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Patna Sahib : 75 वर्ष पहले 20 लाख रुपये से बनी थी तख्त श्री हरिमंदिर जी की इमारत; सोने के 22 दरवाजे पर सुंदर नक्काशी करती है आकर्षित

बिहार में पटना साहिब गुरुद्वारा सिक्ख समाज के पूजनीय स्थलों में से एक है। यहां सिख पंथ के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज ने अपने बचपन के कुछ साल बिताए थे। यहां उनसे जुड़ी कई ऐतिहासिक वस्तुओं का दर्शन किया जा सकता है। पटना साहिब की इमारत काफी भव्य है। इसमें सोने दरवाजे और शानदार नक्काशी है। यह आस्थावानों को अपनी ओर आकर्षित करती है।

By anil kumar Edited By: Yogesh Sahu Updated: Fri, 22 Dec 2023 08:03 PM (IST)
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रात में रोशनीयुक्त तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब

जागरण संवाददाता, पटना सिटी। सिख पंथ के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज ने बचपन के लगभग सात वर्ष पटना साहिब में बिताए। वे अपने नन्हे-नन्हे पैरों की अमिट छाप पावन धरती पर छोड़ गए।

तीन गुरु गुरुनानक देव, गुरु तेग बहादुर व गुरु गोविंद सिंह के चरण पड़ने के कारण यह धरती पूजनीय है। दसवें गुरु के जन्म के बारे में जत्थेदार ज्ञानी बलदेव सिंह बताते हैं कि नौवें गुरु तेग बहादुर जोधपुर के राजा के साथ बंगाल की ओर गए थे।

गुरु जी गर्भवती धर्म-पत्नी गुजरी और माता नानकी जी को कृपाल चंद सहित अन्य को पटना में छोड़ गए। उसके बाद गुरु जी राजा के साथ वर्तमान के आसोम की ओर चले गए।

पौष सुदी सप्तमी (शनिवार तथा इतवार) संवंत 1723 विक्रमी (वर्ष 1666) की रात पटना में माता गुजरी ने एक पुत्र को जन्म दिया। जिसका नाम गोविंद रखा गया। वही सिखों के दसवें गुरु हुए।

18वीं सदी में श्रद्धालुओं ने बनाई थी पटना साहिब की इमारत

18 वीं सदी के आसपास श्रद्धालु सिखों ने पटना साहिब में एक शानदार यादगार इमारत निर्माण किया जिसका नाम तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब रखा।

यह विश्व में दूसरा सबसे बड़ा तख्त है। संगमरमर से निर्मित इमारत सिख कौम के लिए श्रद्धा, सत्कार व शक्ति का केन्द्र बन गया।

इस महान तख्त का निर्माण दूसरी बार 1837 ई. में शेरे पंजाब महाराजा रंजीत सिंह ने अपने कारीगरों से कराया गया। 1934 के भूकंप के कारण इस इमारत में कुछ दरारें आ गई थी।

75 वर्ष पहले 20 लाख से बनी थी पांच मंजिला इमारत

10 नवम्बर 1948 ई. की कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर तख्त साहिब की पांच मंजिला इमारत की नींव रखी गई। उस समय इमारत निर्माण पर लगभग 20 लाख रुपये खर्च हुए थे।

दरबार हाल की ऊंचाई 31 फीट व जमीन से गुरुद्वारा के गुंबद की ऊंचाई 108 फीट है। वर्ष 1957 में दसवें गुरु के प्रकाश पर्व के दिन काम समाप्त हुआ था। पटियाला के महाराजा यादविंदर सिंह ने एक लाख रुपये दान दिया और हाल का उद्घाटन किया था।

इमारत की हर मंजिल बेहद खास

तख्त श्री हरिमंदिर की पांच मंजिला इमारत के नीचे तहखाना है। पहली मंजिल में जन्मस्थान है। वर्षों से तीन बजे भोर से रात नौ बजे तक समस्त धार्मिक अनुष्ठान होता है।

दूसरी मंजिल पर अखंड पाठ, तीसरी मंजिल पर अमृतपान की व्यवस्था है। चौथी मंजिल में पुरातन हस्तलिपि और पत्थर के छाप की पुरानी बीड़ को सुरक्षित रखा गया है। परिसर में दो निशान साहिब है।

एक का निर्माण सत्रह वर्ष पूर्व हुआ था। देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं के लिए तख्त श्री हरिमंदिर में गुरु जी के दर्शनीय वस्तुओं का भी संग्रह है। साथ ही अजायबघर भी तख्त साहिब के मुख्य द्वार पर बना है।

बर्मिंघम वाले भाई मोहिंदर सिंह ने भवन को दमकाया

तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब में जन्मस्थान व दरबार साहिब के परिक्रमा स्थल की सीलिंग की नक्काशी में करोड़ों रुपये का सोना लगाने के बाद जन्मस्थली वाला भाग सोने से दमक रहा है।

परिक्रमा स्थल में स्वर्ण मंदिर व ताजमहल की तर्ज पर मकराना से आए मार्बल पर नक्काशी तथा 30 देशों के जेम्स पर पीच्चाकशी हुयी है।

बर्मिंघम वाले भाई साहब मोहिंदर सिंह ने 21 अप्रैल 2013 को सोने व मार्बल के अलावा इमारत तथा अंडरग्राउंड पार्किंग की सेवा प्रारंभ कर वर्ष 2016 के अंत में पूरा किया था।

इससे पहले भाई साहिब अकाल तख्त, तख्त केशगढ़ साहिब, तख्त दमदमा साहिब, तख्त हजूर साहिब में सोने तथा मार्बल की महंगी सेवा कर चुके हैं।

जन्मस्थान में लगे हैं सोने के 22 दरवाजे

दसवें गुरु के जन्मस्थली वाले भाग में सोने के 22 दरवाजे लगे हैं। दशमेश गुरु का पलंग भी आकर्षक बनाया है। कार सेवा के बाबा इंद्रजीत सिंह ने बताया कि गंगा-यमुना संस्कृति के आधार पर दरवाजे का बाहरी भाग सोने तथा भीतरी भाग चांदी का है।

जन्मस्थान तथा दरबार साहिब के सीलिंग में जयपुर, बनारस, दिल्ली व पंजाब के दो दर्जन से अधिक कारीगरों ने मीनाकशी को पूरा किया।

स्वर्ण मंदिर की तर्ज पर तख्त साहिब में हुई है सोने की नक्काशी

दरबार साहिब के परिक्रमा स्थल तथा जन्म स्थान की सीलिंग व दीवार में 121 वर्ग फीट वाले प्रति सीलिंग में जयपुर, बनारस, दिल्ली व पंजाब के 12 कारीगरों ने तीन वर्ष में मीनाकशी पूरा किया।

सीलिंग में आर्टिटेक्ट जयपुर के ओमप्रकाश व सोने की पत्ती का काम बनारस के विजय कुमार ने किया है। दरबार साहिब इक्को प्रूफ है। पांचों तख्तों में इकलौता यह तख्त है जहां केन्द्रीय वातानुकूलित सुविधा है।

रेलिंग को सोना व पीतल से तैयार किया गया है। दरबार साहिब की सीलिंग को प्राकृतिक पत्थर से सजाया गया है। यहां 357 वर्षों से शबद-कीर्तन, कथा-प्रवचन होते आ रहे हैं।

तख्त श्री हरिमंदिर में इन ऐतिहासिक चीजों के करें दर्शन

  1. श्री गुरुग्रंथ साहिब ( बड़ा साहिब)- श्री गुरु गोविंद सिंह द्वारा तीर की नोक से केसर से लिखा मूल मंत्र
  2. छवि साहिब- श्री गुरु गोविंद के युवावस्था का आयल पेंट से तैयार किया हुआ चित्र
  3. सोने के प्लेटों से मढ़ा चार पांव का पंगुडा साहिब ( छोटा झूला)- इसी पर गुरु जी बचपन में बैठते थे
  4. छोटी सेफ- गुरु जी द्वारा बचपन में पहना गया छोटी तलवार
  5. गुलेल की गोली- गुरु जी द्वारा नटखटपन में मटके फोड़ने वाली गोली
  6. चार तीर- गुरु जी बचपन में इसी तीर से घड़े फोड़ते थे
  7. लोहे की छोटी चकरी- जिसे गुरु जी केशों में करते थे धारण
  8. लोहे का खंडा- जिसे गुरु जी दस्तार में सजाते थे
  9. छोटा बघनख खंजर-गुरु जी कमर-कसा में करते थे धारण
  10. चंदन की लकड़ी का कंघा- जिससे गुरुजी केश करते थे साफ
  11. लोहे का दो चक्र- जिसे गुरुजी सजाते थे दस्तार में
  12. खड़ाऊं- हाथी दांत का बना दसवें गुरु का एक जोड़ा खड़ाऊं
  13. खड़ाऊं- नौंवे गुरु तेग बहादुर का संदल की लकड़ी का एक जोड़ा खड़ाऊ
  14. भगत कबीर की खड़ी- जिससे कपड़ा बुना करते थे
  15. हुकुमनामे की पुस्तक- श्री गुरु तेग बहादुर, श्री गुरु गोविंद सिंह व माता सुंदरी के
  16. चोला (चोंगा)- गुरु जी का 300 वर्ष पुराना चोला
  17. माता गुजरी का कुआं- जिसका पानी संगत पीना नहीं भूलते

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