2 पेड़ों को काटने और 132 पेड़ों को लगाने के आदेश पर वन विभाग को अवमानना का नोटिस, दिल्ली HC ने उठाए सवाल
न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने कहा कि अदालत द्वारा 3 मई को मामला उठाए जाने के बावजूद दिल्ली वन विभाग ने दो पेड़ों को काटने और 132 अन्य पेड़ों को रोपने के लिए दी गई अनुमति के बारे में अदालत को सूचित नहीं किया। अदालत का आदेश 2022 के एक निर्देश से उपजा है जिसमें वन अधिकारियों को एक भी पेड़ काटने के लिए विस्तृत कारण बताने की आवश्यकता है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में 2 पेड़ों को काटने और 132 पेड़ों को प्रत्यारोपित करने की अनुमति देने के लिए दक्षिण प्रभाग के उप वन संरक्षक (डीसीएफ) को दिल्ली हाई कोर्ट ने अदालत की अवमानना का नोटिस जारी किया है। अदालत ने कहा कि दिल्ली वन विभाग द्वारा दी गई अनुमति से कोर्ट को अवगत नहीं कराया गया था। अदालत ने नोट किया कि वन विभाग द्वारा दो पेड़ों की कटाई और 132 पेड़ों के प्रत्यारोपण की अनुमति पहले ही दी जा चुकी थी।
न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने कहा कि अदालत द्वारा 3 मई को मामला उठाए जाने के बावजूद दिल्ली वन विभाग ने दो पेड़ों को काटने और 132 अन्य पेड़ों को रोपने के लिए दी गई अनुमति के बारे में अदालत को सूचित नहीं किया। अदालत का आदेश 2022 के एक निर्देश से उपजा है, जिसमें वन अधिकारियों को एक भी पेड़ काटने के लिए विस्तृत कारण बताने की आवश्यकता है।
मई और अगस्त 2022 के बीच 22 बार अनुमति
कोर्ट ने कहा कि मई और अगस्त 2022 के बीच 22 बार अनुमति दी गई। 31 अगस्त, 2023 को दिल्ली सरकार ने अदालत को आश्वासन दिया कि अगली सुनवाई तक पेड़ काटने की कोई अनुमति नहीं दी जाएगी, जब तक कि महत्वपूर्ण परियोजनाएं न हों। जिसकी सूचना न्यायालय को देनी होगी। हालांकि, हाल की सुनवाई के दौरान अदालत ने 29 अप्रैल को सचिवालय प्रशिक्षण और प्रबंधन संस्थान (आईएसटीएम), पुराने जेएनयू परिसर में एक निर्माण परियोजना के लिए अनधिकृत पेड़ की कटाई और प्रत्यारोपण पर ध्यान दिया।