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Bihar News: बिहार के लोगों की मौज, आरा समेत 18 शहरों में खुलेंगे FM चैनल; यहां पढ़ें पूरी लिस्ट

बिहार के लोगों के लिए अच्छी खबर सामने आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के 18 शहरों में एफएम चैनल खोलने की मंजूरी दे दी है। कहें तो बिहार में फिर से रेडियो का दौर फिर से शुरू होने वाला है। इसपर आप स्थानीय भाषा समेत हिंदी और भोजपुरी के गाने सुन सकेंगे। घर में बैठी महिलाओं के लिए लोकगीत भी पेश किए जाएंगे।

By Kanchan Kishore Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Thu, 29 Aug 2024 11:26 AM (IST)
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बिहार के 18 शहरों में एफएम चैनल खुलेंगे (जागरण फोटो)

जागरण संवाददाता, आरा। आरा समेत बिहार के 18 जिलों में रेडियो का दौर फिर लौटने वाला है। सफर में हों या घर पर या कहीं और, बोरियत दूर करने में रेडियो आपका साथी बनेगा और भोजपुरी एवं हिंदी में तराने सुनाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने निजी एफएम रेडियो चरण तीन नीति के तहत देशभर के 234 नए शहरों एफएम चैनल स्थापना की मंजूरी दी।

बिहार के 18 और शहरों में खुलेंगे एफएम चैनल

बिहार के आरा, औरंगाबाद, बगहा, बेगूसराय, बेतिया, भागलपुर, बिहारशरीफ, छपरा, दरभंगा, गया, किशनगंज, मोतिहारी, मुंगेर, पूर्णिया, सहरसा, सासाराम, सिवान, सीतामढ़ी में एफएम चैनल (FM Channel) खुलेंगे।

बक्सर में पहले से ही एफएम बैंड स्थापित है और यहां विविध भारती के साथ एफएम रेनवो पर गाने और जरूरी जानकारी श्रोताओं को साझा की जाती है।

पहले एंम्प्लीट्यूड माड्यूलेशन पर आधारित रेडियो स्टेशन होते थे, तब पटना आकाशवाणी और विविधभारती के स्टेशन से प्रसारित काय्रक्रम आरा में भी सुनाई देते थे। लगभग 15 वर्षों से रेडियो स्टेशन का प्रसारण फ़्रीक्वेंसी मॉड्यूलेशन(एफएम) पर लाया गया।

इससे प्रसारण की गुणवत्ता में व्यापक सुधार हुआ और रेडियो में बैंड बदलना बंद हुआ। हालांकि, एफएम बैंड में प्रसारण का दायरा कम होने से इसकी फ्रिक्वेंसी आरा में नहीं पकड़ती है। इस वजह से विगत डेढ़ दशक से शहर में रेडियो का प्रचलन लगभग बंद हो गया है। कुछ रेडियो के बहुत शौकीन लोग इंटरनेट से जोड़कर रेडियो सुनते हैं, लेकिन इसमें डेटा का खर्च ज्यादा होता है।

आरा में लंबे समय से एफएम रेडियो स्थापित करने की मांग कर रहे थे

ऐसे में आरा में लंबे समय से एफएम रेडियो स्थापित करने की मांग चल रही थी। सरकार का मानना है कि निजी एफएम रेडियो की शुरुआत से इन शहरों/कस्बों में एफएम रेडियो की अधूरी मांग पूरी होगी। इससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, स्थानीय बोली और संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही ''वोकल फॉर लोकल'' पहल को बढ़ावा मिलेगा।

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