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Chaibasa: सीएम सोरेन ने 10 हजार युवक-युवतियों को सौंपे नियुक्ति पत्र, खिल उठे आदिवासियों के चेहरे

झारखंड के 23 साल के इतिहास में पहली बार निजी कंपनियों में 75 प्रतिशत स्थानीय युवक-युवतियों को नौकरी देने का काम हमारी सरकार कर रही है। इसकी शुरुआत चाईबासा प्रमंडल से आज की गई है। कोल्हान के 10 हजार युवक-युवतियों को नियुक्ति के लिए ऑफर लेटर देना मील का पत्थर साबित होगा। 10 हजार में से 9 हजार 500 यहीं के आदिवासी-मूलवासी हैं।

By Jagran NewsEdited By: Yashodhan SharmaUpdated: Fri, 18 Aug 2023 07:26 PM (IST)
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सीएम सोरेन ने 10 हजार युवक-युवतियों को सौंपे नियुक्ति पत्र, खिल उठे आदिवासियों के चेहरे

जागरण संवाददाता, चाईबासा: झारखंड के 23 साल के इतिहास में पहली बार निजी कंपनियों में 75 प्रतिशत स्थानीय युवक-युवतियों को नौकरी देने का काम हमारी सरकार कर रही है।

इसकी शुरुआत चाईबासा प्रमंडल से आज की गई है। कोल्हान के 10 हजार युवक-युवतियों को नियुक्ति के लिए ऑफर लेटर देना मील का पत्थर साबित होगा।

10 हजार में से 9 हजार 500 यहीं के आदिवासी-मूलवासी हैं। टाटा स्टील, टाटा कमिंस, एल एंड टी, टाटा मोटर्स, एलआईसी जैसी बड़ी कंपनियों में ये काम करेंगे।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को चाईबासा के टाटा कॉलेज मैदान में आयोजित प्रमंडलीय रोजगार मेले में विभिन्न संस्थानों एवं कंपनियों के लिए चयनित युवक- युवतियों को ऑफर लेटर सौंपते हुए यह बातें कहीं।

निजी संस्थानों में भी मिलेगा 75 फीसदी स्थान

मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार राज्य में आदिवासी-मूलवासियों को अधिक से अधिक रोजगार दिलाने के लिए लगातार काम कर रही है।

उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने एक कानून बनाया है, जिसमें निजी क्षेत्र के संस्थानों में भी 75 फीसदी स्थान यहां के स्थानीय लोगों को मिलेगा।

सीएम ने आगे कहा कि आप किसी भी कंपनी में जायेंगे, वहां आपको नौकरी मिलेगी। जो पढ़े-लिखे हैं या जो नहीं भी पढ़े-लिखे हैं, उनके लिए भी सरकार रोजगार के अवसर मुहैया करा रही है।

स्थानीय लोगों के लिए भी हो रहा प्रयास

यहां के आदिवासी-मूलवासियों को अधिक से अधिक रोजगार मिले, इसके लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि कुछ ऐसी व्यवस्था भी है, जिसके तहत सरकार शत-प्रतिशत स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान कराने का प्रयास कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 30-35 हजार नियुक्तियां निकाली गयी हैं। अभी और निकाली जायेंगी। पिछले 23 साल में कभी इतनी बहाली नहीं निकली हैं।

आदिवासी बच्चे विदेश में पढ़कर बन रहे विद्वान

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज सरकार के द्वारा आदिवासी, दलित और अल्पसंख्यकों के बच्चों को विदेशों में उच्च शिक्षा के लिए भेजा जा रहा है। 50 आदिवासी बच्चे विदेश में पढ़कर विद्वान बन रहे हैं। इनका सारा खर्च राज्य सरकार उठा रही है।

आप इंजीनियर, डॉक्टर, पत्रकार, वकील बनें। पढ़ाई से लेकर सारी तैयारी का खर्च राज्य सरकार वहन करेगी। इतना ही नहीं अत्यंत संवेदनशील आदिवासी समुदाय (पीवीटीजी ) के युवक-युवतियों के लिए विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के लिए चार माह के निःशुल्क आवासीय कोचिंग कार्यक्रम शुरू किये गये हैं। पढ़ाई कर ये लोग भी डीसी, एसपी, बीडीओ, सीओ बन सकेंगे।

देश के आदिवासियों को एक होना होगा

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में 20 साल में कभी आदिवासी महोत्सव नहीं मना था। हमने पूरे उत्साह के साथ रांची में आदिवासी महोत्सव मनाया। इसमें भाग लेने के लिए देश के कोने-कोने से लोग झारखंड आये।

उन्होंने मंच से आह्वान करते हुए कहा कि अब देश के आदिवासी को एक होना होगा तभी मजबूती के साथ अपने हक की लड़ाई लड़ पायेंगे। आदिवासी अपने घर, परिवार, राज्य के साथ-साथ आने वाली पीढ़ी को मजबूत करने का संकल्प लें।