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Ranchi Illegal Mining: ईडी के अधिकारी से की मोबाइल छीनने की कोशिश, आरोपियों को थमाया समन

झारखंड उच्च न्यायालय के समीप ईडी के अधिकारी का मोबाइल छीनने की कोशिश हुई। हालांकि तुरंत मौके पर पहुंचे ईडी के अन्य अधिकारियों व सुरक्षा बलों की मौजूदगी में आरोपितों को सफलता नहीं मिली। ईडी ने मौके पर मौजूद विजय हांसदा व विष्णु यादव को समन थमा दिया है और दोनों को पूछताछ के लिए बुलाया है। पूरा मामला साहिबगंज में 1000 करोड़ के अवैध खनन से संबंधित है।

By Dilip KumarEdited By: Yashodhan SharmaUpdated: Fri, 18 Aug 2023 12:39 AM (IST)
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ईडी के अधिकारी से की मोबाइल छीनने की कोशिश आरोपियों को थमाया समन

राज्य ब्यूरो, रांची: झारखंड उच्च न्यायालय के समीप ईडी के अधिकारी का मोबाइल छीनने की कोशिश हुई। हालांकि, तुरंत मौके पर पहुंचे ईडी के अन्य अधिकारियों व सुरक्षा बलों की मौजूदगी में आरोपितों को सफलता नहीं मिली।

ईडी ने मौके पर मौजूद विजय हांसदा व विष्णु यादव को समन थमा दिया है और दोनों को पूछताछ के लिए बुलाया है। पूरा मामला साहिबगंज में 1000 करोड़ के अवैध खनन से संबंधित है।

विष्णु यादव के साथ दिखा विजय हांसदा

विजय हांसदा ईडी का गवाह था, लेकिन ईडी को सूचना है कि वह गवाही से मुकर रहा है। ईडी को सूचना थी कि वह अवैध खनन के आरोपितों से मिल गया है।

ईडी के अधिकारी किसी केस के सिलसिले में झारखंड उच्च न्यायालय गए थे, इसी बीच उन्होंने हाई कोर्ट के पास ही विजय हांसदा को अवैध खनन के आरोपित विष्णु यादव के साथ देखा।

इसलिए की मोबाइल छीनने की कोशिश

ईडी के अधिकारी ने जब उनका वीडियो बनाना शुरू किया तो उन्होंने व उनके लोगों ने ईडी के अधिकारी का मोबाइल छीनने की कोशिश की।

उक्त ईडी के अधिकारी ने इसकी सूचना अपने मुख्यालय को दी, जिसके बाद मौके पर ईडी के अन्य अधिकारी व सुरक्षा में तैनात जवान पहुंच गए। वहीं पर ईडी के अधिकारियों ने दोनों को समन थमाया है। अब ईडी उनसे पूछताछ करेगी।

कोर्ट ने याचिका वापस लेने से किया इन्कार

इधर, झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में साहिबगंज में अवैध खनन की जांच की मांग वाली विजय हांसदा की याचिका वापस लेने पर सुनवाई हुई। ईडी का पक्ष सुनने के बाद अदालत ने उक्त याचिका को वापस लेने की अनुमति देने से इन्कार कर दिया।

अदालत ने कहा कि यह गंभीर मामला है। राज्य के उच्च पदों पर पदस्थापित के खिलाफ जांच का मामला है। प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि प्रार्थी किसी के दबाव में याचिका वापस ले रहा है, इसलिए याचिका वापस लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती है और इसके लिए दाखिल आइए याचिका को खारिज किया जाता है।

परिवार को मिलेगी सुरक्षा

अदालत ने प्रार्थी के परिवार को सुरक्षा उपलब्ध कराने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है। सुनवाई के दौरान प्रार्थी विजय हांसदा की ओर से वरीय अधिवक्ता जेपी झा और अधिवक्ता एसएस चौधरी ने अदालत को बताया कि उक्त याचिका विजय हांसदा ने नहीं दाखिल की है।

जब याचिका दाखिल की गई थी तो वह एक मामले में जेल में था। वह न तो इस याचिका के वकील को जानता है और न ही इस मामले के पैरवीकार को जब विजय हांसदा हाई कोर्ट में इसकी जानकारी लेने आया था तो उसे धमकी भी मिली है।

उनकी जान को खतरा है। ऐसे में याचिका वापस लेने की अनुमति प्रदान करते हुए प्रार्थी को सुरक्षा मुहैया कराई जाए। ईडी की ओर से इसका विरोध किया गया और कहा गया कि साहिबगंज में अवैध खनन हो रहा है। इसकी जांच ईडी कर रही है। मामले की गंभीरता को देखते हुए उक्त याचिका को वापस लेने की अनुमति नहीं दी जाए।

विजय हांसदा को मिली थी धमकी

बता दें कि साहिबगंज में 1000 करोड़ के अवैध पत्थर खनन मामले में मनी लांड्रिंग के तहत जांच कर रही ईडी के गवाह विजय हांसदा को जान से मारने की धमकी दी गई है।

इस मामले में विजय हांसदा ने रांची के धुर्वा थाने में लिखित शिकायत की है। उन्होंने धमकी देने का आरोप साहिबगंज के अशोक यादव व मुकेश यादव पर लगाया है। आरोपितों ने धमकी दी है कि साहिबगंज लौटने के दौरान रास्ते में ही नुकसान पहुंचा देंगे।

विजय हांसदा साहिबगंज के मंडरो अंचल के भवानी चौकी के ग्राम प्रधान हैं। ईडी ने अवैध खनन मामले में गत वर्ष साहिबगंज में छापेमारी की थी, जिसमें विजय हांसदा गवाह बना था।

पुलिस पर भी लगाए आरोप

साहिबगंज पुलिस ने उसे आर्म्स एक्ट में जेल भेजा था। विजय हांसदा ने आरोप लगाया था कि उसके परिवाद पर ही पंकज मिश्रा, विष्णु यादव, संजय यादव, सुमेश मंडल, राजेश यादव, पवीतर यादव आदि के विरुद्ध केस दर्ज हुआ था।

इस केस को उठाने के लिए ही उसपर कई बार दबाव बनाया जा चुका है। उसने साहिबगंज पुलिस पर भी यह आरोप लगाया था कि उससे सादे कागज पर हस्ताक्षर करवाकर पुलिस ने उक्त केस को वापस लेने वाला कागज तैयार किया था। विजय हांसदा ने जेल में रहते हुए इसका विरोध किया था। तब ईडी ने विजय हांसदा से जेल में बयान ली थी।

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