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अपनी कला का लोहा मनवा रहे राजस्थान से आए शिल्प गुरु

बचपन से छोटी-छोटी चीजों से कलाकृतियां बनाने वाले जयपुर राजस्थान से है शिल्प गुरु गोपाल प्रसाद शर्मा।

By JagranEdited By: Updated: Tue, 29 Mar 2022 06:33 PM (IST)
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अपनी कला का लोहा मनवा रहे राजस्थान से आए शिल्प गुरु

अभिषेक शर्मा, फरीदाबाद : बचपन से छोटी-छोटी चीजों से कलाकृतियां बनाने वाले जयपुर राजस्थान से सूरजकुंड मेले में आए गोपाल प्रसाद शर्मा ने कभी सोचा भी न था कि यह कला उन्हें ख्याति दिला देगी और उनका नाम लिम्का बुक आफ रिकार्ड और इंडिया बुक आफ रिकार्ड में दर्ज होगा। गोपाल प्रसाद उस शख्सियत का नाम है, जिन्होंने राई के दाने पर महाराणा प्रताप, महात्मा गांधी, छत्रपति शिवाजी महाराज, इंदिरा गांधी और मदर टेरेसा जैसे महापुरुषों के चित्र बनाए हैं।

शिल्प गुरु गोपाल प्रसाद का दावा है कि विश्व का सबसे बड़ा राम दरबार भी उन्होंने बनाया है। इसमें भगवान राम, सीता, भगवान राम की तीनों माताएं, तीनों अनुज लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न, वीर हनुमान सहित रामायण काल से जुड़े विभिन्न देवी-देवता, वानर सेना को दर्शाया गया है। इसके अलावा एक मिलीमीटर मोटाई वाले महिला के बाल पर पूरी बरात को दिखाया है। इनमें बारात के स्वागत से वधू की विदाई तक को दिखाया गया है। इसके लिए उन्होंने अपना नाम गिनीज आफ व‌र्ल्ड रिकार्ड में दर्ज कराने के लिए आवेदन किया हुआ है। गोपाल प्रसाद के अनुसार अभी तक 5.3 एमएम मोटाई वाले बाल पर चित्र बनाने वाले का नाम गिनीज बुक दर्ज रिकार्ड में है। पूर्वज थे राजमिस्त्री

गोपाल प्रसाद के पूर्वज राजस्थान के भीलवाड़ा के बिजोलिया राज घराने में राजमिस्त्री का काम करते थे। उनका मुख्य कार्य राज महल और मंदिरों में भित्ति चित्रण व मूर्तियां बनाने का होता था, पर ब्रिटिश शासन और आजादी के बाद राजशाही समाप्त होने के साथ ही भित्ति चित्रण कला विलुप्त हो गई। बहुत बारीक काम होने की वजह से युवा रुचि नहीं लेते थे, लेकिन गोपाल प्रसाद ने अपने पूर्वजों की कला को आगे बढ़ाने का काम शुरू किया और इसे आधुनिकता के साथ जोड़ दिया। अब यह मिनिएचर आर्ट के रूप में जानी जाती है। चित्रों के जरिये दर्शाते है कहानी

गोपाल प्रसाद ने बताया कि पूरे राम दरबार को बनाने में पांच साल का समय लगा था। पहले रिसर्च की, रामायण पढ़ी। इसमें पांच वर्ष का समय लगा था। अब मिनिएचर आर्ट के जरिये रामायण का चित्रण करने की कोशिश जारी है। उन्हें कंठस्थ किया। इसके बाद प्रमुख घटनाओं का चित्रण किया। इसको समझाने के लिए चौपाइयों को भी लिखा जा रहा है। इसे तैयार करने में लगभग पांच वर्ष का समय लगेगा। इसे युवा पीढ़ी का रामायण के प्रति रुझान बढ़ेगा। उन्हें चित्रों के जरिये इतिहास के बारे में जानकारी होगी। गोपाल प्रसाद को मिले अवार्ड

-वर्ष 2010 में बेस्ट सिटीजन आफ इंडिया से सम्मानित किया गया

-वर्ष 2010 में राजस्थान सरकार ने कलामणि पुरस्कार

-वर्ष 2014 में सूरजकुंड मेले में पहली बार 40 देशों ने शिरकत की थी। उस समय इन्हें परंपरागत इंटरनेशनल अवार्ड दिया गया

-वर्ष 2012 में कला निधि अवार्ड

-वर्ष 1994 में जयपुर जिला अवार्ड

-वर्ष 1998 में मेवाड़ फाउंडेशन की ओर से आयोजित महाराणा सज्जन सम्मान

-वर्ष 2007 में दया निधि मारन ने नेशनल अवार्ड दिया था

-वर्ष 2018 में शिल्प गुरु अवार्ड मिल चुका है छह बार प्रस्तावित हो चुका है पदमश्री के लिए

गोपाल प्रसाद ने बताया कि उनका नाम पदमश्री अवार्ड के लिए छह बार प्रस्तावित हो चुका है। दो बार राजस्थान सरकार और एक बार प्रदेश के निवर्तमान राज्यपाल जगन्नाथ पहाड़िया ने प्रस्तावित किया था। तीन बार अन्य विभिन्न मौकों पर प्रस्तावित हो चुका है। अवार्ड देने से पहले विभिन्न एजेंसियों द्वारा जांच प्रक्रिया भी पूरी की जा चुकी है। उम्मीद है कि जल्द उन्हें इस सम्मान से नवाजा जाएगा।