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पुरातत्वविद मुहम्मद ने कहा- पुराने शासकों की गलती के लिए आज का मुसलमान जिम्मेदार नहीं

अबुल फजल ने आइने अकबरी में लिखा था कि अयोध्या में मंदिर में चैत्र माह में लोग पूजा के लिए आते थे। एक अंग्रेज लेखक ने लिखा था कि यहां लोग राम की पूजा करते थे।

By Bhupendra SinghEdited By: Updated: Sat, 21 Dec 2019 11:29 PM (IST)
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पुरातत्वविद मुहम्मद ने कहा- पुराने शासकों की गलती के लिए आज का मुसलमान जिम्मेदार नहीं

भोपाल, राज्य ब्यूरो। देश के जाने-माने पुरातत्वविद व पद्मश्री डॉ. केके मुहम्मद का कहना है कि पुराने शासकों ने अगर कोई गलती की है तो इसके लिए आज का मुसलमान जिम्मेदार नहीं है। वह गलत तब है, जब उसे सही ठहराने की कोशिश करता है। उन्होंने कहा अब जरूरत है कि हिंदू-मुस्लिम मिलकर सशक्त भारत बनाएं। डॉ. मुहम्मद शनिवार को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में दत्तोपंत ठेंगड़ी स्मृति शताब्दी व्याख्यानमाला में बोल रहे थे। व्याख्यान का विषय था 'राष्ट्रीय अस्मिता में पुरातत्व की भूमिका'।

अयोध्या में मंदिर होने के प्रमाण बाबरी मस्जिद के पिलर में भी मिले

उन्होंने कहा कि अयोध्या में मंदिर होने के प्रमाण बाबरी मस्जिद के पिलर (स्तंभ) में भी मिले हैं। स्तंभों में कलश व अन्य आकृतियां ऐसी हैं, जो देश के दूसरे मंदिरों के पिलरों में भी देखी जा सकती हैं। इसके अलावा मस्जिद में कुछ खंडित मूर्तियां, शिलालेख आदि भी वहां पर मंदिर होने के प्रमाण देते हैं। दिल्ली की कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद में भी बहुत सारी आकृतियां मंदिरों जैसी हैं।

अयोध्या में उत्खनन करने वाली टीम में शामिल थे

पद्मश्री डॉ. मुहम्मद ने बताया कि 1976 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की एक टीम ने अयोध्या में उत्खनन का काम किया था। उसने विवादित ढांचे का सर्वेक्षण किया था। इस टीम में वह भी शामिल थे। टीम ने बाबरी मस्जिद के आसपास चार किमी के दायरे में सर्वे किया था।

उत्खनन में हिंदू देवी-देवताओं की 2063 खंडित मूर्तियां मिली थीं

उन्होंने बताया कि हिंदू देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियां, सर्प, सुअर व कुत्ते की आकृतियां मिली थीं। उनके मुताबिक मुस्लिम शासक कुत्तों से काफी दूर रहते थे। सर्प के फन का उपयोग विष्णु या शिव की प्रतिमाओं के साथ किया जाता रहा है। ऐसी छोटी-बड़ी 2063 प्रतिमाएं वहां मिली हैं। पानी निकालने के लिए बनाए गए प्रनाला में मगरमच्छ की डिजाइन भी दूसरे हिंदू मंदिरों में मिलती है। उन्होंने बताया कि एक शिलालेख भी वहां से मिला है, जिसमें राजा बाली की तरफ से कुछ कहा गया है।

चैत्र माह में पूजा करने आते थे लोग

उन्होंने बताया कि अबुल फजल ने आइने अकबरी में लिखा था कि अयोध्या में मंदिर में चैत्र माह में लोग पूजा के लिए आते थे। एक अंग्रेज लेखक ने लिखा था कि यहां लोग राम की पूजा करते थे।