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विदेशों की जगह देश के शैक्षणिक संस्थानों में निवेश करें उद्योगपति: धनखड़

विदेशी शैक्षणिक संस्थाओं को देश के उद्योगपति मोटा-मोटा डोनेशन देते हैं। भारत से 50 मिलियन यूएस डॉलर का डोनेशन दिया जाता है। वक्त आ गया है कि यह डोनेशन भारत के शैक्षणिक संस्थानों को दिया जाए। यह बात उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कही। वे दिल्ली विश्वविद्यालय के इंदप्रस्थ महिला कॉलेज के 100वें स्थापना दिवस समारोह के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।

By uday jagtap Edited By: Geetarjun Updated: Wed, 07 Feb 2024 11:28 PM (IST)
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विदेशों की जगह देश के शैक्षणिक संस्थानों में निवेश करें उद्योगपति: धनखड़

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। विदेशी शैक्षणिक संस्थाओं को देश के उद्योगपति मोटा-मोटा डोनेशन देते हैं। भारत से 50 मिलियन यूएस डॉलर का डोनेशन दिया जाता है। वक्त आ गया है कि यह डोनेशन भारत के शैक्षणिक संस्थानों को दिया जाए। खासकर लड़कियों को शिक्षित करने में इसे खर्च किया जाए। यह बात उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कही। वे दिल्ली विश्वविद्यालय के इंदप्रस्थ महिला कॉलेज के 100वें स्थापना दिवस समारोह के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।

धनखड़ ने कहा कि वे विदेश में डोनेशन के खिलाफ नहीं है। लेकिन, सीएसआर फंड के लिए यह होना चाहिए। जिससे हमारे शैक्षणिक संस्थानों को और विकास हो सके। उन्होंने कहा, लड़कियों की शिक्षा क्रांति है। गणतंत्र दिवस पर सेना से लेकर, एयर फोर्स, हेलीकॉप्टर, पुलिस तक में महिलाओं का प्रतिनिधित्व हुआ। अब उनके और सशक्त बनने का समय है।

भारत को वर्ष 2047 में विकसित बनना है तो यह महिलाओं की भागीदारी बढ़ाकर ही संभव होगा। उन्होंने छात्राओं से कहा कि वे नवाचार का जो विचार सोचें उसे कार्य रूप में परिणित करें। असफलता का डर उनके अंदर नहीं होना चाहिए। आप खुद के साथ समाज के उत्थान के लिए भी काम करें। अब वक्त बदल रहा है।

देश को एक वक्त अपना सोना गिरवीं रखना पड़ा था। अब हमारा विदेशी मुद्रा भंडार 600 बिलियन डॉलर का है। हम आगे बढ़ रहे हैं और देश देख रहा है। पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए हैं। 2027-28 में तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। महिला आरक्षण बिल आ चुका है। जरूरी है कि उसके अनुरूप भागीदारी भी बढ़े।

उन्होंने कहा, देश को आर्थिक राष्ट्रवाद की तरफ बढ़ना होगा। खिलौने, चाकलेट, पतंग, फर्नीचर जैसी वस्तुएं बाहर से आना उचित नहीं लगता। सबका निर्माण हमारे यहां ही होना चाहिए। सुचेता कृपलानी और मीरा कुमार जैसे दिग्गज राजनेता आपके कॉलेज के छात्र रहे हैं। आप सभी के लिए यह गर्व की बात है।

इससे पहले कॉलेज के नए बनाए लोगों और 100 वर्ष की यात्रा पर आधारित काफी टेबल बुक का विमोचन भी किया गया। इस मौके पर उपराष्टपति जगदीप धनखड़ की पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़, डीयू के कुलपति प्रो. योगेश सिंह, कॉलेज के चयरेमैन आलोक बी. श्रीराम, प्राचार्य प्रो. पूनम कुमरिया आदि मौजूद रहे।

सांस्कृतिक कार्यक्रम के जरिये दिखाई यात्रा

इंद्रप्रस्थ महिला कॉलेज की शुरुआत 1904 में किनारी बाजार, चांदनी चौक की गली अनार में ‘इंद्रप्रस्थ पुत्री पाठशाला’ के रूप में हुई थी। कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय का पहला महिला कॉलेज है। समारोह में कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से कॉलेज की वर्षों की गौरवशाली यात्रा को प्रदर्शित किया गया। कार्यक्रम में चार हजार से अधिक छात्राओं ने भाग लिया।