Yamunanagar News: एक शव के दो दावेदार, दाह संस्कार के लिए हुआ विवाद; पुलिस ने बमुश्किल से सुलझाया मामला
यमुनानगर के नागरिक अस्पताल में एक बुजुर्ग की मौत के बाद शव के दो दावेदार हो गए। परिवार और गोद लिए लड़के में शव ले जाने को लेकर काफी वाद-विवाद होता रहा। दरअसल मृतक के पास कोई संतान नहीं थी इसलिए उसने एक लड़के को गोद ले लिया था। इसके साथ ही बुजुर्ग के दो मकान है जिस पर पहले से ही केस विचाराधीन है।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर। नागरिक अस्पताल यमुनानगर में बुजुर्ग 83 वर्षीय सुदर्शन की उपचार के दौरान मौत हो गई। उनकी मौत के बाद शव के दो दावेदार हो गए। एक दावा वह पक्ष कर रहा था जो उसके परिवार से था और उसे अस्पताल में दाखिल कराया था। जबकि दूसरा दावा उसका गोद लिया युवक कर रहा था। डॉक्टर ने भी अस्पताल में दाखिल कराने वाले पक्ष को ही शव देने की बात कही। काफी देर तक इस बात को लेकर हंगामा होता रहा।
बाद में पुलिस पहुंची और दोनों पक्षों से बात की। सख्ती के साथ समझाया गया। सामने आया कि बुजुर्ग के दो मकान है। जिसको लेकर दोनों पक्षों का कोर्ट में केस विचाराधीन है। पुलिस ने परिवार के लोगों को ही शव दिया।
दरअसल, मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जिला बलिया के गांव निछुवाडी निवासी सुदर्शन यहां पेपर मिल में नौकरी करते थे। उन्होंने मायापुरी कालोनी में प्लाट खरीदे थे और यहीं पर मकान बना लिए थे। एक प्लाट 200 गज के प्लाट में मकान व दूसरे 60 गज के प्लाट में मकान है। उनके पास कोई औलाद नहीं थी। एक मकान उन्होंने किराये पर दिया हुआ था। जबकि दूसरे मकान में खुद रहे थे। लगभग सात माह पहले उनकी पत्नी की भी मौत हो गई थी।
मुझे गोद लिया हुआ था: राजू
अस्पताल में आए शिवपुरी कालोनी निवासी राजू ने बताया कि मृतक सुदर्शन उसका मौसा लगता था। उसने बचपन में ही उसे गोद ले लिया था। वह शुरू से ही उनके पास रह रहा था। अब बुजुर्ग होने पर देखभाल भी की। 60 गज के प्लाट में बने मकान में वह अपनी पत्नी के साथ रह रहा है। यहीं पर वह सुदर्शन की सेवा करते थे। अब उनके परिवार के लोग आकर अपना दावा जताने लगे हैं। यह गलत है। कोर्ट में इसी का केस चल रहा है। अब उनकी मौत हो गई है तो शव का संस्कार भी उसे ही करना है।
दूसरे पक्ष का यह दावा
दूसरे पक्ष से जनार्धन भारती ने बताया कि वह मृतक सुदर्शन के भाई के बेटे हैं। सुदर्शन उनके दादा लगते थे। लगभग सात माह पहले वह बीमार हो गए थे। उस समय उन्हें कोई देखने वाला नहीं था। जिस पर उन्होंने फोन कर गांव में बताया था। गांव से यहां आए थे और उन्हें डॉक्टर को दिखाया। वह हार्ट व बीपी के रोगी हो गए थे। वह गांव में जाकर रहने की बात कहने लगे तो उन्हें गांव में लेकर चले गए थे। इस बीच राजू उनकी प्रापर्टी पर अपना कब्जा जताने लगा। उसने पुलिस को झूठी शिकायत दे दी थी। इस विवाद को निपटाने के लिए कोर्ट में याचिका लगाई गई। कोर्ट ने भी उनके पक्ष में फैसला दिया है।
सात माह से वह अपने दादा की देखरेख कर रहे हैं। राजू उन्हें देखने तक नहीं आता था। जिस वजह से उन्हें गांव में लेकर जाना पड़ा। 12 दिसंबर को दादा सुदर्शन को लेकर यहां आ रहे थे। जब स्टेशन पर उतरे तो दादा की तबीयत खराब होने लगी थी। जिस पर उन्हें तुरंत नागरिक अस्पताल में दाखिल कराया गया था। यहां शनिवार को उनकी मौत हो गई। अब राजू उन्हें शव लेकर जाने से रोक रहा है।
दोनों पक्षों में है प्रॉपर्टी विवाद
नागरिक अस्पताल की चौकी के इंचार्ज लाभ सिंह ने बताया कि नियमानुसार खून के रिश्ते में लगने वाले स्वजन को ही शव दिया जाएगा। दोनों पक्षों का प्रापर्टी का विवाद है। वह कोर्ट से सुलझेगा। शव को जनार्धन को दिया गया है क्योंकि उसने ही अस्पताल में दाखिल कराया था।