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Bihar Bridge Collapse: बाइक चलने पर भी कांपने वाला ब्रिटिश काल का पुल बिहार में उठा रहा आधुनिक भारत का बोझ

Bihar Bridge Collapse सिवान के हसनपुरा में दाहा नदी पर ब्रिटिश काल के दौर का बनाया गया स्क्रू पाइल पुल आज भी आधुनिक भारत का बोझ उठा रहा है। यह पुल आने-जाने वाले वाहनों यहां तक कि साइकिल और बाइक के गुजरने पर भी कंपन करता है।

By Jagran NewsEdited By: Ashish PandeyUpdated: Wed, 18 Jan 2023 09:24 AM (IST)
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सिवान के हसनपुरा में दाहा नदी पर ब्रिटिश काल के दौर का बनाया गया स्क्रू पाइल पुल। फोटो- जागरण

संतोष सिंह, हसनपुरा, सिवान: देश दिन-प्रतिदिन नए आयाम छू रहा है। नए-नए आविष्कार हो रहे हैं और युवा पीढ़ी गौरवगाथा लिख रही है, लेकिन सिवान के हसनपुरा प्रखंड मुख्यालय और उसरी बाजार को जोड़ने वाली दाहा नदी पर ब्रिटिश काल के दौर का बनाया गया स्क्रू पाइल पुल आज भी आधुनिक भारत का बोझ उठा रहा है। इसकी गुणवत्ता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्षों पुराना होने के बाद भी यह पुल ध्वस्त नहीं हुआ। हां, यह बात और है कि समय के साथ इसकी जड़ें कमजोर हुईं और अब इस पुल से वाहनों के गुजरने पर यह अपनी कमजोरी का एहसास जरूर कराने लगा है और कांपने लगा है।

अंग्रेजों ने स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से किया था निर्माण

यह पुल जिला मुख्यालय को हसनुपरा प्रखंड और मुख्य बाजार को जोड़ने का काम करता है। बताया जाता है कि यह पुल अंग्रेजी शासनकाल में स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से बनाया गया था। इसके लोहे के खंभे पर मेड इन इंग्लैंड अंकित है। रघुनाथपुर के पूर्व विधायक विक्रम कुंवर द्वारा इसकी मरम्मत पुल निर्माण निगम द्वारा वर्ष 2012-13 में कराई गई थी। उसकी प्राक्कलित राशि एक करोड़ से अधिक थी।

साइकिल और बाइक के गुजरने से भी होता है कंपन

यह पुल आने-जाने वाले वाहनों यहां तक कि साइकिल और बाइक के गुजरने पर भी कंपन करता है। इस पुल पर आज भी ट्रैक्टर, बोलेरो, पिकअप सहित अन्य सवारी गाड़ियां रोजाना गुजरती हैं। पुल से ट्रक-बस नहीं गुजरने का कारण तंग और सकरा होना है। वहीं 407 गाड़ियां व स्कूली बस भी प्रतिदिन इससे गुजरती हैं। इस पुल के समानांतर अन्य पुल नहीं बनने से पुल से गुजरना अन्य वाहनों की मजबूरी है। वहीं इस पुल से महज आधा किलोमीटर दाएं सरैया गांव में पुल निर्मित है, लेकिन इसका अप्रोच सड़क निर्मित नहीं होने से लोगों को आने-जाने में परेशानी होती है। वहीं बाएं तरफ बनी पुल अभी तक उसरी से नहीं जुड़ पाई है।

इस संबंध में ग्रामीण कार्य विभाग का कहना है कि यह पुल मेरे विभाग का नहीं है। यह अंग्रेजों के जमाने का पुल है। उस जगह को हमलोग देख रहे हैं। वहां नया पुल बनाने के लिए जगह की कमी है। हालांकि उसके समानांतर कुछ दूरी पर एक पुल बना है।

पुल ध्वस्त हुआ तो लोगों को होगी परेशानी

अंग्रेजों के जमाने का बना स्क्रू पुल अपने भार वाहन क्षमता से अधिक सह रहा है। अगर यह पुल ध्वस्त हो जाएगा तो सदियों पुरानी उसरी और हसनपुरा बाजार के बीच आवागमन पूर्णतः बाधित हो जाएगा्। लोगों को पूरब और पश्चिम दिशा से दो से तीन किलोमीटर की दूरी तय कर बैंक बाजार और मुख्य सड़क तक दूरी तय करनी पड़ेगी, हालांकि, उक्त पुल की क्षमता फिलहाल किसी भी तरह के चार पहिये गाड़ी तक की नहीं है, क्योंकि जब भी ऐसी गाड़ियां पुल से होकर गुजरती हैं तो पुल में कंपन होने लगता है। ज्ञात हो कि यह पुल लहेजी, मंद्रपाली, सहुली, रजनपुरा, तेलकथू, सिसवां कला, मंझरिया बस्ती मंझरिया, शेखपुरा, खाजेपुर, निजामपुर, सरैया, रामपुर, भीखपुर भगवानपुर, कन्हौली धनौती, गायघाट सहित दर्जनों गांव को जोड़ता है।