अस्थमा के मरीजों को प्रदूषण और धूल वाले इलाके में जाने से बचना चाहिए
गुरुग्राम एक ऐसा शहर है जिसमें किसी को भी सांस लेने जैसी परेशानी का सामना करना पड़ता है। जिन्हें अस्थमा बीमारी के मरीज नहीं है उन्हें भी कई बार सांस लेने में पेरशानी महसूस होती है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: प्रदूषित माहौल में अस्थमा (दमा) बीमारी से ग्रस्त मरीजों के लिए हर रोज परेशानी होती है। स्वास्थ्य विभाग के डाक्टरों का कहना है कि गुरुग्राम एक ऐसा शहर है जिसमें किसी को भी सांस लेने जैसी परेशानी का सामना करना पड़ता है। जिन्हें अस्थमा बीमारी के मरीज नहीं है उन्हें भी कई बार सांस लेने में पेरशानी महसूस होती है। ऐसे मरीज ओपीडी में आते हैं।
स्वास्थ्य विभाग की वरिष्ठ फिजिशियन डा. काजल कुमुद का कहना है कि दस हजार के करीब मरीज वर्ष में ऐसे आते हैं जिन्हें सांस लेने की परेशानी हो रही है। इसमें बड़ी संख्या में अस्थमा के लक्षण मिलते हैं। शहर में वायु प्रदूषण अधिक होने के कारण और युवाओं में धूमपान करने की लत भी एक बड़ा कारण है। जब किसी व्यक्ति की सांस लेने वाली नली में समस्या पैदा होती है तो उसे सांस लेने में तकलीफ होती है। उसे खांसी आने लगती है। यह दमा की पहचान है।
जब सांस की नली में सूजन होगा, तो मरीज को बेचैनी होगी। ऐसी स्थिति में मरीज को फेफड़े में हवा कम जाती है सांस लेने में तकलीफ होती है। इसका कोई हमेशा के लिए समाधान नहीं है लेकिन बचाव से स्वस्थ रह सकते हैं। वहीं अस्थमा बीमारी के कारण फेफड़े का वायु मार्ग में सूजन आ जाता है और फेफड़े पतले हो जाते हैं। ऐसे मरीज को प्रदूषण और धूल कण वाले इलाके में नहीं रहना चाहिए। दमा के लक्षण:
दमा के लक्षण मरीज के हिसाब से अलग अलग होते हैं। दमा रोग में रोगी को सांस लेने तथा सांस को बाहर छोड़ने में काफी जोर लगाना पड़ता है। मरीज के सांस लेने में सिटी जैसी आवाजें आएंगी। इस कारण भी हो सकता है दमा :
ज्यादातर लोगों में दमा एलर्जी, परफ्यूम जैसी खुशबू और कुछ अन्य प्रकार के पदार्थो से हो सकता हैं। कई बार मानसिक तनाव के साथ ज्यादा क्रोध या नशीले पदार्थों का अधिक सेवन करने से मनुष्य के शरीर की पाचन नलियों में जलन होती है।
जिले में पीएम 2.5 का स्तर
26 अप्रैल- 287
27 अप्रैल- 325
28 अप्रैल- 298
29 अप्रैल- 325
30 अप्रैल- 337
1 मई - 278
2 मई - 287