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कुत्ते के शिकार लोगों को करना पड़ रहा नरेला का रुख

जागरण संवाददाता, सोनीपत: शहर में कुत्ते का शिकार होने वाले लोगों को भी इलाज के लिए जिले

By JagranEdited By: Updated: Tue, 09 Jan 2018 06:06 PM (IST)
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कुत्ते के शिकार लोगों को करना पड़ रहा नरेला का रुख

जागरण संवाददाता, सोनीपत: शहर में कुत्ते का शिकार होने वाले लोगों को भी इलाज के लिए जिले से बाहर जाना पड़ रहा है। सामान्य अस्पताल में इलाज का बंदोबस्त होने के बावजूद पीड़ित दिल्ली व रोहतक जाने को तवज्जो दे रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में शहर में कुत्तों का आतंक बढ़ा है। इसके बाद से सामान्य अस्पताल में भी रोजाना करीब 20 मरीज पहुंच रहे हैं। वहीं इससे अधिक मरीज इलाज के लिए नरेला स्थित राजा हरिश्चंद्र अस्पताल का रुख कर रहे हैं।

जिला अस्पताल में जहां रेबीज के इंजेक्शन लगाने का खर्च 100 रुपये आता है ,वहीं नरेला के अस्पताल में यह मुफ्त है। इसके अलावा लोगों का मानना भी है कि नरेला स्थित अस्पताल में जिला अस्पताल से कहीं बेहतर इलाज उपलब्ध है। लोगों का कहना है कि जिला अस्पताल में जहां इलाज में एक महीने से भी अधिक वक्त लग जाता है, वहीं नरेला के सरकारी अस्पताल राजा हरिश्चंद्र में पीड़ित व्यक्ति आमतौर पर 15 दिनों में ही सामान्य हो जाता है। कई दिन पहले कुत्ते का शिकार हुई सेक्टर-23 निवासी सुमित्रा देवी ने बताया कि वह कुत्ते के काटने के बाद पहले सामान्य अस्पताल गई। वहां उन्हें एक घंटे से अधिक हो गया मगर प्राथमिक इलाज तक शुरू नहीं हो सका। इसके बाद परिजन उन्हें निजी अस्पताल लेकर गए जहां उनके पांच हजार रुपये लग चुके हैं।

कुत्ते के शिकार को लगते हैं छह इंजेक्शन

जिला अस्पताल में कुत्ते के काटने के बाद निश्चित समय पर छह इंजेक्शन लगाए जाते हैं। सबसे पहले टीटी का इंजेक्शन और उसके बाद कुछ दिनों के अंतराल पर अन्य पांच एआर इंजेक्शन लगाए जाते हैं। पहला टीका लगाने के बाद तीन दिन के अंतराल पर दूसरा टीका लगाया जाता है। तीसरा टीका सातवें दिन तो चौथा 14वें दिन लगता है। इसके बाद पांचवां टीका एक महीना होने पर लगता है।

बीपीएल का मुफ्त है इलाज

जिला अस्पताल में बीपीएल परिवार के लिए इलाज मुफ्त है। हालांकि कई बार कुत्ता काटने पर तुरंत अस्पताल पहुंचे किसी बीपीएल कार्ड धारक को भी 100 रुपये अदा करने पड़ जाते हैं। बिना दस्तावेज के उनका मुफ्त इलाज संभव नहीं है।

निजी अस्पतालों में भी बढ़ी पीड़ितों की संख्या

वैसे तो अधिकतर कुत्ते का शिकार हुए लोग सामान्य अस्पताल में ही इलाज कराते हैं। मगर हाल ही में ऐसी संख्या निजी अस्पतालों में भी बढ़ती जा रही है। इस मौके को निजी अस्पताल खूब भुना भी रहे हैं। वह पीड़ित से मोटी रकम वसूल रहे हैं। सामान्य इंजेक्शन के दाम से कई गुना राशि का बिल बना दिया जाता है।

अस्पताल में कुत्ते का शिकार हुए रोजाना करीब 20 मरीज आ रहे हैं। उनके इलाज के लिए अस्पताल में रेबीज का टीका उपलब्ध है। पहले एक टीटी का इंजेक्शन लगने के बाद पांच एआर इंजेक्शन लगते हैं। इंजेक्शन के लिए 100 रुपये लगते हैं। पीड़ित का जख्म साफ करने के साथ ही दवाई दी जाती है। मरीजों की संख्या को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन ने इंतजाम दुरुस्त किए हुए हैं।

- डॉ. सीपी अरोड़ा, पीएमओ, सामान्य अस्पताल