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Shimla: पर्यटन विभाग के पूर्व निदेशक समेत चार को नोटिस, 10 दिन में देना होगा जवाब; पूर्व सरकार में दिया था प्रचार का ठेका

Shimla News हिमाचल पर्यटन विभाग में प्रचार के विज्ञापन एजेंसी के चयन में अनियमितताएं सामने आई हैं। आइएएस अधिकारी पंकज राय की जांच में हेराफेरी के आरोप सही पाए गए हैं। इसके बाद पर्यटन विभाग के सचिव देवेश कुमार ने विभाग के पूर्व निदेशक व आइएएस अधिकारी अमित कश्यप के अलावा स्क्रूटनी कमेटी के तीन सदस्यों को नोटिस जारी किया है।

By Jagran News Edited By: Himani Sharma Updated: Sun, 31 Dec 2023 11:33 AM (IST)
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पर्यटन विभाग के पूर्व निदेशक समेत चार को नोटिस

राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश पर्यटन विभाग में प्रचार के विज्ञापन एजेंसी के चयन में अनियमितताएं सामने आई हैं। आइएएस अधिकारी पंकज राय की जांच में हेराफेरी के आरोप सही पाए गए हैं। इसके बाद पर्यटन विभाग के सचिव देवेश कुमार ने विभाग के पूर्व निदेशक व आइएएस अधिकारी अमित कश्यप के अलावा स्क्रूटनी कमेटी के तीन सदस्यों को नोटिस जारी किया है।

पूर्व निदेशक सूचना एवं जन संपर्क को भी नोटिस जारी

कश्यप के अलावा संयुक्त निदेशक राखी सिंह, प्रचार अधिकारी सुरजीत सिंह और पूर्व निदेशक सूचना एवं जन संपर्क को भी नोटिस जारी किया गया है। इन सभी से दस दिन में नोटिस का जवाब मांगा गया है। पर्यटन विकास निगम के उपाध्यक्ष एवं नगरोटा के विधायक रघुवीर सिंह बाली को इस संबंध में अनियमितता बरतने की लिखित शिकायत मिली थी, जिसमें प्रचार एजेंसी को टेंडर देने में गड़बड़ी के आरोप लगाए गए थे।

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विभाग की फाइलें देखने के बाद दिया था जांच का आदेश

बाली ने तुरंत विभाग की फाइलें देखने के बाद जांच का आदेश दिया था। इस हाई प्रोफाइल मामले की जांच का जिम्मा आइएएस अधिकारी पंकज राय को सौंपा था। पंकज राय ने जांच में पाया गया है कि एजेंसी की गलत ढंग से सिलेक्शन (एंपैनलमेंट) की गई। यह मामला सामने आने के बाद सरकार ने पर्यटन विभाग की ओर से तीन साल के लिए करीब 40 करोड़ रुपये में विज्ञापनों से संबंधित ठेका देने के लिए ईओआइ (एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट) की प्रक्रिया रोक दी थी।

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करोड़ों रुपये किए खर्च

यह प्रक्रिया पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में शुरू की गई थी। इसमें कमीशन के लेनदेन की भी आशंका जताई गई है। गौर रहे कि पर्यटन विभाग हर साल निजी एजेंसियों के माध्यम से लाखों रुपये के विज्ञापन और होर्डिंग बनाता है। इस पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। पूर्व भाजपा सरकार के समय बरती गई इस अनियमितता की जांच में कई अफसर निशाने पर आ गए हैं।