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Haryana Election 2024: करनाल के रण में फिर मजबूत महारथी, रोचक होगा मुकाबला; भाजपा-कांग्रेस के बीच मुख्य लड़ाई

हर चुनाव के दौरान करनाल विधानसभा काफी चर्चा में रहती है। यहां आम तौर पर मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही रहता है। इस बार भी भाजपा नेतृत्व के लिए यह सीट प्रतिष्ठा से जुड़ी है तो कांग्रेस भी यहां का रण जीतने की खातिर सब कुछ दांव पर लगाने को तैयार है। भाजपा को मजबूत कैडर पर भरोसा कांग्रेस ने अनुभवी चेहरों पर दांव लगाया है।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Thu, 12 Sep 2024 05:48 AM (IST)
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करनाल के रण में फिर मजबूत महारथी, रोचक होगा मुकाबला

 पवन शर्मा, करनाल। महाभारतकालीन स्मृतियों के साक्षी करनाल के रण में एक बार फिर रोचक परिदृश्य नजर आ रहा है। वजह एक बार फिर दोनों प्रमुख दलों यानि भाजपा और कांग्रेस के महारथियों का चुनावी रण में पूरे दम-खम से ताल ठोकना है।

भाजपा के रणनीतिकारों को अपने मजबूत कैडर पर भरोसा है तो कांग्रेस ने अनुभवी चेहरों को चुनाव मैदान में उतारकर सेफ गेम खेलने का प्रमाण दिया है। जातीय समीकरण हों या अपने-अपने दलों की राजनीतिक पृष्ठभूमि, करनाल जिले की पांचों सीटों पर ये सभी प्रत्याशी इन पहलुओं के सहारे हवा का रुख अपनी ओर करने की खातिर एड़ी-चोटी का जोर लगाएंगे। ऐसे में कहीं प्रतिष्ठा दांव पर लगी है तो कहीं प्रतिद्वंद्वी को पटखनी देने के लिए भरपूर जोशोखरोश से तैयारियां की जा रही हैं।

भाजपा नेतृत्व के लिए यह सीट प्रतिष्ठा से जुड़ी

सबसे पहले जिक्र करनाल सीट का, जहां कांग्रेस की ओर से नामांकन के अंतिम चरण में प्रत्याशी घोषित करने के साथ ही अगले कुछ दिन में आने वाले राजनीतिक उतार-चढ़ाव पर सबकी निगाहें टिकी हैं। जिले में हर चुनाव के दौरान करनाल विधानसभा काफी चर्चा में रहती है। यहां आम तौर पर मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही रहता है। इस बार भी भाजपा नेतृत्व के लिए यह सीट प्रतिष्ठा से जुड़ी है तो कांग्रेस भी यहां का रण जीतने की खातिर सब कुछ दांव पर लगाने को तैयार है।

भाजपा व कांग्रेस के बीच ही मुख्य मुकाबला

2019 में लगातार दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे मनोहर लाल ने इस सीट पर कांग्रेस के त्रिलोचन सिंह को हराकर जीत प्राप्त की थी। 2024 में लोकसभा चुनाव के रण में उतरने के कारण उनके त्यागपत्र के बाद वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने यहां से उपचुनाव लड़ा और एक बार फिर कांग्रेस के त्रिलोचन सिंह को अच्छे अंतर से हराया।

अब चंद माह के अंतराल के बाद हो रहे विधानसभा चुनाव में पहले की तरह फिर भाजपा व कांग्रेस के बीच ही मुख्य मुकाबला आंका जा रहा है। हालांकि इस बार अपेक्षाकृत नवप्रवेशी आम आदमी पार्टी भी यहां ताल ठोक रही है, जिसने सुनील बिंदल पर दांव लगाया है। इसके अलावा नामांकन के अंतिम दिन कुछ निर्दलीय भी चुनाव मैदान में उतरकर मुकाबले को रोचक मोड़ दे सकते हैं।

पांचों सीटों पर सेफ गेम खेल रही कांग्रेस

कांग्रेस ने करनाल के चुनावी अखाड़े में नीलोखेड़ी और असंध के बाद अब घरौंडा, इंद्री और करनाल विधानसभा क्षेत्रों में भी राजनीति के अनुभवी चेहरों पर दांव लगाकर कांग्रेस ने सेफ गेम खेलने का प्रयास किया है। लोकसभा चुनाव में ज्यादातर क्षेत्रों में मिले अच्छे वोटों के बावजूद कांग्रेस किसी भी सीट पर खतरा मोल लेने के मूड में नजर नहीं आ रही।

निर्दलीय जीते धर्मपाल गोंदर को प्रत्याशी बनाया

यही कारण है कि असंध के रण में पार्टी नेतृत्व ने जिले में अपने एकमात्र सिटिंग विधायक शमशेर सिंह गोगी को एक बार फिर टिकट थमाया तो सुरक्षित सीट नीलोखेड़ी में पिछली बार निर्दलीय जीते धर्मपाल गोंदर को प्रत्याशी बनाया। इसी तरह इंद्री में पूर्व विधायक राकेश कांबोज चुनाव मैदान में उतरे हैं तो घरौंडा में सांगठनिक दृष्टिकोण से काफी अनुभवी अपने राष्ट्रीय सचिव वीरेंद्र सिंह राठौर को प्रत्याशी बनाकर कांग्रेस के रणनीतिकार बिखरा कैडर एकजुट करने का भरसक प्रयास करेंगे।

सबसे रोचक समीकरण करनाल सीट पर

सबसे रोचक समीकरण करनाल सीट पर नजर आ रहे हैं, जहां पहले दो बार विधायक रह चुकीं सुमिता सिंह को टिकट थमाकर कांग्रेस नेतृत्व ने तमाम अटकलों पर विराम लगाने का प्रयास किया है। माना जा रहा है कि अच्छे राजनीतिक अनुभव के बूते सुमिता सिंह अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में भाजपा के जगमोहन आनंद को तगड़ी टक्कर देंगी।

पांचों विधानसभाओं में पिछले चुनाव के विजेता व उपविजेता

वर्ष 2019 विधानसभा विजेता वोट पराजित वोट करनाल मनोहर लाल-भाजपा 79906 त्रिलोचन सिंह-कांग्रेस 34718 असंध शमशेर गोगी-कांग्रेस 32114 नरेंद्र सिंह-बसपा 30411 घरौंडा हरविंद्र कल्याण-भाजपा 67209 अनिल कुमार-कांग्रेस 49807 इंद्री रामकुमार कश्यप-भाजपा 54221 राकेश कांबोज-निर्दलीय 46790 नीलोखेड़ी धर्मपाल गोंदर-निर्दलीय 42979 भगवानदास कबीरपंथी-भाजपा 40757