लापरवाही या अनदेखी? हादसे को दावत दे रहा देवघर का यह सरकारी स्कूल, खतरे में गुरुजी-छात्रों की जिंदगी
देवघर में स्कूल बिल्डिंग की हालत काफी जर्जर हो चुका है। बच्चे और शिक्षक यहां पठन-पाठन के दौरान काफी भयभीत रहते हैं। जानकारी के अनुसार1987 में विद्यालय का निर्माण हुआ था। विद्यालय की दशा सुधारने को लेकर जिम्मेदार आगे नहीं आ रहें हैं। स्कूल की समस्याओं को लेकर कृषि मंत्री बादल पत्रलेख को भी अवगत कराया गया है लेकिन अब तक कोई असर नहीं हुआ है।
1987 में बना था भवन
इंजीनियर की टीम ने किया है स्कूल का निरीक्षण
प्रखंड के अभियंता की टीम ने भवन को देखा है। बावजूद भवन निर्माण या मरम्मत नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है। स्कूल में बच्चों के ऊपर हमेशा खतरा बना रहता है।भवन काफी जर्जर है और कई बार इसकी जानकारी यहां के जन प्रतिनिधियों के समक्ष रखा गया, लेकिन अब तक कोई पहल नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। काफी जर्जर भवन है भवन का नवनिर्माण होना अति आवश्यक है। यहां शिक्षक की भी कमी है।- मदन कुमार सिंहकिस कारण आज तक भवन निर्माण नहीं कराया गया यह पता नहीं। बरसात के दिनों में पानी का रिसाव होता है। छात्र और शिक्षक भय के माहौल में पठन-पाठन करते हैं। नौनिहालों की चिंता सरकार को करनी चाहिए। अनावश्यक निर्माण हो रहा है, जहां आवश्यकता है वहां भवन ही नहीं बन रहा।- टैटू मांझी
विद्यालय का भवन काफी जर्जर है। भवन का कुछ हिस्सा टूटकर कभी-कभी गिरता है। आश्वर्य यह है कि शिक्षा विभाग के प्रखंड के पदाधिकारी क्यों नहीं इसे देख रहे हैं।- राजेंद्र कुमार सिंह
यह क्षेत्र का सबसे पुराना विद्यालय भवन है। जमीन हमारे पूर्वजों के द्वारा ही दिया गया है। विद्यालय भवन का हर हिस्सा टूट कर गिर रहा है। विद्यालय में शिक्षक की भी कमी है। अधिकतर छात्राएं अनुसूचित जाति व ओबीसी के हैं, जो यहां पठन-पाठन कर रहे हैं।- राजेश कुमार सिंह
मामला संज्ञान में है। जर्जर भवन की सूची में शामिल कर जिला मुख्यालय को भेजी जा चुकी है।- कैलाश मरांडी, प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी
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