Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

'ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत पुलिस के पास तलाशी और जब्ती का अधिकार नहीं', याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने की अहम टिप्पणी

हेल्थ बायोटेक लिमिटेड के निदेशक गौरव चावला की याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट के उल्लंघन को लेकर अहम टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने कहा कि किसी भी तलाशी और जब्ती की शक्ति पूरी तरह से ड्रग इंस्पेक्टर के पास निहित है। पुलिस के पास कथित अवैध उत्पाद की खोज करने या जब्त करने का कोई अधिकार नहीं है।

By Anurag Aggarwa Edited By: Deepak SaxenaUpdated: Thu, 28 Dec 2023 08:29 PM (IST)
Hero Image
ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट के उल्लंघन को लेकर हाईकोर्ट ने की अहम टिप्पणी।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि पुलिस के पास ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट के उल्लंघन में कथित अवैध उत्पाद की खोज करने या जब्त करने का कोई अधिकार नहीं है। जब्त करने की शक्ति अधिनियम के तहत नियुक्त निरीक्षक के पास होगी। हाई कोर्ट ने माना कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 की धारा 22 के अनुसार, किसी भी तलाशी और जब्ती की शक्ति पूरी तरह से ड्रग इंस्पेक्टर के पास निहित है, पुलिस के नहीं।

वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता पर बिना किसी अपेक्षित लाइसेंस के कथित तौर पर रेमडेसिवीर इंजेक्शन को विनियमित दर से अधिक कीमत पर बेचने की पेशकश करने के लिए ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। परिसर पर छापा मारने के बाद पुलिस ने कथित इंजेक्शन जब्त कर लिए और इंजेक्शन बनाने वाली कंपनी के निदेशक/याचिकाकर्ता और अन्य सह अभियुक्तों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की।

रेमडेसिवीर कंपनी के मालिक पर दर्ज एफआईआर की रद्द

जस्टिस मंजरी नेहरू कौल ने एफआईआर रद करते हुए और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट की धारा 22 का जिक्र करते हुए कहा कि यह स्पष्ट है कि पुलिस के पास परिसर का निरीक्षण करने और इंजेक्शन जब्त करने का कोई अधिकार नहीं है, जैसा कि वर्तमान मामले में किया गया। ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट विशेष एक्ट होने के नाते सीआरपीसी और आवश्यक वस्तु अधिनियम का स्थान लेता है, जिससे पुलिस को ड्रग्स इंस्पेक्टर के अधिकार को हड़पने के लिए सीआरपीसी या आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत शरण लेने से रोका जा सकता है।

ये भी पढ़ें: Haryana News: काम में लापरवाही को लेकर बैठक में नाराज हुए सीएम मनोहर लाल, दो चीफ इंजीनियर को कंपलसरी लीव पर भेजा

हाईकोर्ट ने हेल्थ बायोटेक की याचिका पर की सुनवाई

अदालत ने कहा कि कोई भी तलाशी और जब्ती कानून के अनुसार नहीं की गई, जैसा कि इस मामले में देखा गया। ऐसे सबूतों के आधार पर आरोपित को दोषी ठहराने के लिए मुकदमे के दौरान कोई महत्व नहीं होगा। इसलिए दोषपूर्ण वसूली प्रक्रिया के कारण आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा सात के तहत जुर्माना लगाने की कोई संभावना नहीं होगी।

हाई कोर्ट ने यह टिप्पणियां हेल्थ बायोटेक लिमिटेड के निदेशक गौरव चावला की याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें आईपीसी की धारा 420 और 120-बी, आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा सात और औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम की धारा 27 के तहत चंडीगढ़ में अप्रैल 2021 में दर्ज एफआईआर रद करने की मांग की गई।

तलाशी और जब्ती का अधिकार ड्रग इंस्पेक्टर के पास निहित

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि आईपीसी की धारा 420 के तहत धोखाधड़ी के लिए आवश्यक तत्व नहीं बनाए गए, क्योंकि याचिकाकर्ता के खिलाफ एफआईआर में कोई संपत्ति देने या किसी व्यक्ति को धोखा देने का कोई आरोप नहीं लगाया गया। कहा गया कि याचिकाकर्ता की कंपनी से इंजेक्शन की कथित जब्ती पुलिस द्वारा नहीं की जा सकती क्योंकि किसी भी तलाशी और जब्ती की शक्ति पूरी तरह से ड्रग इंस्पेक्टर के पास निहित है। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि पुलिस के पास ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की धारा 27 के तहत अपराधों की जांच करने की कोई शक्ति नहीं है। यहां तक कि उक्त प्रविधान के तहत एफआईआर भी दर्ज नहीं की जा सकती।

ये भी पढ़ें: SYL मामले को लेकर आमने सामने आए पंजाब-हरियाणा, सीएम मनोहर लाल बोले- 'पाकिस्तान को मिलता हमारे हिस्से का पानी'