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Parliament Winter Session: 'नेहरू की गलती का खामियाजा वर्षों तक कश्मीर व देश को भुगतना पड़ा', विपक्ष पर बरसे अमित शाह

लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पर कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के हमलों का करारा जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने साफ किया कि कश्मीर में 45 हजार लोगों की मौत की जिम्मेदार अनुच्छेद 370 था जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उखाड़ फेंका। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की गलती का खामियाजा वर्षों तक कश्मीर सहित पूरे देश को उठाना पड़ा।

By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Wed, 06 Dec 2023 11:13 PM (IST)
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में अपनी बात रखते हुए। (फोटो- एएनआई)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पर कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के हमलों का करारा जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने साफ किया कि कश्मीर में 45 हजार लोगों की मौत की जिम्मेदार अनुच्छेद 370 था, जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उखाड़ फेंका।

नेहरू पर बरसे अमित शाह

उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की गलती का खामियाजा वर्षों तक कश्मीर सहित पूरे देश को उठाना पड़ा। शाह ने कांग्रेस को जम्मू-कश्मीर के विलय के दौरान नेहरू समेत सभी नेताओं की भूमिका पर सदन के भीतर चर्चा की चुनौती दी, जिसे कांग्रेस के सदन में नेता अधीर रंजन चौधरी ने स्वीकार भी कर दिया।

जम्मू कश्मीर से जुड़े विधेयक लोकसभा से पारित

लोकसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोंकझोंक के बाद जम्मू-कश्मीर से जुड़े ओबीसी आरक्षण और विधानसभा में विस्थापितों से तीन सदस्यों को नामित करने से जुड़े विधेयक को सर्वसम्मति से पारित हो गया।

शाह ने कहा कि जब हमारी सेना जीत रही थी, तब नेहरू ने अचानक सीजफायर घोषित कर दिया, जिसके कारण पाक अधिकृत कश्मीर का जन्म हुआ। यदि सीफफायर तीन दिन बाद होता, तो पाक अधिकृत कश्मीर भारत का हिस्सा होता। इसके बाद उन्होंने दूसरी बड़ी गलती कश्मीर मामले को संयुक्त राष्ट्र में ले जाकर की।

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शाह ने नेहरू की गलतियों को बताया ब्लंडर

शाह ने कहा कि नेहरू ने खुद शेख अब्दुल्ला को लिखे पत्र में अपनी गलती को स्वीकार किया है। शाह ने नेहरू की इन गलतियों को ब्लंडर बताया। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से 46,631 परिवारों को अपने ही देश में विस्थापित होना पड़ा। उनके अनुसार कश्मीर से पलायन करने वालों का आंसू पोछने का काम सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी ने किया।

अनुच्छेद 370 हटने के बाद भी कश्मीर में आतंकवाद खत्म नहीं होने के विपक्षी सांसदों को जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि इससे अलगाववाद पूरी तरह से समाप्त हो गया है और आतंकवाद में बहुत कमी आई है। उनके अनुसार जम्मू-कश्मीर में जीरो आतंकवाद की रणनीति पर काम शुरू हो चुका है और 2026 तक इसे पूरी तरह से हासिल कर लिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि पहले सिर्फ आतंकवादियों को मारा जाता था, लेकिन अब हमने इसके पूरे इकोसिस्टम को खत्म कर दिया है। शाह ने कहा कि ये विधेयक भी विस्थापितों को अधिकार और प्रतिनिधित्व देने का है। उनके अनुसार कश्मीरी विस्थापितों में दो सदस्यों को नामित करने से विधानसभा में उनकी आवाज गुंजेगी। इसी तरह से पीओके से आए विस्थापितों में से एक सदस्य नामित होने से विधानसभा के भीतर उन्हें आवाज मिलेगी। पीओके से आए इन विस्थापितों को 70 सालों से भेदभाव का शिकार होना पड़ा है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के इस प्रयास को हर प्रताडि़त विस्थापित कश्मीरी याद रखेगा। शाह ने मोदी सरकार के आने के बाद कश्मीर के विकास के लिए किये गए कार्यों का विस्तृत ब्यौरा भी दिया।

कांग्रेस ओबीसी की सबसे बड़ी विरोधी, मोदी ने दिया सम्मान और अधिकार

सरकारी नौकरियों और पेशेवर संस्थानों में पिछड़े वर्ग को आरक्षण देने वाले विधेयक को लेकर सवाल उठाने पर अमित शाह ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। शाह ने कांग्रेस को ओबीसी की सबसे बड़ी विरोधी बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार उन्हें सम्मान और अधिकार दिया।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी खुद ओबीसी समुदाय से आते हैं और गरीबी को देखा है। इसीलिए वे ओबीसी समुदाय को सम्मान के साथ अधिकार दे रहे हैं। जबकि कांग्रेस ने काका कालेलकर कमीशन की रिपोर्ट को सालों रोककर रखा और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने विपक्ष के नेता के रूप में मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू करने का पुरजोर विरोध किया था।

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राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए शाह ने कहा कि सिर्फ ओबीसी-ओबीसी चिल्लाने से कुछ नहीं होता है। कांग्रेस ने अपने शासन काल में सेंट्रल एडमिशन स्कीम में ओबीसी को आरक्षण नहीं दिया और मोदी सरकार को यह काम करना पड़ा। इसके साथ ही ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा भी दिया। जम्मू-कश्मीर के आरक्षण की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि पहले कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था थी, लेकिन लंबे विचार-विमर्श के बाद तय हुआ कि उन्हें ओबीसी वर्ग का सम्मान मिलना चाहिए और इसीलिए उसमें संशोधन का विधेयक लाना पड़ा।

शाह ने कहा कि सिर्फ अधिकार देना ही काफी नहीं होता है, ओबीसी को सम्मान देने की भी जरूरत है, जो सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी ने किया। शाह ने कहा कि ओबीसी को सिर्फ एक वोटबैंक के रूप में देखने वाले विपक्षी दल इस बात को नहीं समझ सकते हैं।