एस.के. सिंह, नई दिल्ली। साल 2022 क्रिप्टो निवेशकों के लिए भूल पाना मुश्किल होगा। पहले तो क्रिप्टो करेंसी की वैल्यू में ऐतिहासिक गिरावट आने से करीब दो दर्जन एक्सचेंज बंद हो गए, अब क्रिप्टो जगत एफटीएक्स (FTX) के दिवालिया होने के कॉन्टेजियन इफेक्ट, अर्थात संक्रमण का शिकार लग रहा है। 11 नवंबर को एफटीएक्स की तरफ से बैंकरप्सी का आवेदन करने के करीब दो हफ्ते बाद ब्लॉकफी (BlockFi) ने भी अमेरिका में बैंकरप्सी फाइलिंग की है। खास बात यह है कि ब्लॉकफी ने इसका प्रमुख कारण एफटीएक्स को ही बताया है। ब्लॉकफी के अगले ही दिन बिटफ्रंट (Bitfront) नाम के एक्सचेंज ने भी बिजनेस बंद करने की घोषणा की है। हालांकि इसने यह जरूर कहा कि उसका एफटीएक्स से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन विशेषज्ञ बाजार पर एफटीएक्स के असर को भी इसकी वजह मान रहे हैं। यह सवाल भी उठने लगा है कि क्या FTX प्रकरण क्रिप्टो जगत के लिए लेहमैन ब्रदर्स साबित होगा? 2008 में ग्लोबल आर्थिक संकट अमेरिकी बैंक लेहमैन ब्रदर्स के डूबने के साथ शुरू हुआ था। उस साल वहां 25 बैंक डूबे या उनका दूसरे बैंकों में विलय किया गया था। इस साल कम से कम 25 क्रिप्टो एक्सचेंज बंद हो चुके हैं।

ब्लॉकफी क्रिप्टो लेंडर है। क्रिप्टो लेंडर क्रिप्टो जगत के लिए बैंक की तरह काम करते हैं, हालांकि ये बैंकों की तरह रिजर्व पूंजी नहीं रखते। निवेशक इनके पास अपनी क्रिप्टो करेंसी जमा करते हैं और बदले में उन्हें अच्छा खासा ब्याज मिलता है। क्रिप्टो लेंडर दूसरों को कर्ज के रूप में करेंसी देकर उनसे ब्याज लेते हैं। कोविड-19 महामारी के समय यह धंधा खूब चला।

महामारी के दौरान क्रिप्टो करेंसी की मांग के साथ इनकी कीमत काफी बढ़ गई थी। उस समय बड़ी संख्या में क्रिप्टो एक्सचेंज भी खुले थे। लेकिन 2022 में क्रिप्टो करेंसी की वैल्यू में काफी गिरावट आई है। पिछले साल नवंबर में एक बिटकॉइन 64,000 डॉलर से अधिक का था, जो अभी सिर्फ 16,800 डॉलर का रह गया है। जाहिर है कि इसका सबसे ज्यादा नुकसान निवेशकों को उठाना पड़ा है। कॉइनगेको वेबसाइट के अनुसार दुनिया में अभी 545 क्रिप्टो एक्सचेंज हैं।

इस साल बंद हुए क्रिप्टो एक्सचेंज में ज्यादातर छोटे एक्सचेंज थे, लेकिन FTX ने जब बैंकरप्सी आवेदन किया, तब वह दुनिया के शीर्ष 10 एक्सचेंजों में शुमार था। इसलिए उसका असर दूसरों पर भी दिख रहा है। BlockFi ने अपने बैंकरप्सी आवेदन में कहा है कि उसे एक लाख से अधिक कर्जदाताओं के पैसे लौटाने हैं। सबसे ज्यादा उधारी अंकुरा ट्रस्ट की 72.9 करोड़ डॉलर की है। दूसरे नंबर पर एफटीएक्स की उधारी 27.5 करोड़ डॉलर की है।

रोचक बात यह है कि इसे अमेरिकी रेगुलेटर सिक्युरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) को भी तीन करोड़ डॉलर देने हैं। दरअसल, नियमों का उल्लंघन करने पर एसईसी ने इसी साल फरवरी में ब्लॉकफी पर 10 करोड़ डॉलर का जुर्माना लगाया था। तीन करोड़ डॉलर इसी जुर्माने की बाकी रकम है।

BlockFi के बाद जापान की सोशल मीडिया कंपनी लाइन (LINE) ने भी क्रिप्टो एक्सचेंज बिटफ्रंट (Bitfront) को बंद करने की घोषणा की है। इसे 2020 में ही लांच किया गया था। एक्सचेंज में नए एकाउंट खोलने और पैसे जमा करने पर तत्काल रोक लगा दी गई है। जिन लोगों ने इसमें पैसा लगा रखा है, वे 31 मार्च तक निकाल सकते हैं। लाइन ने कहा है कि एक्सचेंज बंद करने का FTX से कोई लेना-देना नहीं है।

भारतीय निवेशक भी हो सकते हैं प्रभावित

निवेशकों को क्रिप्टो टोकन पर निवेश की स्ट्रैटजी बताने वाली कंपनी FNDX के सह-संस्थापक राहुल गायतोंडे ने जागरण प्राइम को बताया कि ब्लॉकफी के बंद होने से भारतीय निवेशक भी प्रभावित हो सकते हैं। उन्होंने कहा, “ब्लॉकफी ने अप्रैल 2019 से भारतीय निवेशकों से पैसा लेना शुरू किया था। उसने खुलासा किया है कि सिर्फ लेंडिंग प्रोडक्ट में एक लाख से अधिक लोगों की उधारी है। इसका मतलब है कि दूसरे प्रोडक्ट में और निवेशकों के पैसे फंसे होंगे। संभव है कि उनमें भारतीय भी हों।”

भारतीय निवेशक FTX में भी फंसे हैं। कॉइनगेको (coingecko) के अनुसार जनवरी से अक्टूबर 2022 तक एफटीएक्स पर सबसे ज्यादा मासिक यूनिक एवरेज ट्रैफिक दक्षिण कोरिया (2.97 लाख), सिंगापुर (2.41 लाख) और जापान (2.23 लाख) का था। भारत 1.54 लाख यूनिक विजिटर के साथ आठवें नंबर पर था। एफटीएक्स.कॉम के कुल ट्रैफिक में भारत का हिस्सा 3.2% था।

ब्लॉकफी आखिर क्यों डूबी

क्रिप्टो करेंसी लूना (Luna) और टेरा (Terra) के दाम में भारी गिरावट के बाद BlockFi इस साल डूबने के कगार पर पहुंच गई थी। तब FTX ने उसे 40 करोड़ डॉलर की मदद करने का समझौता किया। ब्लॉकफी ने इस रकम में से पहले 27.5 करोड़ डॉलर लिए और बाकी 12.5 करोड़ डॉलर 8 नवंबर को मांगे थे। एफटीएक्स ने कर्ज की दूसरी किस्त तो नहीं दी, खुद बैंकरप्सी का आवेदन कर दिया। एफटीएक्स और अलामेडा (Alameda) ने ग्रुप की करीब 130 कंपनियों के साथ 11 नवंबर को बैंकरप्सी के लिए आवेदन किया था।

ब्लॉकफी ने अपने एफिडेविट में कहा है कि एफटीएक्स से रकम नहीं मिलने के बाद अलामेडा ने भी 68 करोड़ डॉलर का कर्ज देने से मना कर दिया। यह कर्ज कोलैटरल के बदले दिया जाना था। तब ब्लॉकफी ने अपने प्लेटफॉर्म पर 10 नवंबर को विथड्रॉल पर रोक लगा दी। एफटीएक्स एक्सचेंज पर ब्लॉकफी की क्रिप्टो करेंसी भी थी, जो एक्सचेंज के दिवालिया होने के बाद फंस गई। अब ब्लॉकफी न तो कर्ज की रकम ले सकती है, न एफटीएक्स प्लेटफॉर्म पर पड़े अपने पैसे का इस्तेमाल कर सकती है।

BlockFi ने कहा है, “हम एफटीएक्स और अलामेडा की खबर से हतप्रभ थे। बाकी दुनिया की तरह हमें भी इसकी जानकारी ट्विटर से मिली। एफटीएक्स और अलामेडा के बारे में स्थिति स्पष्ट न होने के कारण हम बिजनेस सामान्य तरीके से नहीं कर पा रहे हैं।” इसने एक अन्य डिफॉल्ट के सिलसिले में एफटीएक्स के संस्थापक सैमुएल बैंकमैन फ्रायड (SBF) की एक कंपनी इमरजेंट फाइडेलिटी पर भी मुकदमा दायर किया है।

पहले भी दिवालिया होने को थी ब्लॉकफी

अमेरिका की न्यूजर्सी स्थित कंपनी BlockFi की स्थापना जैक प्रिंस और फ्लोरी मारक्वेज ने 2017 में की थी। यह इस साल जून में भी दिवालिया होने के करीब पहुंच गई थी। तब एफटीएक्स के साथ 40 करोड़ डॉलर कर्ज लेने का जो समझौता हुआ था, उसमें एक विकल्प यह भी था कि एफटीएक्स, ब्लॉकफी को 24 करोड़ डॉलर में खरीद सकती है। एक समय इस लेंडर की वैलुएशन तीन अरब डॉलर थी।

ब्लॉकफी की दो बड़ी प्रतिस्पर्धी कंपनियों सेल्सियस नेटवर्क और वॉयजर डिजिटल ने जुलाई में बैंकरप्सी के लिए आवेदन किया था। तब ब्लॉकफी के संस्थापक प्रिंस ने कहा था, “ब्लॉकफी को वॉयेजर और सेल्सियस के जैसा न समझें। दो महीने पहले हम एक जैसे थे। अब उनका बिजनेस बंद हो चुका है और उनके क्लायंट को बड़ा नुकसान भी हुआ है।” चार महीने बाद उन्होंने खुद बैंकरप्सी के लिए आवेदन किया है।

कंपनी के पास 25.7 करोड़ डॉलर कैश है और बैंकरप्सी फाइलिंग के अनुसार उसे उम्मीद है कि इससे रिस्ट्रक्चरिंग में मदद मिलेगी। अमेरिका में चैप्टर 11 के तहत बैंकरप्सी फाइलिंग का मतलब है कि कंपनी अपना कामकाज जारी रखते हुए रिस्ट्रक्चरिंग करना चाहती है। एफटीएक्स ने भी इसी प्रावधान के तहत बैंकरप्सी फाइलिंग की है। लेकिन एक तथ्य यह भी है कि बिटकॉइन के सबसे बड़े एक्सचेंज Mt. Gox ने 2014 में बैंकरप्सी फाइलिंग की थी और अभी तक उसके कर्जदारों को पैसे का इंतजार है।

दरअसल, एफटीएक्स का डूबना क्रिप्टो इंडस्ट्री के लिए बड़ा झटका है। ब्लॉकफी जैसे अनेक फंड और क्रिप्टो स्टार्टअप एफटीएक्स से जुड़े थे, जिन्हें एक्सचेंज ने उनके मुश्किल दिनों में मदद की थी। एक अन्य क्रिप्टो लेंडर जेनेसिस ग्लोबल कैपिटल ने भी लिक्विडिटी का हवाला देते हुए विथड्रॉल रोकने की घोषणा की है। हालांकि इसने अभी तक बैंकरप्सी का रास्ता नहीं चुना है। एफटीएक्स एक्सचेंज के एकाउंट जब फ्रीज हुए तब जेनेसिस के 17.5 करोड़ डॉलर के एसेट उसमें फंसे थे।

FTX के बारे में खुलासे

इस बीच FTX के बारे में भी कुछ खुलासे हुए हैं। उसका संस्थापक SBF अमेरिकी नेताओं को चंदा देता रहा है। द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक सैम ने 2022 के चुनाव में डेमोक्रेट्स को चार करोड़ डॉलर की मदद पहुंचाई। डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए जॉर्ज सोरोस के बाद वह सबसे बड़ा फाइनेंसर था।

एफटीएक्स ने हमेशा अपने निवेशकों और ग्राहकों को अंधेरे में रखा। दो वर्षों में 80 से ज्यादा निवेशकों ने एफटीएक्स में दो अरब डॉलर का निवेश किया, लेकिन उनमें से कोई भी कंपनी के बोर्ड में नहीं था। एक्सचेंज ने कभी निवेशकों को अलामेडा रिसर्च के साथ संबंधों का खुलासा नहीं किया।

SBF ने जिस दिन ट्विटर पर लिखा ‘एसेट्स आर फाइन’, उसके अगले ही दिन उसने एक्सचेंज को अपने प्रतिद्वंद्वी बाइनेंस (Binance) को बेचने की घोषणा कर दी। एक दिन बाद बाइनेंस ने सौदे से मना कर दिया और एफटीएक्स ने बैंकरप्सी के लिए आवेदन किया। एफटीएक्स के वकीलों का कहना है कि कंपनी के ज्यादातर एसेट चुरा लिए गए या गायब हैं। इससे निवेशकों को कुछ मिलने की आशंका भी कम होती जा रही है। कोर्ट में एफटीएक्स के वकील ने ही कहा कि SBF एक्सचेंज को निजी जागीर की तरह चला रहे थे।

अब अपने रिजर्व बता रहे हैं भारतीय एक्सचेंज

भारत में भी क्रिप्टो निवेशक एसेट को लेकर चिंतित हैं। इसलिए भारतीय एक्सचेंज निवेशकों को यह भरोसा दिलाने में लगे हैं कि एफटीएक्स जैसी घटना भारत में नहीं होने वाली है। इसके लिए उन्होंने प्रूफ-ऑफ-रिजर्व ऑडिट देना करना शुरू किया है। इसका मकसद यह बताना है कि ग्राहकों का पैसा सुरक्षित रखने के लिए उनके पास पर्याप्त रिजर्व एसेट है। कॉइनस्विच (Coinswitch) ने 17 नवंबर को अपना प्रूफ-ऑफ-रिजर्व सार्वजनिक किया।

FNDX के राहुल गायतोंडे कहते हैं, “सेंट्रलाइज्ड एक्सचेंजों पर यह सबूत दिखाने का दबाव बढ़ रहा है कि ग्राहकों की निवेश राशि के बदले उनके पास सचमुच टोकन (करेंसी) हैं। सबूत भी ऐसा हो जो बाद में गलत न निकले। इसे प्रूफ ऑफ रिजर्व कहा जाता है। इससे यह अंदाजा मिलेगा कि एफटीएक्स के संक्रमण के असर से कौन-कौन से एक्सचेंज बचेंगे।”

कॉइनडीसीएक्स (CoinDCX) ने 24 नवंबर को ब्लॉकचेन एनालिटिक्स फर्म नानसेन के साथ प्रूफ-ऑफ-रिजर्व ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक की। इस प्रूफ के अनुसार उस दिन एक्सचेंज के पास 13 करोड़ डॉलर के एसेट थे। एक्सचेंज के सह-संस्थापक और सीईओ सुमित गुप्ता के अनुसार, “हम यूजर की लायबिलिटी और एसेट का अनुपात हमेशा 1:1 से ज्यादा रखते हैं।” कंपनी हर महीने रिजर्व-टू-लायबिलिटी (R2L) अनुपात भी सार्वजनिक करेगी। यह एक्सचेंज के ऑन चेन/ऑफ चेन एसेट और लायबिलिटी का अनुपात होता है।

हालांकि सुमित के अनुसार ‘प्रूफ ऑफ रिजर्व’ से सिर्फ एसेट की वैल्यू का पता चलता है, लायबिलिटी का नहीं। यह अधूरी तस्वीर दिखाने जैसा है। हम रिजर्व-टू-लायबिलिटी (R2L) अनुपात को ऑडिट सर्टिफिकेट के साथ समय-समय पर पब्लिश करने पर काम कर रहे हैं। सुमित का दावा है कि CoinDCX में नियमित ऑडिटिंग कराई जाती है। हॉट (ऑनलाइन) तथा कोल्ड (ऑफलाइन) वॉलेट में यूजर का पैसा सुरक्षित रहे, इसके लिए सख्त सुरक्षा मानक अपनाए गए हैं। एक्सचेंज के पास जो क्रिप्टो एसेट है, वह ग्राहकों से ली गई रकम के 100% से भी ज्यादा है।

निवेशक सही एसेट चुनें

एफटीएक्स प्रकरण के बाद विभिन्न एक्सचेंजों से 2 नवंबर (जिस दिन खबर आई) से 10 दिनों में निवेशकों ने 20.7 अरब डॉलर निकाल लिए थे। एक्सचेंजों में निवेशकों का पैसा 123.6 अरब डॉलर से घटकर 102.8 अरब डॉलर रह गया था। ग्लोबल क्रिप्टो करेंसी मार्केट कैप कभी तीन लाख करोड़ डॉलर का हो गया था, जो 30 नवंबर को सिर्फ 889 अरब डॉलर (स्रोतः coingecko) का रह गया।

इस माहौल में क्रिप्टो निवेशकों को क्या करना चाहिए, इस पर FNDX के गायतोंडे कहते हैं, “मेरे विचार से बाजार को समग्र रूप से देखने के बजाय निवेशकों को यह देखना चाहिए कि कौन से क्रिप्टो प्रोजेक्ट वास्तव में वैल्यू क्रिएट कर रहे हैं, किसका बिजनेस मॉडल अच्छा है। यह देखने के बाद ही उन्हें यह निर्णय लेना चाहिए कि कोई टोकन (करेंसी) खरीदने लायक है या नहीं। निवेशक यह नजरिया अपनाएं तभी क्रिप्टो गैंबलिंग के बजाय निवेश का माध्यम बनेगा।”