इलेक्ट्रिक गाड़ियों का चार्जिंग कास्ट 30 प्रतिशत कम करेगा एमआइटी के छात्रों का यह प्रोजेक्ट
Muzaffarpur News एमआइटी के मैकेनिकल के फाइनल सेमेस्टर के पांच विद्यार्थियों की टीम ने मिलकर तैयार किया रिजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम नाम का प्रोजेक्ट। गाड़ी के ब्रेक लगने पर मैकेनिकल एनर्जी इलेक्ट्रिक एनर्जी में होगी परिवर्तित इससे चार्ज हो जाएगी बैट्री।
मुजफ्फरपुर, [अंकित कुमार]। वर्तमान समय में इलेक्ट्रिक गाडिय़ों का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है। गाडिय़ां तो बढ़ रही हैं, लेकिन इन्हें स्वत: चार्ज करने की तकनीक पर विशेष कार्य नहीं हो सका था। इस दिशा में मुजफ्फरपुर इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (एमआइटी) के मैकेनिकल ब्रांच के फाइनल सेमेस्टर के पांच विद्यार्थियों ने मिलकर चार्जिंग शुल्क को कम करने के लिए प्रोजेक्ट तैयार किया है। इस तकनीक के उपयोग से इलेक्ट्रिक गाडिय़ों को चार्ज करने के शुल्क में 30 प्रतिशत तक का बचत किया जा सकेगा।
रिजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम
टीम लीडर मो.हैदर अली के नेतृत्व में तैयार इस प्रोजेक्ट को रिजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम नाम दिया गया है। मो. हैदर अली ने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व तक साइकिल में पीछे के टायर में डायनमो का उपयोग कर उससे ऊर्जा उत्पन्न कर हेडलाइट जलाया जाता था। यह प्रोजेक्ट भी कुछ उसी तकनीक पर आधरित होगी। टीम में अन्य सदस्यों में गौरव कुमार, प्रीतम राज, राहुल रंजन कुमार और रंजन कुमार ने भी इस प्रोजेक्ट में सहयोग किया है।
इस तरह कार्य करेगी तकनीक
मो.हैदर अली ने बताया कि उदाहरण के लिए इलेक्ट्रिक कार से हम 100 किलोमीटर की यात्रा करते हैं। इस दौरान अगर हमें 30 बार ब्रेक लेना पड़ता है। तो इससे 30 प्रतिशत तक मैकेनिकल एनर्जी संरक्षित हो जाएगी। इसमें लगे संयंत्र की मदद से मैकेनिकल एनर्जी को इलेक्ट्रिक एनर्जी में परिवर्तित कर दिया जाएगा। इस एनर्जी की मदद से गाड़ी करीब 30 प्रतिशत तक स्वत: चार्ज हो जाएगी। बताया कि इस प्रोजेक्ट को डीएसटी मंत्रालय को भेजने की तैयारी की जा रही है। यदि स्वीकृति मिलती है तो इस पर आगे और शोध कर इसे वृहद स्तर पर तैयार किया जाएगा।
इन उपकरणों का किया गया है उपयोग
इस प्रोजेक्ट को तैयार करने में स्क्वायर आयरन बार, सालिड सिफ्ट, प्ल्मर ब्लाक, सीईंग मोटर, ब्रेक स्प्रींडल, पुल्ली, डीसी बैट्री 12 वोल्ट की, डीसी स्टेपअप माडयूल, डिजिटल एममीटर व वोल्टमीटर और डीसी मोटर का उपयोग किया गया है। इस प्रोजेक्ट को तैयार करने में करीब सात हजार रुपये खर्च आए हैं।
मैकेनिकल विभागाध्यक्ष प्रो.इरशाद ने बताया कि, विद्यार्थियों ने वर्तमान जरूरत और भविष्य में ऊर्जा की जरूरतों और कम खर्च पर उसे पुर्नप्राप्ति के लिए इस प्रोजेक्ट को तैयार किया है। यह भविष्य में अहम भूमिका निभा सकता है। सफर में ब्रेक लगाने पर यह बैट्री को रिचार्ज कर देगा।