Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Delhi AIIMS: एम्स में कैंसर मरीजों के लिए रोबोटिक सर्जरी की अत्याधुनिक सुविधा, 3D तकनीक का होगा इस्तेमाल

Delhi AIIMS एम्स के कैंसर सेंटर आईआरसीएच में जल्द ही अत्याधुनिक रोबोटिक सर्जरी की सुविधा शुरू होने जा रही है। 25 करोड़ की लागत से खरीदी जाने वाली इस मशीन से कैंसर मरीजों को बेहतर और सटीक इलाज मिल सकेगा। रोबोटिक सर्जरी में 3डी तकनीक का इस्तेमाल होता है जिससे शरीर का प्रभावित हिस्सा ज्यादा बढ़ा और स्पष्ट दिखता है।

By Ranbijay Kumar Singh Edited By: Geetarjun Updated: Sun, 01 Sep 2024 12:27 AM (IST)
Hero Image
एम्स में कैंसर मरीजों के लिए रोबोटिक सर्जरी की अत्याधुनिक सुविधा।

रणविजय सिंह, नई दिल्ली। एम्स के कैंसर सेंटर आईआरसीएच (इंस्टीट्यूट रोटरी कैंसर हास्पिटल) के लिए अत्याधुनिक रोबोटिक मशीन खरीदी जाएगी। एम्स प्रशासन ने यह मशीन खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यदि सब कुछ योजना को अनुरूप हुआ तो टेंडर आवंटन के बाद छह माह में आईआरसीएच में रोबोटिक सर्जरी की मशीन लग जाएगी। इससे अगले वर्ष के मध्य तक एम्स में आर्थिक रूप से कमजोर कैंसर मरीजों को भी रोबोटिक सर्जरी की अत्याधुनिक सुविधा मिलने लगेगी।

वैसे एम्स के मुख्य अस्पताल के आपरेशन थियेटर में पहले से एक रोबोटिक मशीन उपलब्ध है। इससे ज्यादातर यूरोलाजी से संबंधित बीमारियों के मरीजों की रोबोटिक सर्जरी होती है। कैंसर सहित कई अन्य बीमारियों में भी रोबोटिक सर्जरी का इस्तेमाल धीरे-धीरे बढ़ रहा है लेकिन रोबोटिक मशीनें महंगी होने से

सरकारी अस्पतालों में अभी यह सुविधा कम है। एम्स के आईआरसीएच की ओपीडी में हर वर्ष करीब पौने दो लाख कैंसर के मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। जिसमें करीब 14,600 नए मरीज शामिल होते हैं। वहीं करीब 10,500 मरीजों की सर्जरी होती है। जिसमें करीब ढाई हजार बड़ी सर्जरी शामिल होती है। लेकिन अभी तक आईआरसीएच में रोबोटिक सर्जरी की सुविधा नहीं है।

अब एम्स प्रशासन ने 25 करोड़ की लागत से आईआरसीएच के लिए रोबोटिक सर्जरी की मशीन खरीदने के लिए पहल की है। यह मशीन विदेश से खरीदकर आएगी। इससे साफ्ट टिश्यू के कैंसर की सर्जरी अधिक की जाएगी। डाक्टर बताते हैं कि रोबोटिक सर्जरी में 3डी तकनीक इस्तेमाल होती है। इस वजह से शरीर का प्रभावित हिस्सा ज्यादा बढ़ा और स्पष्ट दिखता है। इस वजह से ट्यूमर को ज्यादा बेहतर तरीके से निकालना संभव हो पाता है।

इससे ट्यूमर दोबारा विकसित होने की आशंका कम हो जाती है। इस तकनीक से सर्जरी के लिए मरीज को बड़ा चीरा लगाने की जरूरत नहीं पड़ती। छोटे-छोटे छेद के जरिये रोबोटिक आर्म को शरीर के प्रभावित हिस्से में ले जाकर ट्यूमर को काट कर निकाल लिया जाता है। इस सर्जरी के दौरान मरीज को ज्यादा रक्तस्राव नहीं होता। मरीज को जल्दी अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। इससे सर्जरी अधिक और वेटिंग कम हो सकती है।

एम्स के सर्जिकल आंकोलाजी के विभागाध्यक्ष डा. सुनील कुमार ने बताया कि रोबोटिक सर्जरी कैंसर के लिए अब एक मानक सर्जरी हो चुकी है। इससे हर तरह के कैंसर की सर्जरी हो सकती है। खास तौर पर ऐसे ट्यूमर जो शरीर के किसी अंग में ज्यादा गहराई में हो तो रोबोटिक सर्जरी बेहतर होती है। क्योंकि रोबोटिक आर्म उस जगह पर आसानी से पहुंच जाता है। रोबोटिक सर्जरी में समय भी कम लगता है। डाक्टरों को रोबोटिक सर्जरी का प्रशिक्षण दिलाया गया है। साथ ही एम्स में भी रोबोटिक सर्जरी प्रशिक्षण का केंद्र है। इसमें भी डाक्टर रोबोटिक सर्जरी के लिए प्रशिक्षित किए गए हैं।