Electoral Bonds: बंगाल चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस को मिला था सबसे अधिक चंदा, बीजेपी की भी खूब भरी थी झोली
माना जा रहा है कि इसके पीछे चंदा देने वाली कंपनियों या फिर पूंजीपतियों को उम्मीद थी कि कांग्रेस चुनावों में मजबूत वापसी कर सकती है। हालांकि चुनाव परिणाम आने बाद कांग्रेस को आने वाले वर्षों में उससे कम राशि मिली थी। दूसरी ओर भाजपा को 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले वित्त वर्ष 2018-19 में 1450 करोड़ और 2019-20 में 2555 करोड़ का चंदा मिला था।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनावी चंदे पर छिड़ी बहस के बीच अब यह साफ हो गया है कि राजनीतिक दलों को चंदा उनकी मौजूदा ताकत या फिर सत्ता में उनकी वापसी की उम्मीद पर ही मिलता है। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) की चुनावी चंदे को लेकर ताजा रिपोर्ट से कुछ ऐसी ही जानकारी मिली है।
इसमें बताया गया है कि वित्त वर्ष 2020-21 में राजनीतिक दलों को मिले कुल चंदे में सबसे ज्यादा 42 करोड़ का चंदा तृणमूल कांग्रेस को मिला था। उस साल भाजपा को 22 करोड़ और कांग्रेस को 10 करोड़ का चंदा मिला था। तृणमूल कांग्रेस को सबसे अधिक चंदा बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मिला था। उस दौरान पार्टी वहां सत्ता में तो थी ही, साथ ही उसके फिर से जीतकर आने की उम्मीद भी थी।
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एडीआर की रिपोर्ट से जो एक और बड़ी जानकारी मिली है, उसके अनुसार कांग्रेस पार्टी को वित्त वर्ष 2018-19 और 2019-20 में पिछले वर्षों में सबसे अधिक चंदा मिला है। पार्टी को 2018-19 में 384 करोड़ और 2019-20 में 317 करोड़ रुपये मिले थे। कांग्रेस को यह चंदा 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले दिया गया था।माना जा रहा है कि इसके पीछे चंदा देने वाली कंपनियों या फिर पूंजीपतियों को उम्मीद थी कि कांग्रेस चुनावों में मजबूत वापसी कर सकती है। हालांकि चुनाव परिणाम आने बाद कांग्रेस को आने वाले वर्षों में उससे कम राशि मिली थी। दूसरी ओर भाजपा को 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले वित्त वर्ष 2018-19 में 1450 करोड़ और 2019-20 में 2555 करोड़ का चंदा मिला था।
इसके पीछे भी उनके सत्ता में होने के साथ ही सत्ता में वापसी की मजबूत उम्मीद माना जा रहा है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी को 2020 में मिली जीत के बाद 2021-22 और 2022-23 में सबसे अधिक चंदा मिला था। आप को 2021-22 में 25.12 करोड़ और 2022-23 में 45.45 करोड़ का चंदा मिला था।यह भी पढ़ें: Electoral Bonds: फार्मा व इंफ्रा से जुड़ी कंपनियां चुनावी बॉन्ड खरीदने में रही आगे, भाजपा के साथ कांग्रेस व अन्य दलों को भी चंदा