दिल्ली AIIMS में दो लोगों के अंगदान से आठ लोगों को मिली नई जिंदगी, हृदय-लिवर और किडनी हुईं ट्रांसप्लांट
एम्स में सड़क हादसे के शिकार के दो लोगों के अंगदान से आठ लोगों को जीवन मिला और चार लोगों की आंखों को रोशनी मिलेगी। एम्स में यह पहला मौका है जब एक दिन में दो लोगों का अंगदान हुआ। साथ ही एम्स में पहली बार एक दिन में पांच मरीजों की अंग प्रत्यारोपण सर्जरी हुई। अंग प्रत्यारोपण के लिहाज से मंगलवार का दिन डॉक्टर्स के लिए व्यस्तताओं भरा रहा।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। एम्स में सड़क हादसे के शिकार के दो लोगों के अंगदान से आठ लोगों को जीवन मिला और चार लोगों की आंखों को रोशनी मिलेगी। एम्स में यह पहला मौका है जब एक दिन में दो लोगों का अंगदान हुआ। साथ ही एम्स में पहली बार एक दिन में पांच मरीजों की अंग प्रत्यारोपण सर्जरी हुई।
अंग प्रत्यारोपण (Organ Transplant) के लिहाज से मंगलवार का दिन एम्स के डॉक्टर्स के लिए व्यस्तताओं भरा रहा। इस वजह से मरीजों की नियमित सर्जरी भी टालनी पड़ी।
ये हैं दोनों डोनर
एम्स प्रशासन का कहना है कि एक डोनर 42 वर्षीय महिला और दूसरा 27 वर्षीय युवक था। 42 वर्षीय महिला को राजस्थान में एक कार ने टक्कर मार दी थी। गंभीर रूप से घायल होने के कारण उन्हें एम्स ट्रॉमा सेंटर में भर्ती किया गया था, लेकिन 18 मई को वह ब्रेन डेड हो गईं।वहीं सौरभ नामक 27 वर्षीय युवक उत्तर प्रदेश के संभल का रहने वाला था। पिछले दिनों पलवल में किसी अज्ञात वाहन ने उसे टक्कर मार दी थी। जिसके बाद 16 मई को सरकारी एंबुलेंस से उसे लाकर एम्स ट्रॉमा सेंटर में भर्ती किराया गया था। 18 मई को दोनों ब्रेन डेड हो गए।
इसके बाद एम्स के आर्बो (ऑर्गन रिट्रिव्ल बैंकिंग ऑर्गेनाइजेशन) के अंग प्रत्यारोपण संयोजकों व ट्रॉमा सेंटर की टीम ने ब्रेन डेड महिला के स्वजनों को अंगदान कराने के लिए प्रेरित किया। लेकिन सौरभ के साथ ट्रॉमा सेंटर में परिवार का कोई सदस्य साथ में नहीं था।
ये अंग किए गए दान
एम्स प्रशासन का कहना है कि बहुत प्रयास करने के बाद उसके भाई से संपर्क हुआ। उसके माता-पिता का पहले ही देहांत हो चुका है। वह अविवाहित था। दोनों डोनर के परिवार की स्वीकृति से मंगलवार को उनका अंगदान कराया गया। दोनों डोनर का हृदय, दोनों किडनी, लिवर व दोनों कार्निया दान हुआ।
एम्स में एक मरीज को हृदय, दूसरे मरीज को लिवर व तीन मरीजों को किडनी प्रत्यारोपित की गई। राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) ने एक लिवर व एक किडनी आईएलबीएस अस्पताल को आवंटित किया।इसलिए एक किडनी व एक लिवर आईएलबीएस अस्पताल ले जाकर दो मरीजों को प्रत्यारोपित किया गया। वहीं, एक हृदय ग्रीन कॉरिडोर बनाकर एम्स ट्रॉमा सेंटर से आर्मी अस्पताल में ले जाया गया, जिसे एक मरीज को प्रत्यारोपित किया गया।
इस तरह चार मरीजों को किडनी, दो मरीजों को लिवर व दो मरीजों को हृदय प्रत्यारोपण हुआ। चारों कार्निया में एम्स के नेत्र बैंक में सुरक्षित रख गया है। इसके अलावा दोनों डोनर के फेफड़े दान की स्वीकृति भी स्वजनों ने दी थी लेकिन उसे प्रत्यारोपण के लिए उपयुक्त नहीं माना गया।
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