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Jagran Samvadi: रिकी केज ने क्यों कहा? सिनेमा की सीमाओं से मुक्त होने चाहिए संगीतकार

संगीतकार रिकी केज ने वैश्विक मंच पर भारतीय संगीत को बढ़ावा देने के लिए सिनेमा से परे जाकर संगीत को बढ़ावा देने की बात कही है। उनका मानना है कि भारत में संगीतकारों को हमेशा इस बात से जाना जाता है कि उन्होंने किस फिल्म में गीत गाए या धुन बनाई जबकि पश्चिमी देशों में संगीत को स्वतंत्र नजरिये से देखा जाता है।

By Jagran News Edited By: Kapil Kumar Updated: Fri, 13 Sep 2024 04:06 PM (IST)
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रिकी केज ने संगीतकारों को सिनेमा की सीमाओं से मुक्त करने और उनकी कला का सम्मान करने का आह्वान किया।

अजय राय, नई दिल्ली। वैश्विक मंच पर भारतीय संगीत का फलक बड़ा करने के लिए संगीत का उपयोग सिर्फ सिनेमा के प्रचार के लिए बंद करना होगा। जागरण संवादी के मंच पर पहुंचे तीन बार के ग्रैमी आवार्ड विजेता रिकी केज ने संगीतकारों को सिनेमा की सीमाओं से मुक्त करने और उनकी कला का सम्मान करने का आह्वान किया।

केज ने राष्ट्रगान का नया वर्जन प्रस्तुत किया

उनके साथ मंच पर उपस्थित संस्कृति कर्मी संदीप भूतोड़िया ने कहा कि हमें यह ध्यान रखना होगा कि संगीत भारतीय संस्कृति का वाहक है। संगीत प्रेमियों के बीच रिकी केज ने राष्ट्रगान का नया वर्जन प्रस्तुत किया। 100 ब्रिटिश संगीतज्ञों, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया की मनमोहक बांसुरी की धुन और ओडिशा के 1,400 आदिवासी बच्चों के साथ राष्ट्रगान को नया आयाम दिया है।

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ऐसा ही भारत में भी किया जाना जरूरी

भारत माता की जय और जय हिंद के जयघोष के साथ रिकी केज ने कहा कि भारत में संगीतकार को हमेशा इस बात से जाना जाता है कि उसने किस फिल्म में गीत गाए या धुन बनाई, जबकि पश्चिमी देशों में संगीत को स्वतंत्र नजरिये से देखा जाता है। ऐसा ही भारत में भी किया जाना जरूरी है। हमें संगीतकारों की कला का सम्मान करना चाहिए, उसे बढ़ावा देना चाहिए। क्षेत्रीय भाषाओं में यह परंपरा अब भी जीवित है। इस अवसर पर संस्कृति कर्मी संदीप भूतोड़िया ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए।

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संदीप भूतोड़िया ने कहा कि वैश्विक फलक पर भारतीय संगीत को नया आयाम देने के लिए जरूरी है कि संगीत भारत के चित्र को प्रस्तुत करे। हमें अपनी संस्कृति और भाषा को बढ़ावा देने के लिए गंभीरता से काम करने की जरूरत है। इसमें हिंदी के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषाओं के संगीत को आगे बढ़ाना चाहिए। संस्कृति को एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाना होगा, इससे जुड़ाव गहरा होगा। हमें अपनी संस्कृति और भाषा को आगे बढ़ाने की जरूरत है।