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Ahmedabad Blast Case: अहमदाबाद सीरियल बम ब्लास्ट में झारखंड के दानिश और मंजर की कहानी, जानें पूरा मामला...

Ahmedabad Blast Case अहमदाबाद सीरियल बम ब्लास्ट मामले में मंजर इमाम और दानिश को कोर्ट ने बरी कर दिया है। लेकिन मंजर पर दिल्ली ब्लास्ट में फैसला आना बाकी है। दानिश और मंजर की गिरफ्तारी के साथ ही सबसे पहले रांची का नाम आतंक से जुड़ा था।

By Sanjay KumarEdited By: Updated: Wed, 09 Feb 2022 12:31 PM (IST)
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Ahmedabad Blast Case: दानिश और मंजर की गिरफ्तारी के साथ ही सबसे पहले आतंक से जुड़ा था रांची का नाम

रांची, जासं। Ahmedabad Blast Case मंजर और दानिश की गिरफ्तारी के साथ ही सबसे पहले रांची का नाम आतंकी कनेक्शन से जुड़ा था। इंडियन मुजाहिदीन का नेटवर्क रांची में मिला था। सबसे पहले रांची के बरियातू निवासी दानिश उर्फ अफाक इकबाल जून 2011 बड़ोदरा से पकड़ा गया था। वह हैदराबाद में एक आइटी कंपनी में कार्यरत था। इसके बाद आतंकी कनेक्शन के आरोपों में कई मामलों में वांछित मंजर इमाम को चार मार्च की सुबह राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने रांची के कांके स्थित सीआइपी परिसर से गिरफ्तार किया था। रांची कोर्ट से उसे पांच दिन के ट्रांजिट रिमांड पर लेने के बाद एर्नाकुलम पुलिस (केरल) और एनआइए को सौंप दिया था।

मंजर और दानिश।

इधर, फैसला आने के बाद स्वजनों ने कहा है कि उसे गुमला से पकड़ा गया था। जबकि रांची से उसकी गिरफ्तारी दिखाई गई थी। इधर, कोर्ट के फैसले पर मंजर के भाई बदर इमाम और सफदर इमाम ने कहा है कि सुरक्षा एजेंसियों की चूक की वजह से निर्दोष होते हुए भी लंबे समय तक जिंदगी का अनमोल समय जेल में काटना पड़ रहा। सही ढंग से जांच कर जेल भेजा जाता, तो जिंदगी बच सकती थी। उन्हें कोर्ट पर पूरा विश्वास था, आखिर इंसाफ मिला।

इन मामलों में था आरोपित

मंजर इमाम को गुजरात में अहमदाबाद ब्लास्ट, दिल्ली ब्लास्ट और हैदराबाद ब्लास्ट में नामजद अभियुक्त बनाया गया था। एर्नाकुलम में उग्रवादी संगठनों की एक बैठक में मंजर के मौजूद रहने के आरोप लगे थे। एर्नाकुलम में दो मामले (कांड संख्या 4/12 एवं कांड संख्या 435/12) में मंजर को गिरफ्तार किया गया था। इधर, अहमदाबाद कोर्ट का फैसला आने के बाद मंजर के परिजनों ने कहा है कि 13 अप्रैल 2011 को ही मंजर इमाम को एनआइए के हवाले कर दिया था लेकिन एनआइए ने उस समय कोई साक्ष्य नहीं मिलने की वजह से छोड़ दिया था। बाद में वह जब हज पर जाने की तैयारी में था, तभी उसे विदेश जाने पर एनआइए ने मना किया था।

इन आरोपों में पकड़ा गया था दानिश

जून 2011 में दानिश रियाज उर्फ अफाक इकबाल को एनआइए की विशेष टीम ने बड़ोदरा से गिरफ्तार किया था। उस समय दानिश हैदराबाद में एक आइटी कंपनी में कार्यरत था। उसके ईमेल का हवाला देकर आरोप लगे थे कि दानिश ने रांची के इमामुद्दीन नामक व्यक्ति के सहयोग से रांची के 24 युवाओं को इंडियन मुजाहिदीन से जोड़ा था। दानिश पर आरोप थे कि वह पहले आतंकी संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) से जुड़ा था। अहमदाबाद बम धमाके के समय वह इंडियन मुजाहिदीन के अब्दुल सुभान उर्फ तौकिर के संपर्क में आया था। दानिश के सबसे करीबियों में मंजर इमाम का नाम सामने आया था। हालांकि दानिश को कोर्ट ने इन आरोपों से बरी कर दिया है। वर्ष 2018 में हैदराबाद ब्लास्ट मामले में पहले ही रिहा हो चुका था। अब दानिश जेल से रिहा हो जाएगा।

आतंकी कनेक्शन के आरोप में गिरफ्तारियां

  • जून 2011 : रांची के बरियातू का दानिश रियाज उर्फ शाकिन उर्फ अफाक इकबाल को बड़ोदरा में पकड़ा गया था।
  • 04 मार्च 2013 : रांची के बरियातू का मंजर इमाम कांके थाना क्षेत्र से गिरफ्तार किया था। वह बरियातू मस्जिद के समीप का रहने वाला है।
  • 27 अक्टूबर 2013 : पटना के गांधी मैदान में नरेंद्र मोदी की रैली के दौरान सीरियल बम ब्लास्ट के बाद पटना में ही मोहम्मद इम्तियाज व मोहम्मद तारिक पकड़ा गया था। मोहम्मद तारिक विस्फोट में जख्मी हो गया था, जिसकी बाद में मौत हो गई थी। दोनों रांची के धुर्वा के सिठियो गांव के रहने वाले हैं।
  • 30 अक्टूबर 2013 : डोरंडा के मनीटोला स्थित फिरदौस नगर से उजैर अहमद को राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने गिरफ्तार किया था। उसपर कुख्यात आतंकी यासिन भटकल का सहयोगी होने का आरोप है।
  • 21 मई 2014 : प्रदेश में चार धराए। पटना ब्लास्ट के बाद फरार चल रहे सिठियो गांव के दो अन्य युवक नुमान उर्फ नोमान व मोहम्मद तौफिक के अलावा ओरमांझी के चकला गांव का मुजिबुल्ला व इरम लॉज में मुजिबुल्ला का रूम पार्टनर हैदर अली उर्फ ब्लैक ब्यूटी शामिल था।

अहमदाबाद ब्लास्ट मामले में सालों बाद आया इंसाफ

अहमदाबाद में वर्ष 2008 में आतंकियों द्वारा किए गए सीरियल बम धमाकों में मंगलवार को गुजरात की अदालत ने फैसला सुनाया है। इस फैसले के बाद रांची के बरियातू में रहने वाले मंजर इमाम और दानिश उर्फ सैय्यद आफाक इकबाल को कोर्ट ने सीरियल बम ब्लास्ट मामले में बरी कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद बरियातू में खुशी की लहर है। मंजर और दानिश का पूरा परिवार कोर्ट के इस फैसले से बेहद खुश है, हालांकि मन में एक मलाल यह भी है कि कोर्ट का फैसला काफी देर से आया। कोर्ट के फैसले पर मंजर इमाम की मां जाहिदा खातून कहती हैं कि उनके मन में पूरा विश्वास था कि न्यायालय से जरूर इंसाफ मिलेगा। उनको अपने बेटे की गिरफ्तारी के साथ ही यह दृढ़ विश्वास था कि उनका बेटा बेकसूर साबित होगा।

रांची यूनिवर्सिटी का गोल्ड मेडलिस्ट था मंजर इमाम

मंजर इमाम रांची यूनिवर्सिटी का गोल्ड मेडलिस्ट था। उसे वर्ष 2007 में स्नातकोत्तर उर्दू विषय में गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया था।

गोल्ड मेडल से हुए थे सम्मानित।

झारखंड के तत्कालीन राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी और केंद्रीय शिक्षा मंत्री अर्जुन सिंह ने सम्मानित किया था। परिजनों का कहना है कि मंजर इमाम शिक्षा के क्षेत्र में भी मेधावी छात्र था। लेकिन ऐन वक्त पर वह झूठे आरोपों में फंसता चला गया।

वजह तो पता नहीं, पर जिल्लत भरी जिंदगी और बदनुमा दाग का है मलाल

मंजर इमाम व दानिश के आतंकी कनेक्शन और बम ब्लास्ट का आरोपित होने के संबंध में फैसला आने के बाद स्वजन कहते हैं, इन्हें फंसाने का वजह तो पता नहीं है। लेकिन गिरफ्तारी के बाद परिवार के लिए जिल्लत भरी जिंदगी रही। जैसे बदनुमा दाग लग गया हो। परिवार वालों को आतंकी का परिवार सहित कई जुमलों का इस्तेमाल किया जाता रहा। गिरफ्तारी के बाद से लेकर अबतक मलाल रहा। लेकिन अदालत के फैसले ने जिंदगी जीने में राहत दी है। घर के बच्चे टीवी देखकर खुशियां मना रहे हैं। उन्हें विश्वास है कि जल्द ही मंजर जेल से छूटकर बाहर आएगा।

31 वर्ष का था जब गिरफ्तारी हुई, अब 40 का हो गया

मंजर के भाई बदर इमाम ने बताया कि मंजर की उम्र 31 वर्ष थी, जब उसकी गिरफ्तारी हुई। लेकिन अब 40 का हो चुका है। फिलहाल वह दिल्ली ब्लास्ट के आरोप में जेल में बंद है। पूरा विश्वास है कि उस मामले में भी वह निर्दोष साबित होगा। लेकिन तबतक उसकी जिंदगी का स्वर्णिम समय निकल जाएगा। जांच एजेंसियों को पूरी तहकीकात के बाद ही आतंकी कनेक्शन या ब्लास्ट के मामलों में जेल भेजना चाहिए। ताकि जिंदगी बच सके।