Haryana Elections: श्रुति चौधरी Vs अनिरुद्ध, कौन करेगा तोशाम का रण फतेह? बंसीलाल के पोता-पोती के सामने साख बचाने की चुनौती
तोशाम विधानसभा सीट पर भी दिलचस्प मुकाबला होने जा रहा है। बंसीलाल के पोता और पोती चुनाव रण में एक-दूसरे से मुकाबला करते नजर आएंगे। एक ओर श्रुति चौधरी तो दूसरी ओर उनके चचेरे भाई अनिरुद्ध चौधरी हैं। इन दोनों नेताओं का यह पहला विधानसभा चुनाव है। उधर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे पूर्व विधायक शशी रंजन परमार ने इस महामुकाबले को कुछ हद तक त्रिकोणीय और रोमांचक बना दिया है।
शिव कुमार, भिवानी। Haryana Assembly Election 2024: बागड़ बेल्ट का विधानसभा क्षेत्र तोशाम। बंसीलाल की विरासत और उनकी दो पीढ़ियों का कर्मक्षेत्र। हमेशा से चर्चित सीट की श्रेणी में रहा है। इस बार फिर बंसीलाल की ही पोता-पोती आमने-सामने हैं।
लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुई किरण चौधरी को पार्टी राज्यसभा सदस्य बना चुकी है। उनकी पूर्व सांसद बेटी श्रुति चौधरी को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है। अब मां-बेटी के सामने कमल खिलाने की चुनौती है।
उनके सामने उनके ताऊ के बेटे अनिरुद्ध चौधरी है। जिनके कंधों पर यहां कांग्रेस के 67 वर्षों के वर्चस्व को कायम रखने की बड़ी जिम्मेदारी है। किरण और श्रुति 19 साल तक कांग्रेस में रहने के बाद अब भाजपा में आई हैं तो अपने पुराने कार्यकर्ताओं, मतदाताओं को साथ लाना भी चुनौती है।
उधर, भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे पूर्व विधायक शशि रंजन परमार ने इस महामुकाबले को कुछ हद तक त्रिकोणीय और रोमांचक बना दिया है। पिछले चुनाव में कांग्रेस की किरण चौधरी के सामने भाजपा के पूर्व विधायक शशि रंजन परमार थे।
शशि रंजन परमार 54 हजार से अधिक वोट लेने के बावजूद 18 हजार से अधिक वोटों से हार गए थे। इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।
इसलिए चर्चित सीट
भाई-बहन श्रुति चौधरी और अनिरुद्ध चौधरी पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे है। श्रुति चौधरी 2009 में सांसद रह चुकी है। 2024 में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। उनके सामने ताऊ के बेटे चौ. बंसीलाल के पोते व रणबीर सिंह महेंद्रा के बेटे अनिरूद्ध चौधरी है। वह राजनीतिक सफर की शुरुआत कर रहे है।
बंसीलाल चार बार मुख्यमंत्री बने
बंसीलाल यहां से छह बार जीतकर चार बार मुख्यमंत्री बने और करीब 12 साल तक मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली। वे 1967 में पहली बार विधायक बने। इसके बाद 1968 में जीते और मुख्यमंत्री बने। भाजपा लोकसभा चुनाव में थी आगे लोकसभा चुनाव में तोशाम से भाजपा उम्मीदवार धर्मबीर सिंह को 73187 वोट और कांग्रेस उम्मीदवार राव दानसिंह को 65124 वोट मिले थे।
श्रुति चौधरी के समक्ष चुनौतियां
श्रुति चौधरी 2009 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद 2014 और 2019 का चुनाव हारी। इसी कारण 2024 में पार्टी ने उन्हें प्रत्याशी नहीं बनाया। अब हार का सिलसिला तोड़ना चुनौती है। कांग्रेस छोड़ भाजपा में जाने से तोशाम के काफी कार्यकर्ता नाखुश हैं। पिछले चुनाव में किरण चौधरी को कैरू, जुई क्षेत्र में पिछले विस चुनाव में कम वोट मिले थे।
अनिरुद्ध पहले नहीं रहे सक्रिय
बंसीलाल के परिवार के नाम पर तोशाम विस में अब तक चौ. बंसीलाल के अलावा उनके बेटे चौ. सुरेंद्र सिंह, किरण चौधरी ही सक्रिय रही हैं। अनिरुद्ध चौधरी और उनके पिता रणबीर सिंह महेंद्रा ने तोशाम में सक्रिय राजनीति नहीं की।
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क्षेत्र में छवि बनी है कि रणबीर सिंह महेंद्रा हमेशा अपने पिता चौ. बंसीलाल के खिलाफ रहे हैं। 1998 में भाई सुरेंद्र के खिलाफ चुनाव भी लड़ा। अनिरुद्ध चौधरी पहली बार चुनाव लड़ रहे है और अकेले ही प्रचार का पूरा जिम्मा संभाले हैं।
बागी शशि रंजन भी मैदान में
पूर्व विधायक शशि रंजन परमार ने पिछला चुनाव भाजपा के टिकट पर लड़ा तो 56 हजार वोट आए। अब निर्दलीय चुनाव लड़ रहे है तो लोगों को जोड़ना चुनौती है। तोशाम, मिरान क्षेत्र ने पिछली बार भी ज्यादा वोट नहीं मिले थे। कैरू, जुई क्षेत्र में ज्यादा मजबूत रहे, मगर इस बार जजपा प्रत्याशी पाथरवाली के सरपंच राजेश भारद्वाज भी मैदान में है, जो इस क्षेत्र में उन्हें काफी नुकसान करेंगे।
14 में से 12 चुनाव कांग्रेस के नाम, कभी नहीं खिला कमल
हरियाणा गठन के बाद हुए 14 चुनावों में 12 बार चौ. बंसीलाल परिवार ही जीता है। खुद बंसीलाल सात बार लड़े और छह बार जीते। चौ. बंसीलाल के अलावा तीन बार उनके पुत्र चौ. सुरेंद्र सिंह जीते तो तीन बार उनकी पुत्रवधु किरण चौधरी विधायक बनीं। भाजपा का कमल यहां कभी नहीं खिला।
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