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'भारत बंद' से दिल्ली ने किया किनारा, शुक्रवार को खुले रहेंगे राजधानी के 700 बाजार; सुरक्षा की मांग

दिल्ली के 700 से अधिक प्रमुख व थोक बाजार शुक्रवार को खुले रहेंगे। बाजार संगठनों के साथ ही प्रमुख व्यापारी संगठनों ने सवाल उठाते हुए कहा कि वे किसानों द्वारा भारत बंद का बुलावा किए जाने के बावजूद अपने ग्राहकों की सेवा करने के लिए अपनी दुकानें खुली रखेंगे। साथ ही इस मामले में बाजारों में अतिरिक्त सुरक्षा की मांग की है।

By Nimish Hemant Edited By: Sonu SumanUpdated: Thu, 15 Feb 2024 08:45 PM (IST)
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शुक्रवार को खुले रहेंगे राजधानी के 700 बाजार।

नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। आंदोलनरत किसान संगठन के 'भारत बंद' से दिल्ली ने किनारा किया है। शुक्रवार को आम दिनों की तरह दिल्ली के 700 से अधिक प्रमुख व थोक बाजार खुले रहेंगे। बाजार संगठनों के साथ ही प्रमुख व्यापारी संगठनों ने भारत बंद के आह्वान के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि वे किसानों द्वारा भारत बंद का बुलावा किए जाने के बावजूद अपने ग्राहकों की सेवा करने और आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने के लिए अपनी दुकानें खुली रखेंगे।

साथ ही कारोबारी संगठनों ने व्यापारियों को सतर्क रहने की सलाह देते हुए कहा है कि वे सतर्क रहें और भारत बंद के दौरान अपने संस्थानों और ग्राहकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। इस मामले में वे स्थानीय अधिकारियों के साथ सहयोग करने और सभी सुरक्षा प्रोटोकालों का पालन करने की सलाह दी है ताकि किसी भी अवरोध को रोका जा सके। साथ ही इस मामले में बाजारों में अतिरिक्त सुरक्षा की मांग की है।

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50 प्रतिशत तक घट गया है कारोबार

किसानों आंदोलन से दिल्ली का कारोबार काफी कम हो गया है। थोक बाजारों में प्रमुख रूप से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश समेत अन्य राज्यों से खरीदार आते हैं। जो इस आंदोलन के चलते नहीं आ पा रहे हैं। सदर बाजार जैसे कुछ बाजारों में बिक्री की गिरावट 70 प्रतिशत तक हो गई है। अभी जबकि शादियों का मौसम चल रहा है। इसमें यह स्थिति व्यापारियों के लिए चिंताजनक है। इसलिए अधिकतर दुकानदार बंद के पक्ष में नहीं है। दिल्ली में प्रतिदिन औसतन 10 हजार करोड़ रुपये का कारोबार होता है, जो घटकर फिलवक्त पांच हजार करोड़ रुपये रह गया है।

दिल्ली में 700 बाजार और 56 औद्याेगिक क्षेत्र है। भारत बंद को लेकर सभी बाजार संगठनों ने कहा है कि बाजारों और दुकानों को बंद करने का कोई औचित्य नहीं है। चिंताजनक स्थिति यह है कि अगर यह आंदोलन अधिक दिनों तक चला और दिल्ली की सीमाओं पर बैरिकेडि्ंग और जाम रहा तो दूध, सब्जी, फल आदि आम जरूरत की आपूर्ति पर भी असर पड़ेगा। - बृजेश गोयल, चेयरमैन, चैंबर आफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री

हम किसान आंदोलन का समाधान निकाले जाने के पक्ष में है, लेकिन भारत बंद के नहीं। बाजार पहले से मंदी से जूझ रहे हैं। ट्रांसपोर्टर माल की बुकिंग नहीं कर रहे हैं। ऐसे में बंद बाजार को चोट पहुंचाएगा। इसलिए व्यापारी इसके पक्ष में नहीं है। - हेमंत गुप्ता, महासचिव, भारतीय उद्योग व्यापार मंडल, दिल्ली

आंदोलन से पहले से ही दिल्ली के बाजार पस्त है। यहां के बाजारों का प्रतिदिन का कारोबार 10 हजार करोड़ से अधिक है। जो घटकर आधा रह गया है। दूसरे राज्यों से खरीदार जाम व सुरक्षा कारणों से नहीं आ रहे हैं। इसलिए हम बंदी से दूर रहने का निर्णय लिया है। - देवराज बवेजा, अध्यक्ष, दिल्ली व्यापार महासंघ

ग्राहकों की सेवा के लिए दुकानों और बाजारों को खाेलने के साथ ही दुकानदारों को सुरक्षात्मक उपाय अपनाने की सलाह दी है। क्योंकि, ऐसे मामलों में अराजकतत्व सक्रिय हो जाते हैं। जो नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए बाजारों में अतिरिक्त सुरक्षा की मांग की गई है। - विपिन आहूजा, प्रदेश अध्यक्ष, कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स

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