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Darbhanga News: दरभंगा में तीन दिवसीय विद्यापति पर्व शुरू, सांसद से लेकर विधायक तक ने लिया भाग

दरभंगा में तीन दिवसीय विद्यापति पर्व शुरू हो रहा है। इस मौके पर सांसद गोपाल जी ठाकुर विधायक संजय सरावगी के साथ पूर्व सांसद कीर्ति आजाद मौजूद रहे। सांसद डा.गोपाल जी ठाकुर ने कहा कि विद्यापति महान साहित्यकार थे। उनकी साहित्य को जिंदा रखने का कार्य विद्यापति सेवा संस्थान कर रही है। साथ ही मिथिला-मैथिली को भी जिंदा रखने का कार्य कर रही है। यह अतुलनीय है।

By Mrityunjay BhardwajEdited By: Sanjeev KumarUpdated: Sun, 26 Nov 2023 03:17 PM (IST)
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दरभंगा में तीन दिवसीय विद्यापति पर्व शुरू (जागरण)

जागरण संवाददाता, दरभंगा। दरभंगा में तीन दिवसीय विद्यापति पर्व शुरू हो रहा है। इस मौके पर सांसद गोपाल जी ठाकुर, विधायक संजय सरावगी के साथ पूर्व सांसद कीर्ति आजाद मौजूद रहे। 

सांसद डा.गोपाल जी ठाकुर ने कहा कि विद्यापति महान साहित्यकार थे। उनकी साहित्य को जिंदा रखने का कार्य विद्यापति सेवा संस्थान कर रही है। साथ ही मिथिला-मैथिली को भी जिंदा रखने का कार्य कर रही है। यह अतुलनीय है।

उन्होंने कहा कि एक मात्र विद्यापति हैं जिनका सम्मान सिर्फ मिथिलावासी ही नहीं पूरा देश और विश्व के लोग करते हैं। वे शनिवार की देर शाम एमएलएसएम कालेज में विद्यापति सेवा संस्थान की ओर आयोजित 51 वें मिथिला विभूति पर्व समारोह को संबोधित कर रहे थे।

नगर विधायक संजय सरावगी ने कहा कि मिथिला के विकास में सभी मिथिलावासियों का अहम योगदान रहा है, लेकिन बैद्यनाथ चौधरी बैजू के योगदान की तुलना किसी से नहीं की जा सकती है। मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए पृथक मिथिला राज्य का गठन जरूरी है और इसके लिए एकजुट होकर जोर लगाने की जरूरत है।

पूर्व सांसद कीर्ति आजाद ने दिया बयान

पूर्व सांसद कीर्ति आजाद ने कहा कि देश भर में मिथिला की सांस्कृतिक ललक जगाने में बैद्यनाथ चौधरी बैजू का अहम योगदान रहा है। मखान मिथिला की आर्थिक उन्नति का माध्यम बनेगा। निश्चित रूप से मिथिला राज्य भी बनेगा, जब मैथिली संविधान की अष्टम अनुसूची में शामिल हो गई है तो एक दिन यह भी दिन आएगा।

लेकिन इसके लिए एकता और एकजुटता अहम है। मिथिला राज्य के आंदोलन में मेरा पूरा सहयोग है। मिथिला की समस्याओं के निदान का एकमात्र रास्ता मिथिला राज्य का निर्माण ही है।

लनामिवि के कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि आज पूरी दुनिया में विद्यापति के नाम पर कार्यक्रम हो रहे हैं और सभी मिथिलावासी एक जगह एकत्रित होते हैं। विद्यापति मिथिलावासियों को एकसूत्र में बांधने का कार्य किए हैं।

कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शशिनाथ झा ने कहा कि मिथिला विद्यापति के कारण भारत की सांस्कृतिक विरासत और मानवीय मूल्यों के संवाहक के रूप में कार्य करती रही है। भारत की उत्ष्कृटता में भी मिथिला का अहम योगदान है। आज मिथिला क्षेत्र सबसे ज्यादा गरीबी का दंश झेल रहा है। केवल मखाना में एक करोड़ लोगों को रोजगार देने की क्षमता है।

समारोह की अध्यक्षता एमएलएसएम कालेज के प्रधानाचार्य डा. शंभू कुमार यादव ने की। इससे पहले अतिथियों का स्वागत विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा. बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने किया। उन्होंने मिथिला और मैथिली की यथास्थिति की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि यह अत्यंत खेद का विषय है कि मैथिली को भले ही संवैधानिक भाषा का दर्जा मिल गया है लेकिन वह राजनीतिक उपेक्षा का शिकार होकर अभी भी अपने अधिकार से वंचित है।

विशिष्ट योगदान देने वाले 22 लोगों को मिथिला विभूति सम्मानोपाधि

समारोह में 22 लोगों को मिथिला विभूति सम्मानोपाधि प्रदान किया गया। संस्कृत साहित्य के क्षेत्र विशिष्ट योगदान देने वाले डा. सुरेश्वर झा, डा. हरिहरराम त्रिपाठी, मैथिली साहित्य में डा. श्रीपति सिंह, लक्ष्मण झा सागर, तारानंद दास, कला क्षेत्र में जयप्रकाश नारायण पाठक व विक्रम बिहारी, मिथिला चित्रकला क्षेत्र में हेमा देवी, शिक्षा क्षेत्र में डा. हरि नारायण ठाकुर, पुष्पा कुमारी, सुमन कुमार ठाकुर एवं पूर्णेन्दु नाथ झा, समाजसेवा के क्षेत्र में विनीत कुमार झा, मदन यादव, रविंद्र कुमार झा मौजूद थे।

इनके अलावा सैन्य सेवा के क्षेत्र में अभिषेक चंद्र झा सैनिक, प्रशासनिक क्षेत्र में दरभंगा के पूर्व डीडीसी विवेकानंद झा, संस्थागत सम्मान शाश्वत मिथिला, अहमदाबाद, चिकित्सा क्षेत्र में डा. दिलीप कुमार झा, डा. संजय कुमार झा एवं डा. राजेश्वर दुबे को मिथिला विभूति सम्मानोपाधि प्रदान की गई।इसके पहले स्थानीय कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी। अतिथियों का स्वागत मिथिला की परंपरा के अनुसार किया गया। मंच संचालन पंडित कमलाकांत झा एवं मणिकांत झा ने किया।

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