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Japanese Fruit: जापानी फल की मिठास भर रही बागबानों की जेब, मार्केट में बढ़ी डिमांड; न्यूट्रिएंट्स की रहती है भरमार

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में बागवान सेब के साथ ही अब मिश्रित बागवानी की ओर अपना रुझान करने लगे हैं। जिले में 283.37 हेक्टेयर भूमि पर जापानी फल (Japanese Fruit) होता है। इस फल में न्यूट्रिएंट्स विटामिन सी की मात्रा अधिक पाई जाती है। इस फल की मार्केट में मांग बढ़ने के साथ ही बागवानों को इसका फायदा मिल रहा है।

By davinder thakurEdited By: Deepak SaxenaUpdated: Tue, 05 Dec 2023 11:08 AM (IST)
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जापानी फल की मिठास भर रही बागबानों की जेब, मार्केट में बढ़ी डिमांड।

दविंद्र ठाकुर, कुल्लू। कुल्लू घाटी के जागरूक बागवानों ने सेब पर निर्भर रहने के बजाए मिश्रित बागवानी को अपनाना शुरू कर दिया है। जिसके काफी अच्छे नतीजे भी सामने आने लगे हैं। घाटी के बागवान सेब के साथ-साथ अनार, जापानी फल, नाशपाती, प्लम और अन्य गुठलीदार फलों को भी खासा महत्व दे रहे हैं। इसी में से एक है जापानी फल जिसका उत्पादन पिछले पांच सालों में दोगुणा से से ज्यादा बढ़ गया है।

कुल्लू जिला में 283.37 हेक्टेयर भूमि पर होता है जापानी फल

कुल्लू जिला में मात्र 283.37 हेक्टेयर भूमि में जापानी फल का उत्पादन होता है और बागवानों की आमदनी का जरिया बन रहा है। अब बागवान इसे सेब के वैकल्पिक रूप में अपनी आमदनी को सुदृढ़ कर रहे हैं। इन दिनों जापानी फल घर द्वार पर 130 रुपये प्रति किलो से 150 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है। ऐसे में बागवानों के चेहरे खिल गए हैं। हालांकि पिछले साल की अपेक्षा इस बार दाम कम है। इस बार जापानी फल का उत्पादन पिछले साल की अपेक्षा अधिक है।

जापानी फल में होती है न्यूट्रिएंट्स, विटामिन सी की अधिक मात्रा

इस फल में न्यूट्रिएंट्स, विटामिन सी की मात्रा अधिक होती है। इस कारण फल की अधिक डिमांड होती है। इन दिनों जापानी फल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। दिसबंर महीने में सभी फलों के पौधे खाली हो गए हैं। एक मात्र जापानी फल ही बगीचों में दिखाई दे रहा है। जब प्रदेश में सारे फल समाप्त हो जाते हैं तो जापानी फल ही बाजार में उपलब्ध होता है। लाल रंग का यह फल जहां बागानों की आर्थिकी को मजबूत कर रहा है। वहीं, सैलानियों के आकर्षण का केंद्र भी बनता जा रहा है। घाटी में मात्र जापानी फल ही पेड़ों पर नजर आता है।

प्रदेश में जापानी फल की फूयू व हेचिया प्रजाति पाई जाती है। इसमें फूयू प्रजाति के फल की मांग बाजार में रहती है और बागवानों का यह उत्पादन 200 रुपये प्रति किलो की भाव तक बिकता है। बाजार में जब सारे फल खत्म हो जाते हैं तो लाल रंग का यह फल सभी के आकर्षण का केंद्र बनता है। जापानी फल की फूयू प्रजाति का फल कच्चा खाने वाला फल है, जबकि हेचिया प्रजाति के फल को खाने के उसके पकने का इंतजार करना पड़ता है।

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घर द्वार पर पहुंचे व्यापारी

कुल्लू जिला के लगघाटी में इसका सबसे अधिक उत्पादन होता है। ऐसे में अब व्यापारी कुल्लू के लगघाटी में घर द्वार पर पहुंचकर जापानी की खरीद करते हैं। व्यापारी सुनिल कुमार ने बताया कि इस बार 130 रुपये से 150 रुपये किलो तक जापानी बिक रही है। इस बार जापानी फल का उत्पादन पिछले साल से अधिक है। आज हम लोग जापानी का तूड़ान कर पैकिंग कर रहे हैं। इसके बाद इससे दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और यूपी भेजा जाएगा। इन जगहों पर जापानी की अधिक डिमांड रहती है।

42 हजार पौधों की इस बार भेजी डिमांड

कुल्लू जिला में इस बार नई प्रजातियों के पौधों की अधिक डिमांड है। इसमें जापानी फल के फूयू प्रजाति के 42 हजार पौधों की डिमांड बागवानों ने दी है। इसमें आनी में 12000, निरमंड में 1000, बंजार में 7000, नग्गर से 10000, कुल्लू से 12000 पौधों की डिमांड भेजी गई है।

उद्यान विभाग कुल्लू के उपनिदेशक बीएम चौहान ने बताया कि कुल्लू जिला में जापानी फल के बागवानों को अच्छे दाम मिल रहे हैं। इस बार पैदावार अधिक है इसके बावजूद भी बागवान बेहद खुश है। प्रदेश भर में जब सभी फलों का सीजन समाप्त होता है तो जापानी फल का सीजन शुरू होता हैं।

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