Shimla Planning Area में बहुमंजिला इमारतों पर सुप्रीम मुहर, शहर के कोर व ग्रीन एरिया में निर्णाण पर लगा प्रतिबंध भी हटा
Shimla News हिमाचल प्रदेश में शिमला प्लानिंग एरिया में बहुमंजिला इमारतों पर सुप्रीम मुहर लग गई है। शहर के कोर और ग्रीन एरिया में निर्माण पर लगा प्रतिबंध हटा दिया गया है। एनजीटी के इन आदेशों को सेट ए साइट यानि खत्म करते हुए राज्य सरकार को नए प्लान के मुताबिक ही इस क्षेत्र में भवन निमार्ण की मंजूरी देने के आदेश दिए हैं।
जागरण संवाददाता, शिमला। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल के 2017 के उस फैसले को खारिज कर दिया है, जिसमें शिमला योजना क्षेत्र में निर्माण गतिविधियों पर ढाई मंजिल की शर्त लगा थी। इसके साथ ही शिमला कोर व ग्रीन एरिया में भी भवन निर्माण पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी।
एनजीटी के इन आदेशों को सेट ए साइट यानि खत्म करते हुए राज्य सरकार को नए प्लान के मुताबिक ही इस क्षेत्र में भवन निमार्ण की मंजूरी देने के आदेश दिए हैं। सर्वोच्च न्यायालय में वीरवार को न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति पी के मिश्रा और संदीप मेहता की खंडपीठ ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के नवंबर 2017 के फैसले को पलट दिया है।
निर्माण गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध
सुप्रीम कोर्ट ने 2018-19 में हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) की सुनवाई के दौरान योगेन्द्र मोहन सेन की शिकायत पर एनजीटी के 2017 के फैसले को चुनौती दी थी। इसमें शिमला योजना क्षेत्र में निर्माण गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया था।
क्रिसमस और नए साल की छुट्टियों के लिए ये आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने आरक्षित रखा। इसमें राज्य सरकार की ओर से तर्क दिया कि निर्माण पर प्रतिबंध के कारण कई समस्याएं पैदा हुईं।
पार्किंग स्लॉट और कई सरकारी परियोजनाएं रुकी
इनमें शिमला योजना क्षेत्र में सीमित पार्किंग स्लॉट और कई सरकारी परियोजनाएं रुकी हुई थीं। साथ ही कहा कि एनजीटी ने टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के क्षेत्र में घुसपैठ करके अपने अधिकार क्षेत्र को पार कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने एनजीटी के आदेश को खारिज करते हुए सरकार की दलीलों को स्वीकार कर लिया। ये टीसीपी और शिमला नगर निगम द्वारा शिमला के हरित क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियों के संबंध में एक शिकायत के बाद एक डिक्री के रूप में कार्य करता था।
जिला न्यायवादी व टीसीपी के मामलों को देख रहे विधि अधिकारी मयंक मांटा ने बताया कि सुप्रीमकोर्ट ने शिमला प्लानिंग एरिया में निर्माण गतिविधियों में हस्तक्षेप करने के लिए ग्रीन ट्रिब्यूनल के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देने वाली राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत सभी दलीलों और आधारों को स्वीकार कर लिया। इसके अतिरिक्त अदालत ने शिमला डवेल्पमेंट प्लान को भी लागू करने की अनुमति दे दी है।
1977 में बना था अंतरिम डेवलपमेंट प्लान
शिमला का अंतरिम डेवलपमेंट प्लान वर्ष 1977 में बना था। इसके बाद आज तक प्लान नहीं बन सका। अब उस पर काम किया जा रहा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने भी राज्य सरकार को तुरंत प्लान बनाने के लिए कहा था। इसमें हर क्षेत्र में क्या किया जा सकता है, कौन सा क्षेत्र किसके लिए आरक्षित होगा।
इस पर काम किया जाएगा। शहर में एनजीटी के वर्ष 16 नवंबर 2017 के आदेश के बाद कई स्थानों पर निर्माण पर रोक थी। पूरे प्लानिंग एरिया में ढाई मंजिल से ज्यादा का निर्माण नहीं हो सकता था। राज्य सरकार इसमें छूट के लिए लगातार प्रयास कर रही थी पर अभी तक सफलता नहीं मिल पा रही थी।
कब क्या हुआ
- 16 नवंबर 2017 को एनजीटी ने शिमला प्लानिंग क्षेत्र को लेकर आदेश दिए। इसमें प्लानिंग क्षेत्र में ढाई मंजिल तो शहर के कोर व ग्रीन एरिया में निर्माण पर रोक लगाने के आदेश दिए।
- 2019 में पूर्व सरकार के समय में इन आदेशों को चुनौती दी गई।
-8 फरवरी 2022 को 1977 के बाद शहर का डवेप्लमेंट प्लान बनाया।
- 12 माई 2022 को इसे प्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी
- 14 अक्टूबर 2022 को प्रदेश हाईकोर्ट ने इसे रद्द कर दिया।
- 12 दिसंबर 2023 को सर्वोच्च न्यायालय ने ये फैसला सुरक्षित रखा।
- 11 जनवरी 2024 को सर्वोच्च न्यायालय ने एनजीटी के शिमला को लेकर दिए आदेशों को सेट ए साइ़ड कर सरकार को डवेप्लमेंट प्लान के मुताबिक काम करने के आदेश जारी किए।