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अफस्पा के तहत नगालैंड और छह माह के लिए अशांत क्षेत्र घोषित, गृह मंत्रालय ने जारी की अधिसूचना

पूरे नगालैंड राज्य को और छह महीने के लिए अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया गया। सशस्त्र बल अधिनियम ( अफस्पा ) बढ़ा दिया गया है और यह कानून सुरक्षा बलों को कहीं भी अभियान चलाने और किसी को भी बिना वारंट गिरफ्तार करने की शक्ति प्रदान करता है।

By Bhupendra SinghEdited By: Updated: Wed, 30 Jun 2021 09:11 PM (IST)
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गृह मंत्रालय ने जारी की अधिसूचना में कहा- अशांत क्षेत्र में पूरा नगालैंड राज्य शामिल है

नई दिल्ली, एजेंसी। पूरे नगालैंड राज्य को और छह महीने के लिए अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। सशस्त्र बल ( विशेष शक्तियां ) अधिनियम ( अफस्पा ) बढ़ा दिया गया है और यह कानून सुरक्षा बलों को कहीं भी अभियान चलाने और किसी को भी बिना वारंट गिरफ्तार करने की शक्ति प्रदान करता है। इस कानून के तहत दिसंबर के अंत तक पूर्वोत्तर का यह पूरा राज्य अशांत क्षेत्र माना जाएगा।

गृह मंत्रालय ने जारी की अधिसूचना में कहा- अशांत क्षेत्र में पूरा नगालैंड राज्य शामिल है

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को जारी अधिसूचना में कहा है कि सरकार की राय है कि क्षेत्र जिसमें पूरा नगालैंड राज्य शामिल है, वह इस तरह की अशांत और खतरनाक स्थिति में है जिसमें नागरिक शक्तियों की सहायता में सशस्त्र बलों का इस्तेमाल आवश्यक है। गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव पीयूष गोयल की ओर से अधिसूचना जारी की गई है।

केंद्र सरकार ने AFSPA के तहत नागालैंड को घोषित किया अशांत क्षेत्र

जारी अधिसूचना 30 जून 2021 से प्रभावी

मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव पीयूष गोयल द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया कि अब सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम 1958 (1958 की संख्या 14) की धारा 3 के अंतर्गत प्राप्त शक्तियों का उपयोग करते हुए केंद्र सरकार छह और माह के लिए नगालैंड राज्य के पूरे इलाके को अशांत क्षेत्र घोषित करती है जो 30 जून 2021 से प्रभावी होगा।

शांति व्यवस्था बनाए रखने का जिम्मा सशस्त्र बलों को मिल जाता है

अशांत क्षेत्र घोषित किए जाने के बाद राज्य में शांति व्यवस्था बनाए रखने का जिम्मा सशस्त्र बलों को मिल जाता है। वहीं, AFSPA के तहत बल अशांत इलाकों में अपने विशेष अधिकारों का इस्तेमाल कर सकते हैं।

नगालैंड में दशकों से अफ्सपा लागू है

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में हत्या, लूट और फिरौती के मामलों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। नगालैंड में दशकों से अफ्सपा लागू है।