश रहती है कि आपको गाड़ी से जुड़ी उन चीजों के बारे में बताया जाए जिसे जानना काफी महत्वपूर्ण है। ताकि, गाड़ी की लाइफ लंबी रहे। इस खबर में आपको बताने जा रहे हैं गाड़ी के टायरों के बारे में जहां आपको समझाएंगे कि, बैलेंसिंग और रोटेशन क्या होता है।
व्हील एलाइनमेंट
व्हील एलाइनमेंट टायर्स के लिए बहुत ज्यादा जरूरी होती है। अगर आपकी कार एक ओर जा रही है या ठीक प्रकार ड्राइविंग नहीं हो रही है या फिर स्टीयरिंग में कंपन हैं तो व्हील एलाइनमेंट इन परेशानियों को ठीक कर सकता है। अगर गाड़ी चलाते समय कंपन महसूस कर रहे हैं तो इसको नजरअंदाज न करें। समय रहते टायर को ठीक करवाएं।व्हील बैलेंसिंग
स्टीयरिंग कंपन असंतुलित टायर की वजह से होती है तो इसे ठीक करने के लिए व्हील बैलेंसिंग बहुत ज्यादा जरूरी है। इसका बैलेंस करने के लिए व्हील को तेज स्पीड में रोटेट किया जाता है। वजन को फिर से बैलेंस करने के लिए रिम में जोड़ा जाता है। वाहन मालिकों को प्रत्येक 10 हजार किमी पर अपने टायर को बैलेंस करवाना चाहिए। इससे गाड़ी टायर की लाइफ तो बढ़ेगी ही साथ ही साथ गाड़ी का माइलेज भी अच्छा मिलेगा।व्हील रोटेशन क्या होता है
व्हील रोटेशन को प्रत्येक 2000 किलोमीटर पर चेक करवाते रहना चाहिए। क्योंकि, कार के अगले हिस्से के पहियों पर सबसे अधिक भारत रहता है। सबसे अधिक भार अगले टायर पर होने की वजह गाड़ी का इंजन है। पिछले पहियों की तुलना में आगे के पहियों के रोटेशन में अधिक समस्या पाई जाती है। क्रॉस रोटेशन सबसे सही माना जाता है। यानी कि आगे के दोनों पहियों को पिछे पहिए से क्रॉस पोजिशन में रिप्लेस करें।