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Bombay High Court On Hijab: 'कॉलेज ने लगाई ड्रेस कोड तो मुस्लिम छात्राएं पहुंची HC...', अब इस दिन आएगा कोर्ट का फैसला

Bombay High Court On Hijab मुंबई के एक कॉलेज ने बांबे हाई कोर्ट में दलील दी कि उसके परिसर में हिजाब नकाब और बुर्का पर प्रतिबंध केवल एक समान ड्रेस कोड लागू करने के लिए था। कहा कि इसका उद्देश्य मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाना नहीं था।कॉलेज के ड्रेस कोड लागू करने के बाद नौ छात्राओं ने हाई कोर्ट का रुख किया और कॉलेज के फैसले को चुनौती दी है।

By Agency Edited By: Sonu Gupta Updated: Wed, 19 Jun 2024 07:40 PM (IST)
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हिजाब पर रोक मुस्लिमों के खिलाफ नहीं : मुंबई के कॉलेज की हाई कोर्ट में दलील।

पीटीआई, मुंबई। मुंबई के एक कॉलेज ने बांबे हाई कोर्ट में दलील दी कि उसके परिसर में हिजाब, नकाब और बुर्का पर प्रतिबंध केवल एक समान ड्रेस कोड लागू करने के लिए था। कॉलेज ने कहा कि इसका उद्देश्य मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाना नहीं था।

छात्राओं ने खटखटाया HC का दरवाजा

चेंबूर ट्रांबे एजुकेशन सोसाइटी के एनजी आचार्य और डीके मराठे कॉलेज की तरफ से ड्रेस कोड लागू किया गया। इसमें हिजाब, नकाब, बुर्का, स्टोल, टोपी पर प्रतिबंध लगाया गया। कॉलेज के ड्रेस कोड लागू करने के बाद नौ छात्राओं ने हाई कोर्ट का रुख किया और कॉलेज के फैसले को चुनौती दी है। याचिकाकर्ता, दूसरे और तीसरे वर्ष के विज्ञान डिग्री के छात्र हैं।

उन्होंने कहा कि यह नियम उनके धर्म का पालन करने के मौलिक अधिकार, निजता के अधिकार और 'पसंद के अधिकार' का उल्लंघन करता है। उन्होंने दावा किया कि कॉलेज की कार्रवाई 'मनमानी, अनुचित, कानून की दृष्टि से खराब और विकृत' थी।

26 जून को अदालत सुनाएगा फैसला

जस्टिस एएस चंदुरकर और राजेश पाटिल की खंडपीठ ने बुधवार को याचिकाकर्ताओं के वकील से पूछा कि कौन सा धार्मिक प्राधिकरण कहता है कि हिजाब पहनना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा है। अदालत ने कॉलेज प्रबंधन से यह भी पूछा कि क्या उसके पास इस तरह का प्रतिबंध लगाने का अधिकार है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि वह 26 जून को इस मामले पर अपना फैसला सुनाएगा।

याचिकाकर्ताओं ने कुरान का दिया हवाला

याचिकाकर्ताओं के वकील अल्ताफ खान ने अपने तर्क का समर्थन करने के लिए कुरान की कुछ आयतों का हवाला दिया।

कॉलेज ने क्या कहा?

कॉलेज की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अनिल अंतुरकर ने कहा कि ड्रेस कोड हर धर्म और जाति के छात्रों के लिए है। यह केवल मुसलमानों के खिलाफ आदेश नहीं है। यह ड्रेस कोड प्रतिबंध सभी धर्मों के लिए है। ऐसा इसलिए है ताकि छात्रों को अपने धर्म का खुलासा करते हुए खुलेआम घूमने की जरूरत न पड़े। लोग कॉलेज में पढ़ने आते हैं। छात्रों को ऐसा करने दें और केवल उसी पर ध्यान दें और बाकी सब कुछ बाहर छोड़ दें।

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