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S&P भारत की रेटिंग को और मजबूत होने का देगी दर्जा : एसबीआई

निवेश के लिहाज से भी भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति मजबूत दिख रही है। रिपोर्ट के मुताबिक गत वित्त वर्ष 2023 में रिकॉर्ड 37.06 लाख करोड़ रुपए का निवेश हुआ और वित्त वर्ष 2024 में भी 36.92 लाख करोड़ के निवेश हो चुके हैं। सबसे अच्छी बात है कि निवेश में निजी सेक्टर की हिस्सेदारी बढ़ती जा रही है। नई कंपनियों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है।

By Jagran News Edited By: Praveen Prasad Singh Updated: Thu, 30 May 2024 09:29 PM (IST)
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रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2027 तक केंद्र और राज्य दोनों ही सरकार के राजकोषीय घाटे में कमी आएगी।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। एसबीआई का मानना है कि अगले तीन साल में एसएंडपी फिर से भारत की रेटिंग में बदलाव करते हुए इसे और मजबूत होने का दर्जा देगी। क्योंकि अगले तीन साल में सभी वित्तीय मानकों पर भारत वर्तमान के मुकाबले मजबूत स्थिति में होगा। एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक मुख्य रूप से सरकारी घाटे में होने वाली कमी से एसएंडपी भारतीय रेटिंग में बदलाव करेगी।

रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2027 तक केंद्र और राज्य दोनों ही सरकार के राजकोषीय घाटे में कमी आएगी। गत वित्त वर्ष 2024 में केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.8 प्रतिशत तो राज्यों का औसतन राजकोषीय घाटा जीएसडीपी का 3.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। दोनों को मिलाकर यह घाटा 8.9 प्रतिशत का होता है जो वित्त वर्ष 2027 तक 6.8 प्रतिशत तक नीचे जाने की संभावना है।

निवेश के लिहाज से मजबूत है अर्थव्‍यवस्‍था

निवेश के लिहाज से भी भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति मजबूत दिख रही है। रिपोर्ट के मुताबिक गत वित्त वर्ष 2023 में रिकॉर्ड 37.06 लाख करोड़ रुपए का निवेश हुआ और वित्त वर्ष 2024 में भी 36.92 लाख करोड़ के निवेश हो चुके हैं। सबसे अच्छी बात है कि निवेश में निजी सेक्टर की हिस्सेदारी बढ़ती जा रही है। नई कंपनियों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। वित्त वर्ष 2023 में 158974 नई कंपनियां पंजीकृत हुई थी जबकि वित्त वर्ष 2024 में यह संख्या बढ़कर 185249 हो गईं।

बढ़ रहे हैं वित्तीय धोखाधड़ी के मामले

गुरुवार को जारी एसबीआई की रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि पिछले चार सालों में बैंकों में होने वाली वित्तीय धोखाधड़ी में सालाना औसतन 32.9 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी हुई है। गत वित्त वर्ष 2023-24 में बैंकों ने 36,075 वित्तीय धोखाधड़ी के मामले दर्ज कराए। इनमें 6472 मामले सरकारी बैंकों से जुड़े थे। धोखाधड़ी में सरकारी बैंक की हिस्सेदारी कम हो रही है। वित्त वर्ष 2019 में बैंकों की तरफ से दर्ज होने वाले वित्तीय धोखाधड़ी में सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी 50.7 प्रतिशत थी जो वित्त वर्ष 2024 में घटकर 20.7 प्रतिशत रह गई। वहीं, वित्त वर्ष 2020 में निजी बैंकों की हिस्सेदारी वित्तीय धोखाधड़ी में 35.2 प्रतिशत थी जो वित्त वर्ष 2024 में बढ़कर 67.1 प्रतिशत हो गई।

रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों की संख्या तो बढ़ी है, लेकिन मूल्यों के हिसाब से इसमें हर साल कमी आ रही है। वित्त वर्ष 2020 में बैंकों में 1.85 लाख करोड़ रुपए के वित्तीय धोखाधड़ी के मामले सामने आए थे जो गत वित्त वर्ष 2023-24 में घटकर 13,930 करोड़ हो गए। रिपोर्ट के मुताबिक सबसे अधिक वित्तीय धोखाधड़ी कार्ड व इंटरनेट के माध्यम से किए गए। वित्त वर्ष 2022-23 में कार्ड व इंटरनेट से 277 करोड़ की धोखाधड़ी हुई थी जो वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर 1457 करोड़ की हो गई।

नकली नोटों की संख्या में आ रही है कमी

एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक बैंक नोट की संख्या तो बढ़ रही है, लेकिन सरकारी प्रयासों की मदद से नकली नोटों की संख्या में कमी आ रही है। इस साल मार्च में समाप्त होने वाले वित्त वर्ष 2024 में नकली नोट की संख्या 2,22,639 बताई गई जबकि वित्त वर्ष 2023 में 2,25,769 नकली नोट पाए गए थे। इस साल मार्च अंत में बैंक नोट की संख्या 146.8 अरब बताई गई जो वित्त वर्ष 22-23 के मुकाबले 7.8 प्रतिशत अधिक है। इस साल मार्च अंत में 500 रुपए के नोटों की संख्या 60.2 अरब, 200 रुपए के नोटों की संख्या 7.7 अरब बताई गई।