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लापरवाही या अनदेखी? हादसे को दावत दे रहा देवघर का यह सरकारी स्कूल, खतरे में गुरुजी-छात्रों की जिंदगी

देवघर में स्कूल बिल्डिंग की हालत काफी जर्जर हो चुका है। बच्चे और शिक्षक यहां पठन-पाठन के दौरान काफी भयभीत रहते हैं। जानकारी के अनुसार1987 में विद्यालय का निर्माण हुआ था। विद्यालय की दशा सुधारने को लेकर जिम्मेदार आगे नहीं आ रहें हैं। स्कूल की समस्याओं को लेकर कृषि मंत्री बादल पत्रलेख को भी अवगत कराया गया है लेकिन अब तक कोई असर नहीं हुआ है।

By Ravish SinhaEdited By: Shashank ShekharUpdated: Sat, 18 Nov 2023 04:08 PM (IST)
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लापरवाही या अनदेखी? हादसे को दावत दे रहा देवघर का यह सरकारी स्कूल
प्रदीप कुमार, सारवां। देवघर में सारवां के प्राथमिक विद्यालय बैजनाथपुर का भवन काफी जर्जर हो चुका है। यह बताने को काफी है कि विद्यालय की छत में रड निकल गया है और घास भी उग आए हैं। वर्षा के दिनों में तो छत से पानी टपकता है।

यहां शिक्षक बड़ी मुश्किल से छात्रों को पढ़ाते हैं। साथ ही उन्हें हमेशा भय बना रहता है। देश के भविष्य यहां अपना जीवन संवारने के लिए प्रारंभिक ज्ञान अर्जित करने आए हैं।

सोचिए यदि जर्जर भवन का हिस्सा टूट कर गिर जाए तो बच्चों का क्या होगा। बच्चे और शिक्षक बीच बीच में छत को निहारते रहते हैं। उनकी मजबूरी पर शिक्षा विभाग की नींद नहीं खुल रही है।

1987 में बना था भवन

विद्यालय भवन का निर्माण 1987 में हुआ था, जो अब पूरी तरीके से जर्जर है। पश्चिम दक्षिण में दीवार भी फट चुका है और छत का सरिया भी निकल गया है। खिड़की का छज्जा भी टूट गिर गया है। बरामदे का भी कुछ ऐस ही हाल है। कुल मिलाकर चारों तरफ का छज्जा टूट कर गिर गया है।

बरामदे के 70 प्रतशित हिस्से में छत टूट कर गिर रहा है, जिससे ढलाई के सरिया (रड)दिखाई देता है। विद्यालय में पठन-पाठन करने आ रहे बच्चे व पढ़ाने आ रहे शिक्षक के सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है।

इसके बाद भी विद्यालय की दशा सुधारने के लिए जिम्मेदार आगे नहीं आ रहें हैं। स्कूल की समस्याओं से विधायक सह कृषि मंत्री बादल पत्रलेख अवगत हैं। अब तक पहल नहीं होना विद्यालय के प्रति उदासीनता को दर्शाता है।

इंजीनियर की टीम ने किया है स्कूल का निरीक्षण

प्रखंड के अभियंता की टीम ने भवन को देखा है। बावजूद भवन निर्माण या मरम्मत नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है। स्कूल में बच्चों के ऊपर हमेशा खतरा बना रहता है।

भवन काफी जर्जर है और कई बार इसकी जानकारी यहां के जन प्रतिनिधियों के समक्ष रखा गया, लेकिन अब तक कोई पहल नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। काफी जर्जर भवन है भवन का नवनिर्माण होना अति आवश्यक है। यहां शिक्षक की भी कमी है।- मदन कुमार सिंह

किस कारण आज तक भवन निर्माण नहीं कराया गया यह पता नहीं। बरसात के दिनों में पानी का रिसाव होता है। छात्र और शिक्षक भय के माहौल में पठन-पाठन करते हैं। नौनिहालों की चिंता सरकार को करनी चाहिए। अनावश्यक निर्माण हो रहा है, जहां आवश्यकता है वहां भवन ही नहीं बन रहा।- टैटू मांझी

विद्यालय का भवन काफी जर्जर है। भवन का कुछ हिस्सा टूटकर कभी-कभी गिरता है। आश्वर्य यह है कि शिक्षा विभाग के प्रखंड के पदाधिकारी क्यों नहीं इसे देख रहे हैं।- राजेंद्र कुमार सिंह

यह क्षेत्र का सबसे पुराना विद्यालय भवन है। जमीन हमारे पूर्वजों के द्वारा ही दिया गया है। विद्यालय भवन का हर हिस्सा टूट कर गिर रहा है। विद्यालय में शिक्षक की भी कमी है। अधिकतर छात्राएं अनुसूचित जाति व ओबीसी के हैं, जो यहां पठन-पाठन कर रहे हैं।- राजेश कुमार सिंह

मामला संज्ञान में है। जर्जर भवन की सूची में शामिल कर जिला मुख्यालय को भेजी जा चुकी है।- कैलाश मरांडी, प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी

स्कूल के जर्जर होने की रिपोर्ट राज्य स्तर तक भेजी गई है। बताया जा रहा है कि राशि नहीं होने के कारण भवन निर्माण नहीं हो पाया है। ऐसे तो इस संबंध में और विशेष जानकारी नहीं है।- श्रीमन हांसदा, कनीय अभियंता

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