बोकारो रेलवे के पास जमीन का रिकार्ड नहीं
बोकारो भारतीय रेल समयबद्ध कागजी तौर पर मजबूत एवं कानूनी रूप से काम करनेवाली संस्था मानी
बोकारो : भारतीय रेल समयबद्ध, कागजी तौर पर मजबूत एवं कानूनी रूप से काम करनेवाली संस्था मानी जाती है, लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि पांच किलोमीटर के दायरे की सभी जमीन को अपना जमीन बताने वाले रेलवे के अधिकारियों के पास रेलवे की जमीन का कोई ब्योरा उपलब्ध नहीं है। यह सूचना स्वयं रेलवे के वरीय मंडल अभियंता सह जन सूचना पदाधिकारी द्वारा दी गई है।
दी गई सूचना में रेलवे का कहना है कि बोकारो रेलवे की स्थापना के लिए कितनी जमीन का अधिग्रहण हुआ है यह सूचना दक्षिण पूर्व रेलवे के आद्रा मंडल कार्यालय के पास उपलब्ध नहीं है। यही नहीं, यह जमीन किन रैयतों की थी और उनके अधिग्रहण के लिए कितनी राशि का भुगतान हुआ, यह भी रेलवे के पास ब्यौरा नहीं है। सूत्रों का कहना है कि रेलवे के पास जमीन का जो भी ब्योरा उपलब्ध है वह आधा-अधूरा है। उसे रेल प्रशासन सार्वजनिक नहीं कर सकता। ऐसे में रेल अधिकारियों का यह जवाब उनके लिए ही समस्या का कारण बन सकता है। सूत्रों का कहना है कि पूरा रेलवे की सभी इकाई, आवासीय क्षेत्र कम से कम तीन सौ एकड़ अधिक भूमि पर बसा हुआ है।
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आरटीआई आवेदन पर रेलवे में नहीं होती सुनवाई
दक्षिण पूर्व रेलवे में सूचना के अधिकार के तहत सूचना देने का सिस्टम भी काम नहीं कर रहा है। इसका प्रमाण यह है कि अगस्त 2018 में मांगी गई सूचना का जवाब पहले आधा-अधूरा सितंबर में जवाब दिया गया। जब अपील की गई तो 28 फरवरी को उसका जवाब भेजा गया। उसमें यह बताया गया कि जमीन का रिकार्ड उनके पास नहीं है। रेलवे द्वारा यह बताया गया है कि उसके मात्र 1.65 हेक्टेयर अर्थात 4.77 एकड़ जमीन पर 919 मकान ही अतिक्रमण कर बने हुए हैं।
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फैक्ट फाइल
1. वर्ष 1957 में चंद्रपुरा से हटिया तक के लिए रेलवे लाइन बिछाने का काम प्रारंभ हुआ।
2. बोकारो स्टील की स्थापना के साथ इसका विस्तार हुआ
3. बोकारो रेलवे के लिए जमीन अधिग्रहण की शुरुआत को छोड़कर बाद में नहीं हुआ।
4. रेलवे क्षेत्र का विस्तार बोकारो स्टील व राज्य सरकार से जमीन लेकर किया गया।
5. बोकारो रेलवे सटे इलाके में लगभग पचास हजार से अधिक की आबादी अतिक्रमण कर निवास करती है।
6. यह अतिक्रमण रेलवे के अलावा, बोकारो स्टील तथा राज्य सरकार की जमीन पर हुआ है।
7. रेलवे के दावे के अंतर्गत आने वाली भूमि का बड़ा हिस्सा सरकार के खाते में सरकारी जमीन व जंगल झाड़ी के रूप में वर्णित है।
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जागरण के सवाल
1. भारत सरकार के उपक्रम के पास अपने स्थापना से संबंधित जमीन का ब्योरा क्यों नहीं है?
2. यदि जमीन का ब्योरा नहीं है तो रेलवे क्षेत्र का विस्तार से लेकर योजना के लिए प्लान कैसे होता है?
3. यदि रेलवे की मात्र 4.77 एकड़ भूमि पर ही अतिक्रमण है तो शेष किसकी जमीन पर है?
4. बिना जमीन के ब्योरा दिए जिला प्रशासन रेलवे को कैसे अतिक्रमण हटाने की अनुमति देते हैं?
5. नयामोड़ से बियाडा को जोड़ने वाली सड़क प्रमुख सड़क पर रेलवे कैसे दावा करता है?