गर्भ में पल रहे शिशु की हत्या करने वालों संग मरने के बाद होता है ऐसा सुलूक, नरक में मिलती है ये खौफनाक सजा...
इंसान जैसा कर्म करता है उसे उसका वैसा ही फल मिलता है। अच्छे कर्म करने वालों को अच्छा और बुरे कर्म करने वालों को बुरा फल मिलता है। कर्म का फल भोगने से कोई नहीं बच सकता है। रविवार को गढ़वा के श्री बंशीधर नगर में भागवत कथा के दौरान श्री जीयर स्वामी जी महाराज ने इससे संबंधित कई अहम बातें कही।
By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Mon, 18 Sep 2023 05:24 PM (IST)
संवाद सूत्र, श्री बंशीधर नगर (गढ़वा)। गर्भ में पल रहे शिशु की हत्या नहीं करनी चाहिए। भ्रूण हत्या से वंश, वध सहित पांच तरह के दोष लगते हैं। इस तरह के कुकृत्य करने वाले वर्तमान एवं भावी दोनों जन्मों में पाप के भागी बनते हैं।
कर्म का फल भोगने से नहीं बच सकता कोई
इसी के साथ इंसान को सामान्य दिनचर्या में किसी का उपहास नहीं करना चाहिए क्योंकि दूसरे पर हंसने वाला स्वयं हंसी का पात्र बन जाता है। शास्त्र एवं समाज में इसके अनेक उदाहरण भरे पड़े हैं। यह बातें रविवार को भागवत कथा के दौरान श्री जीयर स्वामी जी महाराज ने कही।
श्री स्वामी जी ने कहा कि मानव द्वारा किए गए अपराध और अपचार का दंड उसे निश्चित भोगना पड़ता है। यह प्रकृति का शाश्वत एवं निरपवाद नियम है।
उन्होंने कहा कि जरूरी नहीं है कि कुकर्मों का फल तत्काल मिले। अपराध का प्रतिफल प्रारब्ध के कारण कुछ दिनों तक टल सकता है।पर दुनिया में यह संभव ही नहीं है कि किसी के सुकर्म और दुष्कर्म का उसके अनुरूप फल प्राप्ति ना हो। अपराधी में कुछ दिनों के लिए चमक दिखता है, लेकिन दंड अवश्य भोगना पड़ता है।
भागवत कथा के दौरान श्री जीयर स्वामी जी महाराज
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