Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Purnia News: दलाल के चंगुल में फंस रहे ग्राहक, एक ही जमीन के दो-तीन लेनदार; सातवें आसमान पर पहुंचा भाव

जमीन खरीद बिक्री के व्यवसाय में दलालों के बीच में पड़ने से जमीन का भाव सातवें आसमान पर है। जिस जमीन की कीमत दो-तीन लाख प्रति डिसमिल होनी चाहिए उस जमीन का दाम सीधे दोगुना यानी छह लाख रुपये डिसमिल बताया जा रहा है।

By Narendra Kumar AnandEdited By: Aditi ChoudharyUpdated: Tue, 13 Dec 2022 03:43 PM (IST)
Hero Image
Purnia News: दलाल के चंगुल में फंस रहे ग्राहक, एक ही जमीन के दो-तीन लेनदार; सातवें आसमान पर पहुंचा भाव

जलालगढ़ (पूर्णिया), संवाद सूत्र। रोटी, कपड़ा और मकान यह तीनों आम हो या खास सभी के लिए जरूरी है। नौकरी व्यवसाय, खेतीबाड़ी कर सभी लोग जो कमाते हैं उसमें कुछ राशि बचा कर अपने लिए कुछ जमीन खरीदने की सोच जरूर रखते हैं। सभी लोगों का यह सपना होता है कि उनका एक अच्छा मकान शहर में भी हो। लेकिन जलालगढ़ प्रखंड भर में आमलोगों का यह सपना अब पूरा होना मुश्किल हो गया है। क्योंकि प्रखंड में दलालों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि ऐसा लग रहा है जमीन का संपूर्ण स्वामित्व दलालों के हाथों में ही है। ग्राहक खोजने से लेकर जमीन दिखाने व रजिस्ट्री विभाग में पहुंच कर जमीन रजिस्ट्री कराने तक का कार्य दलाल कर रहे हैं।

दोगुने दाम पर जमीन खरीदने के लिए लोग मजबूर 

जमीन खरीद बिक्री के व्यवसाय में दलालों के बीच में पड़ने से जमीन का भाव सातवें आसमान पर है। जिस जमीन की कीमत दो-तीन लाख प्रति डिसमिल होनी चाहिए, उस जमीन का दाम सीधे दोगुना यानी छह लाख रुपये डिसमिल बताया जा रहा है। ऐसे में एक साधारण व्यक्ति के लिए जमीन खरीदना कैसे संभव होगा यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। जलालगढ़ की ही बात की जाए तो देखा की मुख्य जगहों को छोड़ जो अभी कृषि क्षेत्र हैं, वहां की जमीन भी दलालों ने ऐसी निर्धारित कर दी है कि सुन कर ही लोग आश्चर्य जता रहे हैं। जिस जमीन पर धान की फसल अभी लगी है उस जमीन की कीमत पांच से छह लाख रुपये प्रति डिसमिल बताया जा रहा है।

थाना व कचहरी में बढ़ी वादों की संख्या

ग्राहकों को तरह-तरह की बातों को बता दलाल ऐसा भ्रमित कर रहे हैं कि लोग भी उनके चंगुल में फंस जा रहे हैं। इसमें कई मामले तो ऐसे सामने आए हैं की एक ही जमीन को दलाल दो-तीन लोगों को बिक्री करा दिए हैं। जिसका नतीजा है कि थाना व कचहरी में वादों की संख्या भी बढ़ी है। जमीन खरीद बिक्री में सरकार की नई नीति लागू होने के बाद दलाल और झूठ का सहारा लेने लगे हैं। जमीन में यदि किसी तरह का विवाद है तो उसका जिक्र तक दलाल नहीं कर रहे।

दलालों पर अंकुश लगाने में प्रशासन भी नाकाम

दलालों का मुख्य उद्देश्य है कि किसी तरह की जमीन बिक जाए और मोटी रकम उनकी जेब में आ जाए। चाहे ग्राहक को जमीन लेने के बाद कोई फजीहत हो उससे उनका कोई लेना देना नहीं है। इस मामले में प्रशासन भी अब तक कोई ठोस पहल नहीं कर सका है। जबकि प्रशासनिक कार्यालयों में ही जमीन विवाद के मामले पहुंच रहे हैं। फिर भी प्रशासन कोई पहल नहीं कर पा रहा। जब कोई मारपीट या विवाद होता है तो प्रशासनिक पदाधिकारी कार्रवाई करना शुरू करते हैं। आमलोगों का कहना है कि यदि दलालों पर अंकुश नहीं लगाया गया तो वह दिन दूर नहीं जब आमलोगों के लिए प्रखंड में रहने का सपना कभी पूरा नहीं होगा।