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ऑल इंडिया इमाम आर्गनाइजेशन के चीफ बोले- फतवे का डर नहीं, राष्ट्रहित के लिए अडिग, कट्टरता के विरुद्ध संदेश देता रहूंगा

कट्टरपंथियों को नहीं भाया पैगाम-ए-मोहब्बतरामलला के दरबार में जाने तथा मानवता को सबसे बड़ा धर्म बताने पर अपने खिलाफ जारी हुए फतवे का उल्लेख करते हुए डा. इलियासी ने कहा कि रामलला के दर्शन के बाद निकलते ही मैंने पैगाम-ए-मोहब्बत दिया लेकिन फतवा जारी करने वालों को यह पसंद नहीं आया। देश की विभिन्न जगहों से अलग-अलग माध्यमों से मुझे धमकाया जाने लगा।

By Mohammed Ammar Edited By: Mohammed Ammar Updated: Sat, 03 Feb 2024 08:37 PM (IST)
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ऑल इंडिया इमाम आर्गनाइजेशन के चीफ बोले- फतवे का डर नहीं

नेमिष हेमंत, नई दिल्ली: अयोध्या में प्रभु श्रीराम के विग्रह के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के बाद कट्टरपंथियों के निशाने पर आए आल इंडिया इमाम आर्गनाइजेशन के चीफ इमाम डा. इमाम उमेर अहमद इलियासी ने कहा है कि वह राष्ट्रहित के लिए अडिग हैं। कट्टरता के विरुद्ध सद्भाव का संदेश देते रहेंगे।

जान से मारने की धमकी के साथ उनके खिलाफ फतवा भी जारी हुआ है। दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में डा. इलियासी ने कहा कि वह इन बातों से डरे नहीं हैं और उनके लिए इंसानियत और राष्ट्र सर्वोपरि है। पांच लाख से अधिक इमामों की इस संस्था के प्रमुख इलियासी तब भी चर्चा में आए थे, जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत उनसे मिलने कस्तूरबा गांधी मार्ग मस्जिद स्थित इमाम हाउस पहुंचे थे।

अयोध्या में मिला सनातनी स्नेह व सौहार्द

डा. इलियासी ने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह में मैं जाऊं या न जाऊं, इस पर विचार करने में दो दिन लगे। यह मेरी जिंदगी का बड़ा फैसला था, जिस पर विचार के लिए किसी और को शामिल नहीं कर सकता था। इसलिए न परिवार से चर्चा की और न अपने संगठन के लोगों से।

यह विमर्श केवल मेरे और खुदा के बीच था। यही बात समझ में आई कि राष्ट्रहित में और आपसी सौहार्द के लिए मुझे जाना चाहिए। तब यह फैसला लिया और अयोध्या गया। कई आशंकाएं थीं कि वहां मेरे साथ जाने क्या व्यवहार होगा, लेकिन जब मैं पहुंचा तो वहां सनातनी सौहार्द व प्यार मिला। मंदिर तो बन गया, अब ¨हदुओं की जिम्मेदारी है कि वह श्रीराम के चरित्र को आमजन तक पहुंचाएं।

कट्टरपंथियों को नहीं भाया पैगाम-ए-मोहब्बत:रामलला के दरबार में जाने तथा मानवता को सबसे बड़ा धर्म बताने पर अपने खिलाफ जारी हुए फतवे का उल्लेख करते हुए डा. इलियासी ने कहा कि रामलला के दर्शन के बाद निकलते ही मैंने पैगाम-ए-मोहब्बत दिया, लेकिन फतवा जारी करने वालों को यह पसंद नहीं आया। देश की विभिन्न जगहों से अलग-अलग माध्यमों से मुझे धमकाया जाने लगा, गालियां दी जाने लगीं।

इसी बीच मोहम्मद साबिर हुसैनी के नाम से जारी फतवा इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हुआ। वह कुफ्र का फतवा है, जिसे इस्लाम में सबसे अधिक घातक माना जाता है। मथुरा-काशी पर संवाद हो: उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर काशी और मथुरा से दावा छोड़ने की मुस्लिम समाज के एक वर्ग की राय पर डा. इलियासी ने कहा कि दोनों ओर से संवाद ईमानदारी से होना चाहिए।

संवाद में मस्जिद-मंदिर वाले, पंडित और इमाम बैठें। पहल सरकार करे। राजनीतिक मुद्दा बनाएंगे तो नहीं सुलझेगा। उनकी राय है कि पीएम मोदी की सरकार में सबसे अधिक लाभ मुसलमानों को ही मिला है। पीएम मोदी के नेतृत्व में पूरा देश बदल रहा है। विपक्षियों ने मुसलमानों को गरीब और कमजोर बनाया है। जहां तक सीएए का सवाल है तो जो भारत के नागरिक हैं, उन्हें डरने की जरूरत नहीं है।