दुश्मनों की अब खैर नहीं... आकाश में नौसेना की तीसरी आंख बनेगा पहला स्वदेशी यूएवी दृष्टि-10; ड्रोन हमलों को कर देगा नाकाम
UAV Drishti 10 हर तरह के मौसम में समुद्र से आकाश तक सुरक्षा चुनौतियों के खतरों का मुकाबला करने के लिए स्वदेश निर्मित पहले स्टारलाइनर अननेम्ड ऐरियल विकल (यूएवी) ‘दृष्टि-10’ भारतीय नौसना जल्द ही अपने सुरक्षा बेड़े में शामिल करेगी। नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरिकुमार ने हैदराबाद में स्वदेश निर्मित इस पहले यूएवी का अनावरण करते हुए इसे हासिल किया।
संजय मिश्र, हैदराबाद। हर तरह के मौसम में समुद्र से आकाश तक सुरक्षा चुनौतियों के खतरों का मुकाबला करने के लिए स्वदेश निर्मित पहले स्टारलाइनर अननेम्ड ऐरियल विकल (यूएवी) ‘दृष्टि-10’ भारतीय नौसना जल्द ही अपने सुरक्षा बेड़े में शामिल करेगी। नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरिकुमार ने हैदराबाद में स्वदेश निर्मित इस पहले यूएवी का अनावरण करते हुए इसे हासिल किया।
नौसना प्रमुख ने कहा कि हाल के समय में हिंद महासागर से लेकर अरब सागर में समुद्री जहाजों पर लगातार बढ़ते ड्रोन हमलों की चुनौतियों की पहचान कर उन्हें पहले ही ध्वस्त करने में दृष्टि अहम भूमिका निभाएगा। मानव रहित टोही विमान होने के साथ ही विस्फोटक सामाग्रियों के साथ निशाने पर धावा बोलने में सक्षम दृष्टि-10 को मौजूदा सामरिक चुनौतियों के संदर्भ में इसकी अपरिहार्य जरूरत बताते हुए नौसेना प्रमुख ने कहा कि समुद्री जहाजों पर बढ़ते हमलों का मुकाबला करने में यह बेहद प्रभावी होगा।
दोनों पड़ोसी देशों के पास बड़ी संख्या में यूएवी
चीन और पाकिस्तान का नाम लिए बिना नौसेना प्रमुख ने कहा कि हमारे दोनों पड़ोसी देशों के पास बड़ी संख्या में यूएवी हैं और ऐसे में भारतीय सैन्य बलों को इसकी पर्याप्त जरूरत है।
अगले महीन से नौसेना के समुद्री अभियानों में होगा इस्तेमाल
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में अहम कदम माने जा रहे दृष्टि यूएवी को नौसेना हैदराबाद से पोरबंदर ले जाएगी जहां अगले महीन से उसका उपयोग नौसेना के समुद्री अभियानों में किया जाएगा। अदाणी डिफेंस एंड एरोस्पेस ने दृष्टि-10 को स्वदेश में निर्मित किया है। इजरायल विकसित इस यूएवी के 70 फीसद उपकरण स्वदेश में बने हैं और अदाणी डिफेंस एंड एरोस्पेस ने भारतीय नौसेना से हुए समझौते के 10 महीन के भीतर ही उसे पहला यूएवी सौंप दिया है।
खतरों की पहचान कर पहले ही बोल सकता है धावा
नौसेना ने फिलहाल दो दृष्टि-10 का ऑर्डर दिया है तो कंपनी भारतीय सेना को भी दो यूएवी देगी। स्वदेश निर्मित दृष्टि 36 घंटे तक उड़ान भर कर 450 किलोग्राम पेलोड क्षमता वाला एक उन्नत खुफिया, निगरानी और टोही (आईएसआर) प्लेटफॉर्म है। इसका अर्थ है कि यह न केवल लंबी दूरी तय कर हर तरीके की चुनौतियों की निगरानी कर सकता है बल्कि संभावित खतरों की पहचान कर उस पर पहले ही धावा बोल सकता है।
दृष्टि की बेहद कारगर भूमिका होगी- एडमिरल हरिकुमार
एडमिरल हरिकुमार ने कहा भी कि जिस तरह बीते 40 दिनों के दौरान समुद्री जहाजों पर करीब 35 ड्रोन हमले हुए हैं उसे देखते हुए दृष्टि की बेहद कारगर भूमिका होगी। उनके अनुसार ये अधिकांश हमले इजरायली जहाजों पर लाल सागर और अरब सागर में हुए हैं। सुदूर समुद्री इलाके में इसकी अहमियत इस लिहाज से भी बढ़ जाती है कि दृष्टि 1000 मील तक की लगातार उड़ान भरने में सक्षम है।
दृष्टि आकाश में भारतीय नौसेना की तीसरी आंख होगी
नौसेना प्रमुख ने कहा कि वास्तव में दृष्टि आकाश में भारतीय नौसेना की तीसरी आंख होगी और पहले स्वदेश निर्मित यूएवी का अनावरण हमारे रक्षा क्षेत्र के लिए एक बड़ा परिवर्तनकारी मुकाम है। दृष्टि 10 के एकीकरण से हमारी नौसैनिक क्षमताओं में वृद्धि के साथ समुद्री निगरानी और टोही तैयारियों को मजबूत मिलेगी।
अदाणी डिफेंस एंड एरोस्पेस पार्क में हुआ समारोह
हैदराबाद में अदाणी डिफेंस एंड एरोस्पेस पार्क में हुए समारोह के दौरान नौसेना को पहला यूएवी सौंपे जाने के मौके पर मौजूद अदाणी समूह के उपाध्यक्ष जीत अदाणी ने कहा कि हम रक्षा में आत्मनिर्भरता के एक नए युग के शिखर पर खड़े हैं। जब हम न केवल भारत के अपने यूएवी का लॉन्च देख रहेहैं, बल्कि रणनीतिक संप्रभुता के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठा रहे हैं। आत्मनिर्भरता के दृष्टिकोण को हमने जिस तरह अपनाया है वैसा पहले कभी नहीं देखा गया।
20 यूएवी का निर्यात भी किया जा चुका है
सशस्त्र बलों की सेवा करने और भारत को निर्यात के लिए वैश्विक मानचित्र पर स्थापित करने के अदाणी समूह की एक प्रमुख प्राथमिकता है। जीत अदाणी ने बताया कि हैदराबाद में कंपनी के संयंत्र में निर्मित 20 यूएवी का निर्यात भी किया जा चुका है। यह यूएवी नाटो देशों के सभी मौसम में उड़ान भरने के मानक क्षमताओं के अनुरूप भी है और इसलिए निर्यात की व्यापक संभावनाएं हैं।
वहीं नौसेना प्रमुख ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि नौसेना, वायुसेना और सेना को मिलाकर करीब 97 ऐसे यूएवी की जरूरत है जिसकी तय खरीदी प्रक्रिया के तहत भविष्य में आपूर्ति की जाएगी। दृष्टि के संचालन के लिए नौसेना के अधिकारियों का प्रशिक्षण अभी हैदराबाद में चल रहा है जो इसी महीने पूरा हो जाएगा।
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