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जम्मू-कश्मीर में जीत या हार नहीं दिग्गजों का भविष्य तय करेगा आज का मतदान, चुनावी मैदान में 239 उम्मीदवार

Jammu Kashmir Second Face Voting जम्मू-कश्मीर में दूसरे चरण का मतदान शुरू होने वाला है। इस चरण में भाजपा नेशनल कॉन्फ्रेंस पीडीपी कांग्रेस और जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के प्रमुख चेहरे मैदान में हैं। नेकां-कांग्रेस गठबंधन और पीडीपी अपनी सियासी ताकत को दोहराना चाहती हैं लेकिन इंजीनियर रशीद (Engineer Rashid) की पार्टी और निर्दलीय उम्मीदवार कई सीटों पर पेंच फंसा रहे हैं।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Wed, 25 Sep 2024 07:00 AM (IST)
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Jammu Kashmir News: जम्मू-कश्मीर में आज दूसरे चरण का मतदान होगा।

रोहित जंडियाल, जम्मू। Jammu Kashmir Election 2024: केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहली बार हो रहे विधानसभा चुनाव दिग्गजों की हार-जीत नहीं, अपितु उनका राजनीतिक भविष्य भी तय करने वाले हैं। दूसरे चरण का मतदान कुछ समय में शुरू होगा।

इस चरण में भाजपा, नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां), पीडीपी, कांग्रेस और जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के प्रमुख चेहरे मैदान में हैं। नेकां-कांग्रेस गठबंधन और पीडीपी अपनी सियासी ताकत को दोहरना चाहती हैं, लेकिन इंजीनियर रशीद की पार्टी और निर्दलीय कई सीटों पर पेंच फंसा रहे हैं।

इन सबके बीच भाजपा ने कश्मीर में कमल खिलाने के लिए अपनी जमीन तैयार की है। चुनाव से पहले ना-नुकर करने वाले नेकां उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला दो सीटों से लड़ रहे हैं तो भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना नौशहरा की सियासी लड़ाई में उलझे हैं।

अल्ताफ बुखारी के लिए खुद और उनकी जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी को साबित करना होगा। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष तारिक हमीद करा का कद इसी चुनाव से तय होगा।

महबूबा मुफ्ती की पीडीपी भी उम्मीद लगाए हुए है। चुनाव के दूसरे चरण में जम्मू संभाग के तीन जिलों रियासी, राजौरी व पुंछ की 11 और मध्य कश्मीर के गांदरबल, श्रीनगर व बड़गाम जिले की 15 सीटों पर मतदान होना है।

239 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं।

इन जिलों की 26 सीटों पर 239 उम्मीदवार मैदान में हैं। पीडीपी अकेले सभी 26 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। वहीं, नेकां-कांग्रेस गठबंधन मिलकर 26 और भाजपा ने इस चरण में 17 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। 26 सीटों में से चार से पांच सीटों पर इंजीनियर रशीद की अवामी इतेहाद पार्टी भी कड़ी टक्कर दे रही है।

उमर नहीं लेना चाहते थे कोई रिस्क

गांदरबल से उतरे उमर अब्दुल्ला अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर रिस्क नहीं लेना चाहते थे। यह उनकी परंपरागत सीट मानी जाती है। उनके दादा शेख अब्दुल्ला, पिता डॉ. फारूक अब्दुल्ला और वह खुद यहां से विधायक रहे, लेकिन इस बार भी उन्हें पीडीपी के बशीर अहमद मीर से टक्कर लेनी पड़ रही है। बशीर ने यहां उन्हें 2014 में हराया था।

निर्दलीय इशफाक अहमद व सरजनी बरकती और शेख आशिक ने भी मुकाबले फंसा बना दिया। ऐसे में उमर ने बड़गाम से भी पर्चा भरा। बड़गाम में भी उन्हें पीडीपी के सैयद मुंतजिर मेहदी से चुनौती मिल रही है। नेकां 1977 के बाद से इस सीट पर कभी नहीं हारी।

नौशहरा में रैना को नेकां से उलझन

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना नौशहरा की लड़ाई में उलझे हुए हैं। यहां कांग्रेस से गठबंधन में नेकां के सुरेंद्र चौधरी ने पेंच फंसा दिया। चौधरी पीडीपी से भाजपा होते हुए नेकां में शामिल हुए हैं। पिछले चुनाव में रैना ने यह सीट जीती थी तब चौधरी उनके साथ थे। पीडीपी ने यहां हक नवाज को उतारा है।

करा और बुखारी पर सीट जीतने का दबाव

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तारिक हमीद करा और जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के प्रमुख अल्ताफ बुखारी का कद इसी चुनाव परिणाम से तय होगा। करा पर पार्टी को जिताने ही नहीं, खुद की सीट भी जीतने का दबाव है। वह सेंट्रल शाल्टेंग से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, श्रीनगर की चन्नपोरा सीट से अल्ताफ बुखारी के सामने नेकां के मुश्ताक गुरू खड़े हैं। 

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